ङ अक्षर में अपने बच्चे नाम क्या रखे ? । Nga se bachhe ka kya naam rakhe
क्या आप भी "ङ" अक्षर से अपने बच्चे का नाम ढूंढ रहे है लेकिन" ङ " से बच्चे का नाम नहीं मिल रहा येसे में क्या करे ? ङ से अपने बेटे या बेटी का नाम क्या रखे ? आपको चिंता करनेकी जरूरत नहीं है ourbhakti.com है न आपकी परेशानी को सुलझाने के लिऐ। आजतक आपने किसी बच्चे का नाम ङ अक्षर से नही सुना होगा Nga se bachhe ka kya naam rakhe इसके पीछे कई ज्योतिषीय कारण हैं सब बताएंगे । चलिए जानते है इसके पीछे का कारण अगर नाम करण में बच्चे का नाम ङ से आये तो क्या करे किस नाम अपने लड़के लड़की का नाम रखे?
ज्योतिष में "ङ" अक्षर से कोई नाम न होने कारण | Nga Akashar Se Naam Kyu Nahi Hai
वैदिक भाषा में अनुपस्थिति: ङ अक्षर वैदिक संस्कृत में मौजूद नहीं था, जो ज्योतिष का आधार है। ङ का उच्चारण थोड़ा जटिल होता है और इसे सभी भाषाओं में समान रूप से नहीं बोला जाता। ज्योतिष में प्रत्येक अक्षर को एक ग्रह या नक्षत्र से जोड़ा जाता है ङ अक्षर का किसी भी ग्रह या नक्षत्र से स्पष्ट संबंध नहीं है।
कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि ङ अक्षर अशुभ होता है और इसका नामकरण में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष में अक्षरों का संबंध एक जटिल विषय है और इसके बारे में कई अलग-अलग मत हैं कुछ ज्योतिषी ङ अक्षर का उपयोग नामकरण में करते हैं और इसका अच्छा प्रभाव मानते हैं।
ज्योतिष में "ङ" अक्षर से कोई नाम क्यों नहीं है | jyotish me "nag" se koi naam kyu nahi
ज्योतिष में "ङ" अक्षर से नाम न होने के 6 मुख्य कारण
- स्वर वर्ण:"ङ" एक स्वर वर्ण नहीं है, बल्कि व्यंजन वर्ण है। ज्योतिष में, नामों का विश्लेषण करते समय स्वर वर्णों को अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि वे ग्रहों और नक्षत्रों से जुड़े होते हैं। व्यंजन वर्णों का प्रभाव कम होता है।
- उच्चारण:"ङ" का उच्चारण कठिन होता है और यह अन्य व्यंजनों के साथ मिलकर ध्वनि पैदा करता है। ज्योतिष में, नामों का उच्चारण भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह ऊर्जा और कंपन पैदा करता है। "ङ" का उच्चारण जटिल होने के कारण, इसे नामों में कम इस्तेमाल किया जाता है।
- संस्कृत भाषा:ज्योतिष का आधार संस्कृत भाषा है। संस्कृत में, "ङ" का प्रयोग बहुत कम होता है। यह मुख्य रूप से तद्भव शब्दों में पाया जाता है।
- नामकरण परंपराएं:ज्योतिष में नामकरण की परंपराएं भी "ङ" के प्रयोग को कम करती हैं। अधिकांश नामों में स्वर वर्णों का प्रयोग होता है, जो ग्रहों और नक्षत्रों से जुड़े होते हैं।
- ज्योतिषीय प्रभाव:"ङ" अक्षर का ज्योतिषीय प्रभाव कम माना जाता है। ज्योतिष में, नामों का विश्लेषण करते समय ग्रहों और नक्षत्रों की ऊर्जा को ध्यान में रखा जाता है। "ङ" का प्रभाव कम होने के कारण, इसे नामों में कम इस्तेमाल किया जाता है।
- कुछ अपवाद भी हैं कुछ नामों में "ङ" का प्रयोग होता है, जैसे कि "अंशुमान" और "अंगद"।
- संस्कृत भाषा में अनुपस्थिति ङ अक्षर संस्कृत भाषा में मौजूद नहीं है, जो ज्योतिष का आधार है ज्योतिषीय ग्रंथों और गणनाओं में संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता है, इसलिए "ङ" अक्षर से कोई नाम नहीं होता है
- उच्चारण: ङ अक्षर का उच्चारण मुख के पिछले भाग से होता है, जो अन्य अक्षरों की तुलना में कठिन होता है। ज्योतिष में, नामों का उच्चारण महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ङ अक्षर के उच्चारण में कठिनाई के कारण, इसे नामों में शामिल नहीं किया जाता है।
- अशुभ प्रभाव: कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि ङ अक्षर का प्रभाव अशुभ हो सकता है। वे मानते हैं कि यह अक्षर व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता और बाधाएं ला सकता है।
- अप्रचलित: ङ अक्षर हिंदी भाषा में भी अपेक्षाकृत कम उपयोग होता है। यह अक्षर मुख्य रूप से कुछ शब्दों और नामों में ही पाया जाता है।
"ङ" अक्षर में अपने बच्चे नाम क्या रखे ? । "Nga" Akashar se bachhe ka kya naam rakhe
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