15 मई 2019

shani dev ki katha|सारे दुखों से छुटकारा दिलाने वाला|शनिवार व्रत कथा

shani dev ki katha | सारे दुखों से छुटकारा दिलाने वाला | शनिवार व्रत कथा 


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शनिवार का व्रत क्यों करें ? शनि का व्रत किस प्रकार किया जाता है ? क्या शनिवार का व्रत करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं? शनि की उपासना करने से शनि से संबंधित सारी परेशानियां मिट जाएगी? सनिदेव का व्रत करने से शनि देव कैसे प्रसन्न होंगे? इसमें ऐसी कौन सी खास बात है जिसको करने से सारी परेशानियां मिट जाएगी? shani dev 
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सभी प्रकार के  दुखों से छुटकारा दिलाने वाला है शनिवार का         व्रत
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 शनि देव के कारण यदि कोई बहुत बड़ी परेशानी आ रही है रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है  सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन जैसे ही शनि देव की दशा आ गई  सारी व्यवस्थाएं बिगड़ गई व्यापार बिगड़ गया अपनों ने साथ छोड़ दिया।



शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां आने लगी सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा होने लगी यदि इस प्रकार की समस्याएं आ रही है तो हमें विश्वास है शनिवार का व्रत करने से  आपके इन सारी परेशानियां शनि देव जरूर दूर करेंगे शनिवार का व्रत शुरू करने से पहले शनिवार की  व्रत कथा को जानते हैं ।
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शनिवार व्रत कथा Shani dev ki katha
एक बार पूरे नौ ग्रहों में आपस में झगड़ा हो गया  सूर्य कहता है मैं सबसे बड़ा हूं क्योंकि मैं पूरी दुनिया को रोशनी से भर देता हूं इसलिए सबसे बड़ा मैं हूं चंद्रमा  कहता है मैं मन का कारक हूं मैं लोगों के मन को संचालित करता हूं इसीलिए मैं सबसे बड़ा हूं सभी ग्रह अपनी-अपनी विशेषताओं को प्रकट करने लगे और आपस में लड़ने झगड़ने लगे।shani dev | shani mantra | shani dev story | shani dev mantra
 इस बात की पुष्टि नहीं हुई की सबसे बड़ा ग्रह कौन है इस समस्या को लेकर सभी ग्रह देवराज इंद्र के पास चले गए सभी ग्रहों ने देवराज इंद्र को प्रणाम किया सभी ग्रहों ने देवराज इंद्र से कहा हे देवराज इंद्र आप यह निर्णय कीजिए कि हम सभी नौ ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह कौन है।

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 ग्रहों की बात सुनकर देवराज इंद्र पहले तो घबरा गए फिर कहा मेरे अंदर इतनी सामर्थ्य नहीं है कि मैं किसी को बड़ा कहूं और किसी को छोटा कहूं  एक रास्ता जरूर है जो आप लोगों की समस्याको दूर करेगा 
देवराज इंद्र ने कहा तुम सब राजा विक्रमादित्य के पास चले जाओ जो इस समय पृथ्वी के राजा हैं वही तुम्हारे इस समस्या का समाधान करेंगे देवराज इंद्र की बात सुनकर  सारे ग्रह राजा विक्रमादित्य के पास चले गए और अपनी  समस्या का समाधान करने को कहा।
 ग्रहों की बात सुनकर राजा को बहुत चिंता हुई राजा सोच में पड़ गए कि मैं किस को बड़ा बताऊं और किसको छोटा ! मैं जिसको बड़ा बताऊंगा वह तो मुझ पर प्रसन्न हो जाएगा लेकिन जिसको भी मैं छोटा बताऊंगा वह मुझसे नाराज हो जाएगा और मुझ पर अपनी  कुदृष्टि डालेगा राजा ने मन ही मन सोचा मुझे इस समस्या का समाधान तो करना ही पड़ेगा क्योंकि मैं राजा हूं।
राजाने  9 धातुओं  स्वर्ण, रजत, कांसा, तांबा, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक, व लोहे के 9आसन बनवाए  आसनों को क्रम से लगाया लोहा जो सामान्य धातु है उसको सबसे आखरी में लगवाया और 9 ग्रहों से कहा आप सभी अपनी अपनी सिंहासन में बैठ जाइए जो सबसे पहली वाली आसन पर बैठेगा वह सबसे बड़ा ग्रह होगा और जो सबसे आखरी वाली आसन पर बैठेगा वह सबसे छोटा ग्रह माना जाएगा।

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  शनि देव को सारी बातें समझ में आ गई शनिदेव समझ गए कि राजा ने मुझे सबसे छोटा ग्रह बनवाया शनि देव को बहुत गुस्सा आया फिर शनिदेव ने राजा से कहा ए मूर्ख राजा! तूने मुझे सबसे छोटा ग्रह  बना दिया तुम्हे सायद  मालूम नहीं  एक राशि में सूर्य सिर्फ एक महीना रहता है चंद्रमा सवा 2 दिन  मंगल डेढ़ महीना, बुध 1 माह, बृहस्पति 13 महीना,  शुक्र1 माह तक राशि में  रहते हैं।

 लेकिन मैं एक राशि में ढाई साल तक रहता हूं और साढ़े सात साल तक परेशान करता हु उस अवधी  में मैं बड़े से बड़े देवताओं को बड़े से बड़े राजाओं को भीषण दुख देता हूं उनका जीवन अस्तव्यस्त कर देता हूं  अगर तुम जानना चाहते हो तो सुनो मैंने किस किसको दुख दिया  भगवान राम को साढेसाती आई तो उनको 14 वर्ष का वनवास भोगना पड़ा  लंका के राजा रावण पर साढ़ेसाती आई तो राम ने पूरी रावण और उसकी लंका को ध्वस्त कर दिया।

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शनि देव ने राजा से कहा हे राजन अब तुम सावधान रहना जब तुम्हारी राशि पर आऊंगा तो तुम्हें बर्बाद कर दूंगा सारे ग्रह  प्रसन्नता पूर्वक अपने अपने घर चले गए लेकिन शनि देव बड़े ही क्रोधित और दुखी होकर वहां से गये ।

कुछ समय बीत जाने पर जब  राजा को शनि देव की दशा का आई तो शनि देव घोड़ों के व्यापारी बनकर राजा के  राज्य में आगये  राजा ने उनसे एक घोड़ा खरीद लिया  जैसे ही राजा उस घोड़े पर बैठ गए उस घोड़े ने  इतनी तेजी से दौड़ लगाई और दूर जंगल में लेजाकर राजा को फेक दिया फिर घोडा अंतर्ध्यान हो गया

राजा को बहुत अचंभा लगा राजा अपने राज्य में लौटने के लिए जंगल में भटकते रह गए लेकिन अपने राजमहल  नहीं जा सके। बहुत देर तक इधर-उधर भटकने के बाद राजा को एक चरवाहा मिला राजा ने उससे पानी मांगकर पिया और बदले में अपनी एक अंगूठी दी फिर जंगल से बाहर निकलने का रास्ता पूछा।

जंगल से बाहर निकलकर राजा एक सेठ के पास पहुंच गए और कुछ देर वहीं पर आराम करने लगे राजा ने सेठ को अपनी सारी बातें बताई राजा जितनी देर सेठ के पास रुके उतनी देर सेठ की दुकान में अधिक  बिक्री हुई सेट को ऐसा लगा कि राजा के आने से उसकी दुकान में ज्यादा बिक्री हुई अतः यह बहुत ही भाग्यवान है  सेठ राजा को अपने घर ले गया।shani dev | shani mantra | shani dev story | shani dev mantra

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सेठ के घर एक कमरे में एक हार खूंटी पर लटका हुआ था सेठ ने राजा से कहा आप इसी कमरे में विश्राम कीजिए मैं कुछ देर में आता हूं इतना कहकर सेट कमरे से बाहर चला गया।
उसी समय एक घटना घटी जिस खूंटी पर हार टंगा हुआ था वह खूंटी धीरे-धीरे हार को निगल रहा था जैसे ही सेठ उस कमरे में आया तो सेठ ने देखा हार खूंटी पर नहीं है

 सेठ ने राजा को चोर समझा और राजा के हाथ पैर बांधकर पैर बांधकर उसी नगर के राजा के पास ले गए और राजा ने  विक्रमादित्य को चोर करार देते हुए उनके हाथ पैर कटवा दिए फिर विक्रमादित्य को खुली सड़क पर छोड़ दिया।राजा ने बहुत कष्ट झेले


1 दिन उसी रास्ते से एक तेली गुजर रहा था तेली ने जब राजा की ऐसी हालत देखी तो राजा को तेली अपने साथ ले गया। राजा एक दिन उसी तेली के घर में बैठकर मल्हार गा रहे थे उसी मार्ग से राजा की लड़की राजकुमारी जा रही थी मल्हार को सुनकर राजकुमारी राजा पर मोहित हो गई और विक्रमादित्य से विवाह करने का फैसला कर लिया। राजकुमारी ने अपने पिता से विक्रमादित्य से शादी करने की बात कही राजा पहले तो बहुत नाराज हुए लेकिन अपनी बेटी के जीत के आगे झुक गए और विक्रमादित्य और राजकुमारी का विवाह करा दिया

विक्रमादित्य के ऊपर से शनि की दशा भी समाप्त हो रही थी फिर 1 दिन शनि देव विक्रमादित्य के सपने में आए और राजा से कहा आपने मुझे सबसे छोटा बना दिया था  इसलिए मैंने आपको इतना कष्ट दिया  आपको इतना दुख झेलना पड़ा शनि देव ने राजा से कहा यह सब मेरे ही क्रोध के कारण हुआ है
फिर राजा ने शनि देव के सामने हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया हे शनिदेव आपने जितना भी कष्ट मुझे दिया है वह सब किसी और को मत देना ।

शनि देव ने राजा से कहा जो भी भक्त मेरी इस कथा को सुनेगा शनिवार का व्रत पूजन आदि करेगा उसके ऊपर मेरी हमेशा कृपा बनी रहेगी यहां तक कि मेरी साढ़ेसाती की दशा में उसे कोई भी दुख नहीं होगा बल्कि मेरी दशा में  मेरी उसको हर प्रकार का सुख मिलेगा 

जब सुबह राजा की आंख खुली तो उनके कटे हुए हाथ पैर वापस आ गए थे। राजा के शरीर के सारे घाव भर गए थे राजा बहुत खुश हुये वे अपनी राजधानी उज्जैन  वापस आ गए और शनि की महिमा सभी को बताइए और राजा ने कहा पूरे सारे नवग्रहों में सबसे श्रेष्ठ और सबसे बड़ा शनि देव ही हैं

जिस पर शनिदेव की कृपा होती है वह जीवन में बहुत सारी तरक्की करता है और जिस पर शनिदेव नाराज हो जाते हैं उसका जीवन बर्बाद और अस्तव्यस्त कर देते हैं कहीं का नहीं छोड़ते इसीलिएशनिदेव से डरना नहीं चाहिए बल्कि उनका सम्मान करना चाहिये 

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