Why Karna donated gold tooth | कर्ण ने क्यों दान किया सोने की दांत?
कुंती पुत्र कर्ण दानी से महादानी कैसे बन गये ।महादानी कर्ण ने क्यों दिया दान में अपने सोने के दाँत? Why Karna donated gold tooth भगवान श्रीकृष्ण ने महारथी कर्ण से क्या मागा? जानिये कृष्ण,अर्जुन और कर्ण के बीच क्या घटना घटी।
कर्ण ने सोने की दांत क्यों दान किया? | Karna donated gold tooth
अर्जुन के सामने भगवान श्री कृष्ण ने कैसे महारथी कर्ण को दानवीर कहा यदि महाभारत ग्रंथ को सही से
अध्ययन किया जाए तो एक बात तो पता चलती है अर्जुन में अहंकार तो था भगवान कृष्ण ने महाभारत में
कई बार अर्जुन को बहुत लज्जित किया किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने महारथी कर्ण को दानवीर से महादानी
बता दिया था।
Why Karna donated gold tooth |
Why Karna donated gold tooth | कर्ण ने क्यों दान किया सोने की दांत
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युद्ध में घायल होकर अपनी मृत्यु की प्रतिक्षा कर रहा था । उधर पांडव कर्ण के मारे जाने की खुशी में जश्न मना
रहे थे तभी अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से कहां आप जिसको दानवीर कहते थे वो तो मारा जा चुका है। अर्जुन की
इस प्रकार की बातों को सुनकर भगवान श्रीकृष्ण समझ गए कि अर्जुन में फिर से अहंकार आ गया। श्री कृष्ण ने
अर्जुन से कहा कर्ण दानवीर नहीं बल्कि महादानी हैं उस के समय में उसके जैसा महादानी दानवीर कोई नहीं
हो पाया। अर्जुन के मन में अहंकार था इसलिए भगवान श्री कृष्ण कि बात अर्जुन को बहुत बुरी लगी और अर्जुन ने
कहा है केशव यदि आपको लगता है कर्ण महादानी है तो आप साबित कर दीजिये फिर भगवान कृष्ण ने कहा
कर्ण महादानी है इस बात की पुष्टि अभी भी कर्ण स्वयं कर सकता है जबकि वह मृत्यु के बहुत निकट है इतना
कहकर भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया और कर्ण के पास चले गए जैसे ही कर्ण ने
ब्राह्मण के वेस में श्रीकृष्ण को देखा पहले प्रणाम किया और फिर ब्राह्मण देव से आने का कारण पूछा।
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ब्राम्हण वेस धारी भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे कर्ण मैं यहां आया था तुमसे कुछ मांगने के लिए पर तुम्हारी
अवस्था देखकर मुझे तुम पर दया आ रही है अतः मैं यहां से जा रहा हूं मुझे तुमसे कुछ नहीं मांगना। तब कर्ण ने
कहा मेरी यह अवस्था मेरा प्रारब्ध है पर आप ब्राम्हण मेरे सामने उपस्थित हैं आप को दान देना मेरा धर्म है
अतः आपको क्या चाहिए मुझे आज्ञा दीजिए। तब ब्राम्हण बेस धारी श्री कृष्ण ने कहा मुझे तुम्हारे दो सोने की दांत
चाहिए।कर्ण थोड़ा मुस्कुराये फिर कहा बस इतनी सी बात है लीजिये निकाल लिजिये इतना कहकर कर्ण ने
अपना मुंह खोल दिया।श्रीकृष्ण ने कहा नही तुम स्वयं निकालकर दो।सामने एक पत्थर था उसी पत्थर से कर्ण ने
अपने सोने के दांतों पर मारा और कृष्ण के सामने रख दिये।फिर कृष्ण ने कहा नही इस दातमे तो बहुत खून लगा
हुआ है तुम इसे धोकर देदो। कर्ण ने ब्राम्हण वेस धारी कृष्ण से पानी माँगी।कृष्ण ने कहा नही में आपकी कुछ
मदद नहीं कर सकता सब काम तुम्हें स्वयं करना पड़ेगा। सामने धनुष बाण रखे हुए थे कर्ण ने रेंगते रेंगते धनुष
बाण को उठाया और जमीन पर धनुष मारा वहां से पानी की बौछार आ गई और कर्ण ने उस सोने के दांत
को धोकर कृष्ण के हाथों में रख दिए।
ब्राम्हण विषधारी भगवान श्रीकृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गए और कर्ण से कहा कि हे कुंतीपुत्र कर्ण मैं तो
तुम्हारी परीक्षा ले रहा था कि तुम इस अवस्था में भी अपना दान देने का धर्म निभा पाते हो या नहीं। यह सब
घटना अर्जुन ने अपनी आंखों से देखा और मन ही मन बहुत लज्जित हो गए तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से
कहा अब तो मान गए हो ना कर्ण दानी नहीं महादानी है अर्जुन ने लज्जा के मारे अपना सर नीचे कर लिया।
महारथी कर्ण ने अपने दोनों सोने की दांत को दान में दे कर Karna donated gold tooth यह साबित कर दिया विषम से विषम परिस्थितियों में भी मानव जाति को अपना धर्म नहीं भूलना चाहिए यदि हम अपने धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। इस संसार में सभी मनुष्य एक समान नहीं होते । ऐसा जरूरी तो नहीं आप सक्षम हैं तो अगला व्यक्ति भी सक्षम होगा । हमे हर किसी का सम्मान करना चाहिये। खुद को दूसरों की निंदा करने से बचाना होगा।
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