mahamritunjay mantra ka arth kya hain | महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या हैं
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (mahamritunjay mantra ka arth) जानेंगे तो आपको जप का लाभ जल्दी मिलेगा mritunjay mantra ka matlab सिर्फ जप करना नहीं हैं अच्छी तरह से समझना फिर उपयोग में लाना हैं। जब तक हम किसी चीज को जानेंगे नहीं तब तक हमें उसका लाभ नहीं मिल सकता।
त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधितम पुस्टि जिसको महा मृतुन्जय मन्त्र बोला जाता है इस मंत्र को न जानने वाला शायद ही कोई हो क्या आपको इस मन्त्र का अर्थ पता है? त्र्यम्बकं यजामहे का जप करना कोई मुश्किल काम नही इस मंत्र को पंडित के अलावा कोई दूसरा सामान्य व्यक्ति भी बहुत शुद्ध से पढ़ सकता है । लेकिन क्या करे हर किसी को इस मंत्र का अर्थ पता ही नही है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्यों हैं जरुरी। mahamritunjay mantra ka arth kyu hai jaruri
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् यह एक वैदिक मंत्र है जिसको महामृतुन्जय मन्त्र भी कहा जाता है जो कोई इस मंत्र का जप करता है उसे मृत्यु से भय नही रहता इसका अर्थ यह नही है कि आप कभी मरोगे ही नही ।
एक न एक दिन मरना तो सभी को है जो आया है उसका मरना तो निश्चित है इस संसार मे मृत्यु एक ऐसा कड़वा सच है जिसको लोग जानने के बाद भी मानते नही। जो इस मंत्र का जप नियमित करता है उसकी अकाल मृत्यु नही होती।
जो बीमार है वो व्यक्ति अगर त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र का जप करे तो वो आदमी बीमार से मुक्त होता है और एक सुखी जीवन जीता है। जिसको दवाओं का असर नहीं होता वो अगर महामृतुन्जय मन्त्र का जप करे तो दवा का असर बहुत जल्दी होता है ।
त्र्यम्बकं यजामहे महामृतुन्जय मन्त्र कितने प्रकार का होता है । trayam nakam yajamahe maha mrutujaya mantra ka prakar
महामृतुन्जय मन्त्र तीन प्रकार का होता है जो इस प्रकार है-
भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् इसको सिर्फ महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है।
ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॐ स्वः भुव: भू: सःजूं हौं ॐ इसको मृतसंजीवनी मंत्र कहा जाता है।
ॐ हौं ॐ जूं ॐ सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॐ स्वः ॐ भुव: ॐ भू: ॐ सः ॐ जूं ॐ हौं इस प्रकार जप करने से यह महामृत्युंजय मंत्र बन जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है । maha mrutunjay mantra ka arth kya hai
त्र्यंबकम् - तीन नेत्रोंवाले भगवान सदाशिव
यजामहे - जिनका हम दिल से सम्मान करते हैं जिसकी हम पूजा करते हैं
सुगंधिम - जो एक मीठी सुगंध के समान हैं
पुष्टिः वर्धनम् - फलने फूलनेवाली स्थिति जो हमे परिपूर्ण करता जीवन मे आगे बढ़ने की शक्ति देता है।
उर्वारुकम्इव - ककड़ीइस तरह
बंधनात् - बंधनों से मुक्त करनेवाले
मृत्योः मुक्षीय - हमें स्वतंत्र करें , रोग मुक्त करे हमारी पिडावो का हरण करे
अमृतात् - अमरता प्रदान करे
महामृत्युंजय मंत्र में कुल 33 अक्षर हैं इन्ही तेतीस अक्षरों को 33 कोटि देवताओं के प्रतिक माना जाता हैं शिव पुराण के अनुसार राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान शिव से महामृत्युंजयमंत्र को सिद्ध किया है।
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Mahamrityunjay mantra ko hamare sath Shahar karne ke liye aapka bahut bahut dhanyvad sir
जवाब देंहटाएंHar devi devta ke alag alag mantra hote hai. Sab apane apane mantra ko bada batate hain kyu?
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