shani dev se darna kyu | चलो जाने शनिदेव रोचक बातें?
हमारे धर्मं में शनि देव (shanidev) को न्याय का देवता माना गया है। इसलिये हमे shani dev se darna नहीं चाहिये? बल्कि शनिदेव को समझना चाहिये लोग शनिदेव को बहुत कठोर मानते है।
shani ki puri jankari hindi me |
क्योंकि इनके प्रकोप से बड़े से बड़ा धनवान आदमी भी भिखारी बन जाता है और इनकी ही कृपासे कंगाल आदमी भी धनवान बन जाता है।
ऐसा इसलिए होता है की शनि देव को न्याय करने का अधिकार प्राप्त है और उनका न्याय भेदभाब रहित होता है। तो आईये शनि देवके जीवनसे जुड़ी कुछ बाते जानने का प्रयास करते है।
शनि देव का जन्म कैसे हुआ | shani dev ka janma kaise huwa
जब शनि देब पैदा हुवे तो उनका रंग काला था शनि देव का काला रंग देखकर सूर्य देव क्रोधित हो गये और अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि ये मेरा पुत्र नही है। तभी से शनि देव का अपने पिता सूर्य से दुश्मनी शुरू हुई।
इसके बाद शनि भी सूर्य के समान शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर की पूजा करने लगे और भोलेनाथ के आशिर्वाद से नवग्रह में स्थान प्राप्त कर ली।
शनि देव से जुड़ी 5 खास बातें
- ऐसा मना जाता है कि शनि देब के अपने पिता सूर्य देव से अच्छे रिश्ते नही है।
- शनि को न्याय का देवता माना जाता है।
- शनिवार को तेल ,काले तिल, और काले कपड़े आदि किसी गरीब को दान कर देने से शनि देव बहुत प्रसन्न होते है।
- धर्म ग्रंथो के अनुसार हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से छुड़ाया था।तभी से हनुमान जी पूजा करने वाले भक्त पर शनि देव प्रसन्न रहते है उनको शनि देव कभी नही सताते है।
- शनि देव की चाल बहुत धीमी है इसलिए वो एक राशि मे करीब ढाई साल तक रहते है।
शनि देव अपने माता पिता को क्यों शत्रु मानते है?
शनि देव को प्रसन्न करने का उपाय
शनि देव को शनिवार का दिन समर्पति है इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से ,हनुमान चालीसा का पाठ करने से,पीपल पर जल चढ़ाने से, किसी गरीब को खाना खिलाने से,तेल का दान करने से, शनि मंत्र का जप,पाठ आदि करने से शनि देव प्रसन्न होते है।also read ..shani sadesati k aasan 44 upay
वैदिक मंत्र-ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लौकिक- ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम् |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
धन्यवाद................
शनि देव का वैदिक मंत्र
लौकिक- ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम् |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
धन्यवाद................
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