25 सित॰ 2019

pitra dosh ke lakshan | पितृदोष से घबराये नहीं करे सही उपाय

pitra dosh ke lakshan | पितृदोष से घबराये नहीं करे सही उपाय 


आज हम आप को pitra dosh kya hai और pitra dosh ke lakshan क्या हैं साथ ही pitra dosh kaise dur kare,pitra dosh nivaran कौन सा है और pitra dosh se hone wali samasya के विषय में विस्तृत जानकारी देनेवाले हैं।
pitra dosh ke lakshan | पितृदोष से घबराये नहीं करे सही उपाय
pitra dosh ke lakshan

जब हम समस्या से घिर जाते हैं तब हमारे मन में एक वेचैनी सी होती हैं कही मेरे कुंडली में पित्र दोष तो नहीं !कुंडली में पितृदोष होने पर किस

प्रकार से निवारण होना चाहिए पितृदोष से क्या-क्या परेशानियां आती है क्या सारी समस्याओं का जड़  पितृदोष तो नहीं हम जब भी समस्याओं

 से छुटकारा पाना चाहते हैं परेशानियां उतनी ही बढ़ जाती है। क्या इन सब कारणों के पीछे पितृदोष जिम्मेदार है !हमें इन सब सवालों के जवाब जानने से पहले यह समझना होगा कि

 what is pitra dosh in hindi | पितृदोष किसे कहते हैं?


जब हम अपनी लाइफ सेटल करने के लिए चलते हैं तो उस समय अनेक प्रकार की समस्याएं आती है लाइफ है तभी तो प्रॉब्लम है लाइफ का दूसरा नाम ही समस्या है।

रही बात पितृ दोष की तो हम आपको बता दें जन्म कुंडली में अनेक प्रकार के दोष होते हैं कुछ जाने पहचाने होते हैं और कुछ का हमें नहीं पता।इन्हीं सब दोष में से एक दोष है पितृदोष

कुंडली में सभी ग्रह की स्थिति ठीक होने पर भी कुछ अच्छा नहीं होता उसी का नाम है पितृदोष। जन्मपत्रिका में अधिकतर दोष राहु ग्रह की वजह से ही बनता है।

 राहु से बनने वाले दोषों को लोग अलग-अलग नाम दे देते हैं जैसे  पितृदोष । कुंडली में बनने वाली ग्रह की अशुभ स्थिति को पितृदोष कहा जाता है।

pitru dosha in kundli | कब बनता है कुंडली में पितृदोष?


जन्मपत्रिका में यदि राहु की स्थिति बहुत ज्यादा खराब होने से बनता है पितृदोष?
जन्म कुंडली के केंद्र भाग 1,4,7,10 में कोई भी ग्रह न होने पर भी पितृदोष बन जाता है।
शनि और राहु की युति को भी पितृदोष कहा जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता और चंद्र को माता कहा जाता हैं । इन दो ग्रह यदि राहु से पीड़ित हो तोभी पित्र दोष बनता हैं।

सूर्य और राहु की युति को ग्रहण योग कहा जाता है लेकिन इसको भी विद्वान लोग पितृदोष कहते हैं।

कुंडली में शनि और राहु की स्थिति बहुत ज्यादा खराब होने पर भी पितृदोष बन जाता है।

जन्मपत्रिका में गुरु और राहु भी यदि पीड़ित हो पाप प्रभाव में हो तो भी इसको पितृदोष का नाम दे दिया जाता है।

मंगल ग्रह का खराब होना या पापी ग्रहों द्वारा दिखा जाना पाप भावों में बैठ जाना पितृदोष का कारण बनता है।

कुंडली में यदि लग्न पंचम सप्तम भाव में बुरे ग्रह हो या ख़राब ग्रह दुवारा दृष्ट हो तो ये अधिक कस्टदायक होता हैं।

pitra dosh ke lakshan|पितृदोष से होने वाली समस्याएं और लक्षण?


जो लोग पितृदोष से ग्रसित हैं उन्हें संतान होने में या संतान संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पितृदोष होने पर हमेशा धन की कमी रहती है अपने गृहस्थ जीवन को सुचारू रूप से चलाने में उन्हें बहुत बाधाएं होती है।

जो लोग पितृदोष से पीड़ित है उनकी शादी भी बहुत देर से होती है अगर हो भी जाए तो वैवाहिक जीवन में तमाम प्रकार की समस्याएं आती हैं।

घर में कभी शांति नहीं रहती किसी का विचार एक दूसरे से नहीं मिलता है पिता और पुत्र मतभेद होती है।

संपत्ति के कारण आपस में झगड़ा होता रहता है।

पितृदोष होने पर घर में कोई ना कोई बीमार रहता है यह बीमारी लंबे समय तक चलती है।

लड़की के विवाह में बाधा आती है या मनचाहा वर मिलने में परेशानी होती है।

पित्र दोष वाले जातक को हमेशा कोई ना कोई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

पित्र दोष वाले जातक में आत्म बल की कमी रहती है स्वयं निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं।

बहुत अच्छी शिक्षा होने पर भी जॉब मिलने में परेशानियां होती है।

जब घर कोई मर जाता है और उनकी अंत्येष्टि(मरने के बाद किया जाने वाला कर्म) विधि पूर्वक नहीं होती हैं तो भी उस घर मे पितृ दोष की समस्याएं आती है।

pitradosh nivaran upay | पित्र दोष निवारण उपाय


पित्र दोष की बाते जानने के बाद हमे इतना तो पता चल चुका है कि समस्या आने के बाद हमे अपनी जिम्मेदारी से भागना नही चाहिये बल्कि पूरी लगन से अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिये।

 भविष्य में कष्ट ना हो  इसके लिए हमें उपाय तो करने ही चाहिए । pitra dosh nivaran,pitra dosh kaise dur kare इसके लिए हमने आसन और प्रमाणिक उपाय बताये हैं जिसको करने से आप पित्र दोष की समस्या से आसानीसे छुटकारा पा सकते हैं।
pitra dosh kaise dur kare
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सोमवती अमावस्या या अमावस्या को खीर बनाकर गरीबों को खिलाएं।
पीपल का वृक्ष लगाएं और उसकी रोज पूजा करें।

हर अमावस्या में ब्राह्मणों को दुखी गरीबों को अपनी सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद ले।

पितृ पक्ष में रोज एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं और उनसे आशीर्वाद ले।

अपने मां-बाप का अपने गुरुजनों का सम्मान करें उनकी हर आज्ञा का पालन करें। क्योंकि मां-बाप गुरु जन अपने पुत्रों को अपने शिष्यों को कभी गलत शिक्षा नहीं देते अतः इनकी हर बातों का सम्मान करें।

हमेशा सच बोले किसी को धोखा न दें सच बोलने से मन हल्का होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

घर में शुभ और मांगलिक कार्य करने से पहले एक बार अपने पितरों का पूजन करके आशीर्वाद अवश्य लें।

अपने पितरों के दिवंगत(मरा हुआ दिन) तिथि में पूरी लगन से योग्य ब्राह्मण के द्वारा श्राद्ध कर्म साथ ही पितृ सूक्त का पाठ अवश्य करायें।

अपने हाथों से गौ माता की सेवा करें गाय को हरा चारा खिलाएं ।
श्राद्ध के दिन योग्य पंडितजी से राम गीता और पितृ सूक्त का पाठ जरूर करवाये।

pitra dosh mantra- ॐ नमो व: पितरो रसाय नमो व: पितर: शोषाय नमो व:
                                  पितरो जीवाय नमो वर: पितर: स्वधायै नमो व: पितरो 
                                 घोराय नमो व: पितरो मन्यवे नमो व: पितर: पितरो 
                                    नमो वो गृहान्न:पितरो दत्त सतो व: पितरो देष्मैतद्व: पितरो व्वास ऽआधत्त
                                            देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
                                            नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमोनमः।

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