तुलसी से जुड़ी कुछ बाते।Tulsi se judi kuch bate
तुलसी को हमारे धर्म मे बेहद पूजनीय माना जाता है
तुलसी के पेड़ और पत्ते का धार्मिक महत्तव होने के साथ ही तुलसी का
वैज्ञानिक महात्व भी है। तुलसी के पौधे को विज्ञान एक औषधि और एन्टी बैटिक
मानता है।सेहद की दृष्टि से देखे तो यह बेहद लाभकारी होता है।
तुलसी की उत्पत्ति
हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार प्राचीन काल मे एक राजा हुवा था जिसका नाम था
धर्मध्वज और उनकी पत्नी का नाम था माधबी ।दोनो ही बहुत प्रसन्न रहते थे,
बहुत खुश रहते थे।ऐसे ही बहुत खुशी से उनदोनो का जीवन चल रहा था।
एक दिन उनके घर मे कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक बहुत सुंदर कन्या ने जन्म लिया।
वो कन्या इतनी सुंदर थी की उसकी सुंदरता को देखते हुवे उस कन्या का तुलसी रख दिया।
तुलसी विवाह की कहानी
तुलसी बचपन से ही भगवान बिष परम भक्त थी।धीरे धीरे समय बीतता गया
कुछ समय बाद तुलसी बदरी बन में तप करने चली गई।तुलसी के तप करने कारण यह था कि
वो भगवान नारायण(विष्णु)को अपने पति के रूप में मिले।तुलसी की साधना से खुश होकर
ब्रम्हा जी तुलसी को बर मागनेको कहा।तुलसी ने बर में भगवान विष्णुको पति के रूप में
पाने का बर मागा।
उसके बाद तुलसी का विवाह एक शंख चूर्ण नामक परम ज्ञानी राजा से हुआ।शंखचूर्ण राजा ज्ञानी के साथ
साथ बहुत पराक्रमि भी था। उसने एक बार देवता के खिलाफ युद्ध छेड दिया । और युद्ध मे देवता
हराने लगे तो सभी देवता भगवान विष्णु की शरण मे गए।शंखचूर्ण को कोई भी तब तक नही हरा सकता था
जब तक उसकी पत्नी का पतिव्रत धर्म कोई भंग
जब तक उसकी पत्नी का पतिव्रत धर्म कोई भंग
नही करता बिष्णु भगवान ने शंखचूर्ण
का रूप लेकर तुलसी के पतिव्रत धर्म को भंग करदिया।जैसे ही तुलसी को पता चला कि ये मेरा
पति नही है तो तुलसी ने विष्णु भगवान को शीला(पत्थर) बनने का श्राप दिया।जिनको आज
हमलोग सालिग्राम के रूप में पूजा करते है।
तुलसी कि उत्त्पति के बिसय में अन्य कथाये भी है
लेकिन सबका सार एक ही है।
भगवान विष्णु की प्रिया है तुलसी
जब तुलसी ने बिष्नु को श्राप दिया तो तुलसी का क्रोध शांत करने के लिए भगवान बिष्णु ने तुलसी को
बरदान दिया तुम्हारी केशो से तुलसी का पेड़ उत्त्पन्न होगा और भविष्य में लोगो से पूजी जाओगी
और साथ ही मेरी पूजा में चड़ोगी।विष्णु भगवान ने यह भी कहा कि जो भी भक्त मेरी
पूजा में तुलसी नही चढ़ाएगा! तो उसकी पूजा कभी सफल नही होगी।
तुलसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
*कार्तिक महीने में तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है।
*तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
*स्त्रीयो को तुलसी की पूजा बिसेष रूप से करनी चाहिए।
*तुलसी को सारे पौधों में प्रधान माना जाता है।
तुलसी जी के अन्य नाम और अर्थ
*तुलसी -अदुतीय
*बृंदा-सभी पौधो की आदि देवी
*पुष्पसारा-हर पुष्प का सार
तुलसी का मंत्र
धयान मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी को जल चढ़ाने का मंत्र
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
धयान मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी को जल चढ़ाने का मंत्र
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।