6 सित॰ 2019

6 type of shradh | ६ प्रकार के श्राद्ध सबको पता होना चाहिये

6 type of shradh |६ प्रकार के श्राद्ध सबको पता होना चाहिये 

 पुत्रों द्वारा अपने पितरों के लिए किया जाने वाला  कर्म ही (Shradh )श्राद्ध है जो पुत्र अपने मरे हुये पितरो की तिथि में कर्म करता है उसी को ही Shradh करना कहते हैं 6 type of shradh  होते हैं जो निचे विस्तार पूर्वक कहा गया हैं 
6 type of shradh |६ प्रकार के श्राद्ध सबको पता होना चाहिये
6 type of shradh | 

श्राद्ध क्या है? श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं? कौन से श्राद्ध कब करना चाहिए?


इन सब विषयों के ऊपर आज हम चर्चा करने वाले हैं सनातन धर्म के
अनुसार परलोक जा चुके पितृ के स्मरण में बेटों द्वारा किया जाने वाला
कर्म हे श्राद्ध कर्ताश्राद्ध से 1 दिन पूर्व क्षौर कर्म आधी करके एक समय
भोजन करके अपने पित्रों को स्मरण करता है श्राद्ध के दिन सुबह जल्दी
उठकर अपने कर्मों से निवृत होकर श्राद्ध के लिए उपयोगी सामग्री आदि
की व्यवस्था करता है उसके बाद घर में ब्राम्हण पंडित जी का आगमन
होता है श्राद्ध करने वाला दक्षिण की तरफ बैठकर श्राद्ध कर्मपुरा करता है आज
के इस लेख में हम मुख्य रुप से किया जाने वाले श्राद्ध के विषय में बात करेंगे।
हमारे शास्त्रों में अनेक प्रकार के श्राद्ध का विवेचन किया गया है यदि हम
उन सबके विषय में बात करेंगे तो आप मार्ग से भटक सकते हैं इसलिए
हम उन मुख्य श्राद्ध की बात करेंगे जो विशेष रुप से किया जाता है

6 type of shradh |६ प्रकार के श्राद्ध

  1. एकोद्दिष्ट श्राद्ध
  2. पार्वण श्राद्ध (पितृ पक्ष)
  3. एकपार्वण श्राद्ध
  4. तीर्थ श्राद्ध 
  5.  नान्दीमुख श्राद्ध
  6. त्रिपिण्डी श्राद्ध

एकोद्दिष्ट श्राद्ध - मरा हुआ दिन या तिथि में किया जाने वाले श्राद्ध को एकोद्दिष्ट श्राद्ध कहते हैं।

पार्वण श्राद्ध (पितृ पक्ष)- विशेष रुप से यह श्राद्ध वर्ष में एक बार  होता है पार्वण श्राद्ध को  पितृ पक्ष की श्राद्ध भी कहते हैं भाद्रशुक्ल पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण अमावस्या तक अपने पितरों की स्मृति में अपने-अपने पित्र (pitru)  के तिथियों में यह श्राद्ध किया जाता है। इस साल यह पितृ पक्ष 2019 का श्राद्ध 13 September Friday से शुरू होकर 28 September Saturday  तक चलेगा ।



तीर्थ श्राद्ध- किसी तीर्थ स्थल पर जाकर करने वाले श्राद्ध को तीर्थ श्राद्ध कहते हैं।

एकपार्वण श्राद्ध- यह श्राद्ध जिसकी मृत्यु पितृ पक्ष में हुई है, यानी जिसकी मृत्यु भाद्रशुक्ल पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण  अमावस्या के बीच हुई है उनके स्मरण में किया जाने वाले श्राद्ध को एक पावन श्राद्ध कहते हैं इसमें विशेष रुप से तीन पिंडदान दीया जाता है।      इसे भी पढ़े शरीर पर तिल शुभ या अशुभ

नान्दीमुख श्राद्ध- यह श्राद्ध विशेष रुप से किसी शुभ कार्य के पूर्व में किया जाता है जैसे घर में शादी है नवदुर्गा में मां की पूजा है घर में वास्तु आदि का पूजा है कुछ भी घर में होने वाले किसी भी शुभ कार्य में  रुकावट ना आए या दोस ना लगे इसलिए यह श्राद्ध किया जाता है इस श्राद्ध में पिंडदान आदि नहीं होता है।

त्रिपिण्डी श्राद्ध- यह श्राद्ध हर कोई नहीं करता जिसको आवश्यकता पड़ती है वही करता है विशेष रुप से यह श्राद्ध भूत प्रेत पिशाच आदि से जो पीड़ा उत्पन्न हो रही हैं उनकी शांति करने के लिए यह श्राद्ध किया जाता है जिसको त्रिपिण्डी श्राद्ध कहते हैं। इस श्राद्ध का भी विशेष महीना और तिथि होता है।
यह श्राद्ध कार्तिक, मनसिर, पौष और माघ महीने के किसी भी पक्ष के एकादशी,पंचमी,अष्टमी और त्रयोदशी तिथि में किया जाता है जिसको हम त्रिपिण्डी  श्राद्ध के नाम से जानते हैं।

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