1 अप्रैल 2023

कौन सा रुद्राक्ष पहनना होता है आपके लिये सबसे अच्छा | Rudraksha Guide

1 मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक जानकारी | Total Rudraksha Guide in hindi

रुद्राक्ष के विषय में सटीक जानकारी चाहिए तो शिवपुराण पढ़िए शिवपुराण में बहुत ही विस्तार पूर्वक बताया गया है हमारे वेबसाइट में रुद्राक्ष से संबंधित दी गई जानकारी शिव महापुराण से लिया गया है अतः जो भी रुद्राक्ष के विषय में यहां पर बताया जाएगा वह पूरा शास्त्र सम्मत होगा शिव पुराण में 1 मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक बहुत ही रोचक ढंग से जानकारी दिया हुआ है।

Rudraksha Guide All You Need to Know about Rudraksha


रुद्राक्ष के बारे में सामान्य जानकारी और  कुछ प्रश्न 

रुद्राक्ष क्या है?

रुद्राक्ष पहनने के क्या लाभ हैं?

रुद्राक्ष कौन पहन सकता है?

अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष के क्या लाभ हैं?

एक नए रुद्राक्ष को कैसे चेक करें?

मुझे कितने समय के अंतराल के बाद रुद्राक्ष को बदलना चाहिए?

रुद्राक्ष माला कब पहन सकते हैं?

रुद्राक्ष का अर्थ क्या है । Rudraksha ka arth kya hai


रुद्र कहते हैं भगवान शिव को और अक्ष कहते हैं उनके अंश को रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुआ है भगवान रुद्र के शरीर के अंग से उत्पन्न  हुआ जिसके कारण इसका नाम पड़ा रूद्राक्ष सतयुग से ही रुद्राक्ष को लोग अनेकों प्रकार से धारण करते हैं कोई कलाई में धारण करता है कोई माला बनाकर पहनता है जिसकी जैसी श्रद्धा हो उसी प्रकार व रुद्राक्ष को पहनते हैं रुद्राक्ष पहनने के शिव महापुराण  में बहुत सारे लाभ बताए गए हैं ।


रूद्राक्ष माला को पहनने का नियम । Rudraksha mala ko kaise pahane



शिव महापुराण में रुद्राक्ष माला को पहनने का भी नियम बताया गया है वैसे तो इस माला को कोई भी सज्जन पहन सकता है लेकिन उसको कुछ बातों का ध्यान देना होगा जो भी रुद्राक्ष की माला पहनता है उसको पूरी तरह से सात्विक होना होगा जैसे मांस मदिरा लहसुन प्याज आदि का सेवन ना करता हो और शिव भक्त हो ऐसा व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर सकता है आपको कितने मुखी का रुद्राक्ष पहनना चाहिए इसकी जानकारी नीचे दी हुई है

1 मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक जानकारी 

1 मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक जानकारी


एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् शिवका स्वरूप है । वह भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करता है। उसके दर्शनमात्रसे ही ब्रह्महत्याका पाप नष्ट हो जाता है ॥

जहाँ रुद्राक्षकी पूजा होती है, वहाँसे लक्ष्मी दूर नहीं जातीं, उस स्थानके सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं तथा वहाँ रहनेवाले लोगोंकी सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण होती हैं ॥ 


दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। वह सम्पूर्ण कामनाओं और फलोंको देनेवाला है। वह विशेष रूपसे गोहत्याका पाप नष्ट करता है ॥ 

तीन मुखवाला रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधनका फल देनेवाला है, उसके प्रभावसे सारी विद्याएँ प्रतिष्ठित हो जाती हैं ॥ 

चार मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्माका रूप है और ब्रह्महत्याके पापसे मुक्ति देनेवाला है। उसके दर्शन और स्पर्शसे शीघ्र ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थोंकी प्राप्ति होती है ॥ 


पाँच मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्निरुद्ररूप है । वह सब कुछ करनेमें समर्थ, सबको मुक्ति देनेवाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करनेवाला है। वह पंचमुख रुद्राक्ष अगम्या स्त्रीके साथ गमन और पापान्न-भक्षणसे उत्पन्न समस्त पापोंको दूर कर देता है ।।

छः मुखोंवाला रुद्राक्ष कार्तिकेयका स्वरूप है। यदि दाहिनी बाँहमें उसे धारण किया जाय, तो धारण करनेवाला मनुष्य ब्रह्महत्या आदि पापोंसे मुक्त हो जाता है; इसमें संशय नहीं है ॥ 

सात मुखवाला रुद्राक्ष अनंग नामसे प्रसिद्ध है। हे देवेशि ! उसको धारण करनेसे दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है ॥

आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवरूप है उसको धारण करनेसे मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्युके पश्चात् शूलधारी शंकर हो जाता है ॥ 

नौ मुख वाले रुद्राक्षको भैरव तथा कपिलमुनिका प्रतीक माना गया है अथवा नौ रूप धारण करनेवाली महेश्वरी दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गयी हैं ।। 

जो मनुष्य भक्तिपरायण होकर अपने बायें हाथमें नवमुख रुद्राक्ष धारण करता है, वह निश्चय ही मेरे समान सर्वेश्वर हो जाता है; इसमें संशय नहीं है ।। 

दस मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान् विष्णुका रूप है। हे देवेशि ! उसको धारण करनेसे मनुष्यकी सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं ।। 

ग्यारह मुखवाला जो रुद्राक्ष है, वह रुद्ररूप है; उसको धारण करनेसे मनुष्य सर्वत्र विजयी होता है ॥ 

बारह मुखवाले रुद्राक्षको केशप्रदेशमें धारण करे । उसको धारण करनेसे मानो मस्तकपर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं ॥ 

तेरह मुखवाला रुद्राक्ष विश्वेदेवोंका स्वरूप है । उसको धारण करके मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टोंको प्राप्त करता है तथा सौभाग्य और मंगललाभ करता है ॥ 

चौदह मुखवाला जो रुद्राक्ष है, वह परमशिवरूप है। उसे भक्तिपूर्वक मस्तकपर धारण करे, इससे समस्त पापोंका नाश हो जाता है ॥ 

रुद्राक्षोंके धारण करनेके मन्त्र

१-ॐ ह्रीं नमः । २-ॐ नमः । ३-क्लीं नमः । ४-ॐ ह्रीं नमः । ५-ॐ ह्रीं नमः । ६-ॐ ह्रीं हुं नमः । ७-ॐ हुं नमः । ८-ॐ हुं नमः । ९-ॐ ह्रीं हुं नमः । १०-ॐ ह्रीं नमः । ११-ॐ ह्रीं हुं नमः । १२-ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः । १३-ॐ ह्रीं नमः । १४-ॐ नमः


इन चौदह मन्त्रोंद्वारा क्रमशः एकसे लेकर चौदह मुखवाले रुद्राक्षोंको धारण करनेका विधान है। साधकको चाहिये कि वह निद्रा और आलस्यका का त्याग करे हम आशा करते हैं रूद्राक्षा से संबंधित दी गई जानकारी आपको पसंद आया होगा अगर आपको कुछ पूछना है तो कमेंट कर सकते हैं।

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2 टिप्‍पणियां:

  1. हम के कैसे पता चलेगा की कों रुधरास असली है

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    1. असली रुद्राक्ष आपको हर जगह नहीं मिलेगा अगर आपको असली रुद्राक्ष चाहिये लप टेस्ट सर्टिफिकेट के साथ तो यहा से ले सकते है https://buy.astrosage.com/Rudraksha/teen-3-mukhi-rudraksha?prtnr_id=D0627

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