shani aur loha | आखिर क्यों प्रिय है शनि को लोहा ?
Shani aur loha का क्या सम्बन्ध हैं ? शनि देव को लोहा क्यों इतना प्रिय है शनि को लोहा चढ़ाने से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं यह सब बातें हैं सुनते आ रहे हैं पर क्या आप लोगों ने कभी सोचा है आखिर शनि देव को लोहा क्यों प्रिय है क्या आप जानते है Shani aur loha का रहस्य ?
shani aur loha |
लोहा एक धरती के गर्भ में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला तत्व है इस तत्व का प्रयोग पूरे विश्व में प्राचीन काल से उपयोग में लाया जाता रहा है। आज के जमाने की बात करें तो लोहे के बिना कोई भी कंस्ट्रक्शन आदि निर्माण का काम नहीं हो सकता।शनि के बारे में जानें ये 7 बातें, चमकेगा भाग्य/shani ki 7 bate
shani loha ka sambandh |शनि और लोहा का सम्बन्ध
शनि और लोहा का सम्बन्ध (shani loha ka sambandh)जानने से पहले हमें एक धार्मिक कथा को समझना जरूरी है कथा के अनुसार जब पवनसुत हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे तो उनकी मुलाकात शनिदेव से हुई
शनिदेव और हनुमान जी में थोड़ी तू तू मैं मैं हुआ तब हनुमानजी ने शनिदेव को उठाकर शनिचरा मंदिर मुरैना में फेंक दिया। एक और मान्यता यह भी है जब रावण ने शनि को कई वर्षों तक अपने कैद में रखा तो शनि देव बहुत कमजोर हो गये तब हनुमान जी ने शनि देव को लंका से फेक दिया जो इस स्थान पर आगिरे।
तभी से ऐसी मान्यता है की शनिचरा मंदिर मुरैना में लोहे का तत्व ज्यादा पाया जाने लगा एक और ज्योतिषीय मान्यता यह भी है की शनिवार के दिन लोहा घर पर खरीद के नहीं लाना चाहिए शनिवार के दिन जितना हो सके अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोहे का दान करने से शनिदेव की कुदृष्टि नहीं पड़ती है शनिदेव बहुत खुश हो जाते है।
शनिचरा मंदिर की मान्यता
मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित शनिश्चरा मंदिर के विषय में ऐसा कहा जाता है जब हनुमान जी ने लंका से शनि देव को फेंका तो एक पिंड इसी स्थान पर आ गया। जिसको साक्षात शनिदेव का स्वरूप माना जाता है।
देश विदेश से अनेकों भक्त यहां आते हैं शनिदेव की पूजा करते हैं उनसे गले लगाते हैं ऐसी भी मान्यता है की भक्तजन यहां आकर अपने पहने हुए कपड़े जूते बेल्ट यहीं छोड़ कर चले जाते हैं ऐसा करने से उनके ऊपर शनि की कुदृष्टि नहीं रहती है।
शनिश्चरा मंदिर में साक्षात शनिदेव का वास है शनि अमावस्याको इस स्थान पर बहुत बड़ा मेला भी लगता है देश विदेश से अनेको भक्त इस दिन शनि के दर्शन करने के लिए आते हैं।
शनि देव के आने से इस जगह में अधिक मात्रा में लोहा पाया जाने लगा।
यह शनिदेव की ही कृपा है जो शनि देव के आ जाने से मुरैना के आसपास के सभी क्षेत्रों में अधिक से अधिक मात्रा में जमीन से लोहा पाया जाने लगा स्थानीय लोग और भक्तों का यह विश्वास है कि यह सब शनिदेव का ही आशीर्वाद है।
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