गणेश ध्यान पूजा मंत्र|Ganesh puja dhyn mantra
गणेश पूजन से पूरी होती है सभी कामनाये ऐसे मे हमे पूजा करते समय निम्न बातों का ध्यान होना चाहिए जैसे-Ganesh puja mantra,ganapati dhyan mantra,ganesh prathana soloka, ganesh ka mantra,ganesh pujan kaise kare, भगवान गणेश का पूजन कैसे करे,गणेश ध्यान मंत्र,प्राथना मंत्र,पूजा मंत्र,अविषेक मंत्र,गणपति आवाहन मंत्र।
जब तक ऊपर बताई गई बातों को आप नही जानेंगे तब तक आपकी पूजा को भगवान गणेश स्वीकार नही करेंगे। वैसे तो गणपति का पूजन कई प्रकार से किया जाता है लेकिन हम यहाँ पर आपको ऐसा तरीका बताने वाले है जिसको जानने के बाद आप इनकी पूजा खुद कर सकते है बस आपको थोड़ा सा मेहनत करनी पड़ेगी।
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ganesh puja mantra in sanskrit
गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम |
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं
वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
वैदिक गणेश ध्यान मंत्र,vaidik ganesh dhyan mantra
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे
प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम
आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
नमो गणेभ्यो गणपति भ्यश्चवो नमो नमो
व्रातेभ्यो व्रातपति भ्यश्चवो नमो नमोग्रिश्चेभ्यो
ग्रिश्चपति भ्यश्चवो नमो नमो विरूपेभ्यो
विश्वरूपेभ्यश्चवो नमो नम:।।
गणेश प्राथना मंत्र ,Ganesh Prarthana Mantra
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!
गणेश पूजा में प्रयोग होने वाले मंत्र,ganesh pujan mantra
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आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।
गणेश जी को दूध ,दही ,घी ,चीनी स्नान करने का मंत्र
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:।
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे।।
दूध -कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम।
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं।।
दही -पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं।
ध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां।।
घी -नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।।
शहद-तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
पंचामृतं-पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
शुद्ध जल मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम।
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।
वस्त्र -सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे।
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां।।
जनेऊ -नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||
चिन्दन -रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम।
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम।।
सिंदूर -सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां।।
अक्षता-अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः।।
फूल -पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां।।
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥
बेलपत्र -त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर :।।
दूर्वा -त्वं दूर्वेमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव।।
आभूषण -अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान।
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर:।।
सुगंध तेल - चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि:।
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां।।
धूप-वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम :।
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां।।
दीप - आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम।।
फल प्रशाद - शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां।।
अगर आपको गणेश पूजा से संबंधित और कोई जानकारी चाहिये तो नीचे कमेंट कर सकते है हम आशा करते है आपको हमारी जानकारी पसंद आई होगी ।।धन्यवाद।। भगवान गणेश आपकी हर मनोकामनाएं पूरी करे।
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thanks bro
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