rig veda | yajurved | samved | atharva ved
ऋग्वेद | सामवेद | यजुर्वेद | अथर्ववेद
जिसने चार वेद को थोडा भी समझ लिया उसे कुछ समझाने की जरुरत नहीं वेद जिसको आता है वो महान हैं
जिन्होंने कभी वेद को ved हमारे धर्म ग्रंथों को जानने की कोशिश नहीं की वही लोग सबसे ज्यादा कुतर्क करते हैं।
वे कुतर्की लोग एसा सोचते हैं सनातन धर्म का आधार वेद ved को समझेंगे जानेंगे तो छोटे हो जायेंगे। आजकल के युवा पीडी भी हमारे सनातन परंपरा को अपनाने से परहेज करने लगे हैं ।
rig veda | yajurved | samaved | atharva ved
|
what is ved वेद क्या है,
वेद क्या है? what is ved सामान्य रूप से वेद शब्द विद धातु से बना हुआ है जिनका 4 अर्थ होता है ज्ञान,सत्ता, लाभ और विचरण जिसके कारण मानव सभी सत्य विधाओं से ज्ञान प्राप्त करता है और वही मनुष्य भविष्य में जाकर विद्वान होता है उसी को वैदिक पंडित कहते हैं ।
हिंदू धर्म के वेद ही मूल स्रोत होने के कारण वेदों का महत्व सबसे ज्यादा है हमारे सनातन धर्म में स्थित विचारधारा से ओतप्रोत है वेद सिर्फ आर्यों के ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिखित रूप में उपलब्ध एक प्राचीनतम ग्रंथ है।
विश्व के अनेक विद्वानों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है शताब्दियों तक भारतीयों ने वेदों को अपने मस्तिष्क में याद रख कर उन्हें जीवित किया।
वेद को श्रुति भी कहते हैं क्योंकि वेदों को श्रुति कहने के पीछे प्राचीनकाल में गुरु और शिष्य परंपरा के माध्यम से वेदों का अध्ययन होता था और शिष्य गुरु द्वारा सुनाए गए मंत्रों को सुनकर याद रखते थे इसीलिए वेद को श्रुति भी कहते हैं।
गुरु ने अपने शिष्यों केसामने वेदों का उच्चारण किया और शिष्यों ने अपने कानों से अर्थात श्रुति से उसे सुना उसका शिष्यों ने आवृत्ति किया और उस गुरुद्वारा सुने हुए मंत्र को याद किया कालांतर में जब वही वेद पाठी शिष्य बड़े होकर गुरु बनते थे
तो वह भी अपने नए शिष्यों को ठीक इसी प्रकार से वेदों का पठन-पाठन कराया करते थे जिसका फल स्वरुप यह श्रुति अर्थात वेद ved इसी माध्यम से सदा के लिए शुद्ध बने रहे।
also read...
श्राद्ध क्या है?]समझे और अपने पित्रों को खुश करें
"दैनिक राशिफल" सच में सही होता हैं ?राशि फल का विचार कैसे किया जाता है?
type fo ved | वेदों के प्रकार
rig veda | ऋग्वेद
char ved |
यह भी दो भागों में विभक्त है प्रथम भाग अष्टक क्रम है जो 8 अष्टको में विभक्त है हर एक अष्टक में 8 अध्याय हैं अध्याय में भी वर्ग है और वर्ग रिचाओं के समुदाय को कहते हैं।
ऋग्वेद में लगभग 5 मंत्रों का एक वर्ग होता है ऋग्वेद में कुल 2006 वर्ग हैं ऋग्वेद का द्वितीय भाग मंडल क्रम है जिसमें 10 मंडल हैं इसमें भी कई अनुवाक है जो मंत्र अथवा ऋचा युक्त सूक्त पर आधारित है इस प्रकार से कुल 85 अनुक्रमांक हैं तथा 1017 सूक्त है इनमें 11सूक्त शामिल नहीं है नहीं किया गया है जो बालखि कहलाते हैं
also read...
घर में तिजोरी किस दिशा में होना चाहिए,ghar me tijori kis disha me hona chahiye
सबसे मजे की बात ऋग्वेद के द्वितीय से सप्तम मंडल तक अंश वंश मंडल कहलाता है जिनके ऋषि क्रमश विश्वामित्र वादेवअत्रि भारद्वाज और वशिष्ठ है ऋग्वेद का पूरा नवम मंडल सोम मंडल सोम देवता के विषय में चर्चित होने के कारण यह मंडल पवमान मंडल कहलाता हैअनेक विद्वानों ने इसके प्रथम और दशम मंडल जिनमें 191 191 सुक्त हैं इसको आधुनिक माना है।
ऋग्वेद में अनेक देवी देवताओं को अलग अलग ऋषि-मुनियों ने अत्यंत सुंदर शब्दों में स्तुतिकी है इन शब्दों का प्रयोग यज्ञ के अवसर में किया जाता था जिसके कारण कुछ संवाद सूक्त भी मिलते हैं
जैसे यम यमी संवाद उर्वशी संवाद सरमा पणी संवाद आदि जिन में अनेक विद्वानों ने संवाद के रूप में अपने विचार व्यक्त किए हैं इन संवाद सूत्रों की संख्या 20 है इनके अलावा ऋग्वेद में कई स्थानों में दार्शनिक सूक्त भी मिलते हैं जिनसे हमारे ऋषियों का मौलिक चिंतन हमारे सम्मुख उत्पन्न होता है।
यजुर्वेद yajurved
यजुर्वेद के दो संप्रदाय हैं ब्रह्मा और आदित्य नाम से इन्हीं दोनों को क्रमशकृष्णा यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद कहा जाता है कृष्ण यजुर्वेद की प्रधान शाखा तेतरीय है जिसमें गद्यऔर पद्य दोनों का वर्णन मिलता है
शुक्ल यजुर्वेद की वाजसनेही संहिता बहुत प्रसिद्ध है इसमें किसी प्रकार का गद्य नहीं है शुक्ल यजुर्वेद yajur vedaके मंत्र विभिन्न प्रकार के यज्ञों और कर्मकांड के लिए उपयोग किए जाते हैं जो अनेक फलों की प्राप्ति के लिए विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों द्वारा किया जाता है ।
samved | सामवेद
सामवेद ऐसा माना जाता है सामवेद स्वरों का वेद है संगीत का वेद है इसके मंत्र विविध स्वरों में गाए जाते हैं।
सामवेद के आर्चिक और गायन रूप में मुख्य दो प्रधान भाग हैं ऋषि पतंजलि ने सामवेद वेद ही जीवन का सार ऐसा बोलकर पुराणों का यह कथन सिद्ध कर दिया है
यदि जीवन में आनंद चाहिए रस चाहिए खुशी चाहिए तो वह सब हमें सामवेद से ही मिल सकता है सामवेद की महिमा अपरंपार है सामवेद की लगभग 1000 शाखाएं हैं गायन प्रधान सामवेद संगीत की सूक्ष्मता को ध्यान में रखते हुए यह संख्या कल्पित नहीं लगती
ऋषियों ने सामवेद पद्धति को चार प्रकार की मानी है।गेय ,आरण्यक,ऊह ,उह्य हमारे भारतीय संगीत शास्त्र का मूल इन्हीं शाम गायन ओन पर आधारित है इनके प्रस्ताव, उद्गीथ, प्रतिहार ,उपद्रव व निधन रूप से 5भाग होते हैं।
atharva ved | अथर्ववेद
अथर्ववेद को इस संसार में सबसे ज्यादा फल देने वाला वेद माना गया है यज्ञ के संस्कार के लिएअथर्ववेद को ही आवश्यक माना जाता है पुरोहित राजा के शांति और यज्ञ कार्यों का संपादन अथर्ववेद द्वारा ही करते हैं।इस वेद को ब्रह्मा वेद भी कहते हैं
अथर्व शब्द का अर्थ अहिंसा वृत्ति से मन की स्थिरता प्राप्त करने वाला होता है पहले के विद्वानों के अनुसार सुख उत्पन्न करने वाले अच्छे जादू टोना के लिए अथर्ववेद के मंत्रों का प्रयोग अधिक मात्रा में होता है इस प्रकार सामान्य जन के लिए अथर्ववेद atharwa ved बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
Aap ki baat purna rup se satya nahi hai
जवाब देंहटाएंbataaiye kyu?
हटाएंRig ved ke lekhak kaun hai
जवाब देंहटाएं