हरि बोदिनी एकादशी में तुलसी की पूजा कैसे करें | Haribodhini ekadashi me tulsi Puja kaise kare
हरि बोदिनी एकादशी, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ तुलसी की पूजन का भी महत्वपूर्ण स्थान है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष आस्था और श्रद्धा का अवसर लेकर आता है। आइए जानते हैं हरि बोदिनी एकादशी में तुलसी की पूजा कैसे की जाती है।
हरि बोदिनी एकादशी तुलसी पूजा के लिए कुछ आवश्यक तैयारी करनी होती है:
स्थान चुनाव: तुलसी की पौधें को पूजने के लिए स्वच्छ स्थान चुनें इसे किसी पवित्र स्थल पर स्थापित करें।
सामग्री एकत्रित करें: पूजा के लिए आवश्यकता अनुसार सामग्री तैयार करें, जैसे- तुलसी के पत्ते, दूर्वा, दक्षिणा, दीपक, अगरबत्ती, और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति।
पूजा करने से पहले स्नान करना आवश्यक है स्नान करने से व्यक्ति शुद्ध और पवित्र होता है, जिससे आराधना का फल बढ़ता है।
शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा में जाने से पहले शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। सफेद या हल्की रंग की धोती या साड़ी पहनें, जिससे आपकी भक्ति में वृद्धि हो।
हरि बोदिनी एकादशी में तुलसी की पूजा विधि | Haribodhini ekadashi me tulsi Puja vidhi
सप्त धातुओं द्वारा पूजन
तुलसी की स्थापना: तुलसी के पौधे का सामना पूर्व दिशा की ओर रखें और उसे साफ करें।
दीप जलाना: तुलसी के पास दीपक जलाएं और अगरबत्ती करें। यह वातावरण को शुद्ध करता है और देवी-देवताओं को आकर्षित करता है।
सरसों का तेल: अगरबत्ती के साथ सरसों के तेल से दीप लगाएं।
तुलसी के पत्ते अर्पित करना
पत्ते चढ़ाना तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित करें। यह विशेष फल देने वाला होता है।
प्रार्थना और भक्ति प्रार्थना करते समय मन में भगवान विष्णु की भक्ति के साथ-साथ माता तुलसी की महिमा का गुणगान करें।
प्रसाद का वितरण: पूजा के बाद, तुलसी के पत्तों से बने प्रसाद का वितरण करें। इसे पहले स्वयं ग्रहण करें और फिर परिवार के सभी सदस्यों को दें। तुलसी की पूजा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह भक्ति का अभिव्यक्ति भी है। इस दिन भक्तों का मानना है कि तुलसी की पूजा से समस्त पाप खत्म होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
हरि बोदिनी एकादशी में तुलसी की पूजा करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति का श्रोत भी है। भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी तुलसी की कृपा से भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस दिन की पूजा विधि को अपनाकर हम अपने जीवन में भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
इस प्रकार, हरि बोदिनी एकादशी में तुलसी की पूजा करना एक दिव्य अनुभव है, जिसे हर भक्त को अपने घर परिवार में अपनाना चाहिए।
तुलसी से जुड़ी कुछ अन्य बातें
*कार्तिक महीने में तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है।
*तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
*स्त्रीयो को तुलसी की पूजा बिसेष रूप से करनी चाहिए।
*तुलसी को सारे पौधों में प्रधान माना जाता है।
तुलसी जी के अन्य नाम और अर्थ
*तुलसी -अदुतीय
*बृंदा-सभी पौधो की आदि देवी
*पुष्पसारा-हर पुष्प का सार
तुलसी का मंत्र
धयान मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी को जल चढ़ाने का मंत्र
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
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