वास्तु कहता हैं अपनी जाती के अनुसार जमीन (भूमि) ख़रीदे । vastu anusar sahi jamin kaise le
जमीन खरीदते समय अक्सर लोग गलती करते है सबसे ज्यादा गलती तब करते है जब जमीन खरीद चुके होते है। जब घर मे अशांति होती है तब उन्हें यह एहसास होता है कि मैंने जमीन सही से देखकर नही खरीदी
वास्तु के अनुसार सही जमीन का चुनाव करके ही भूमी खरीदना चाहिये। (vastu ke anusar sahi jamin) भूमि जमीन भी कई प्रकार के होते है कोई जमीन शुभ होती है तो कोई अशुभ आपको हमेशा अपनी जाती (ब्राह्मण ,क्षत्रिय,वैश्य ,शुद्र) को ध्यान में रखकर नयी जमीन खरीदनी चाहिए।
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अपना नाम वर्ण जाती मिलाकर ही जमीन ख़रीदे | Apana naam varna jati milakar jamin kharide
जहां सस्ता मिला वहीं जमीन खरीद ली फिर बाद में पछताया ऐसा नहीं होना चाहिए अगर आप ब्राह्मण हैं तो आपको ब्राम्हण वर्ण का जमीन खरीदना चाहिए
आप क्षत्रिय हैं तो आपको क्षत्रिय वर्ण का जमीन खरीदना चाहिए आप शुद्र हैं तो आपको शुद्र वर्ण का जमीन लेना चाहिए।
ब्राह्मण वर्ण का जमीन जहाँ की मिट्टी श्वेत (सफेद) वर्ण की हो और कोमल हो , वह ब्राह्मणी भूमि कही गयी है , जो ब्राह्मणों के लिए विशेष शुभ होता है ।
क्षत्रिया भूमि जहाँ की मिट्टी दिखने में थोड़ी लाल हो,वह क्षत्रिय भूमि कहलाती है यह जमीन क्षत्रियों के लिए शुभप्रद है ।
वैश्या भूमि जहाँ की मिट्टी का रंग पीला हो , वह भूमि वैश्यों के लिए अच्छा होता है।
शूद्र भूमि जहाँ की मिट्टी काली हो , वह स्थान शूद्रों का है ।
चारों वर्ण अपने अपने वर्ण की भूमि में वास करें जीवन मे कभी अशांति नही होगी।
नोट - ब्राह्मणों के लिए सब भूमि बसने योग्य कही गयी है और क्षत्रियों के लिए ब्राह्मणी भूमि के अतिरिक्त शेष तीनों भूमि पर घर बनाने के लिए कहा गया है।
वैश्यों के लिए शूद्र भूमि को भी ग्रहण करने को शुभ बताया गया है। यहाँ पर शूद्रों को कोई छूट नही दी गयी है शूद्र को केवल शूद्र भूमि में ही वास करना चाहिये ।
वास्तु के अनुसार जमीन के प्रकार | Vastu Ke Anusar Jamin Ke Prakar
वास्तु के अनुसार भूमि(जमीन) चार प्रकार का होता है ।1 गजपृष्ठ भूमि 2 कूर्मपृष्ठ जमीन 3 दैत्य पृष्ठ 4 नाग पृष्ठ
गजपृष्ठ भूमि- जिस स्थान में दक्षिण , पश्चिम , नैत्य और वायव्य कोण की ओर भूमि ऊँची हो उसको गजपृष्ठ कहा गया है। उसमें घर बना कर बसने से धन - धान्य , संतान और आयु की वृद्धि होती।
कूर्मपृष्ठ जहाँ मध्य में उच्च हो और चारों दिशाओं में झुकाव हो वो जमीन कूर्मपृष्ठ कहलाता है । उस स्थान में वास करने से नित्य उत्साह धन धान्य संतान आरोग्य यश और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है ।
दैत्य पृष्ठ ईशान कोण , पूर्व और अग्नि कोण में उच्च हो और पश्चिम में नीचा हो तो वह भूमि दैत्य पृष्ठ कहलाती है उस घर मे रहने वाले लोग हमेशा अशांत रहते है।
नाग पृष्ठ जहाँ दक्षिण और उत्तर दोनों दिशा उच्च हो और बीच में नीचा हो , वह स्थान नाग पृष्ठ कहलाता है इस प्रकार के भूमि में घर बनाने से लक्ष्मी हमेशा नाराज रहती है। पैसे की दिक्कत होती है।
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