22 जून 2022

Batuk bhairav | बटुक भैरव चालीसा का चमत्कारिक पाठ आश्चर्यजनक रूप से बचाता है

Batuk bhairav | बटुक भैरव चालीसा का चमत्कारिक पाठ और रहस्य 

कम समय में जल्दी प्रसन्न  होने वाले भगवान बटुक भैरव इनकी साधना थोड़ी कठिन जरूर है लेकिन मुश्किल नहीं एक बार बटुक भैरव प्रसन्न हो गए तो उनका जीवन खुशियों से भर जाएगा उस व्यक्ति को सिद्धि प्राप्त हो जाएगी बटुक भैरव कौन है? उनकी उत्पत्ति कैसे हुई? बटुक भैरव को इतनी सारी शक्तियां कैसे मिली? और उनकी साधना हम जैसे आम लोग कैसे करें उनकी साधना की सही विधि क्या है इस लेख में  जानेंगे।


Batuk bhairav kaun hai । बटुक भैरव कौन है ?



वैसे तो बटुक भैरव को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है लेकिन उनकी उत्त्पत्ति कैसे हुई इसके पीछे एक धार्मिक कथा है।


कथा के अनुसार एक दानव था जिसका नाम आपद् था उसने तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया ब्रह्मा जी ने कहा वरदान मागों तो उसने वरदान में मांगा मेरी मृत्यु सिर्फ पांच साल के बालक के हाथों से हो और कोई मुझे मार न सके । ब्रह्मा जी तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गये।


आपद् राक्षस का आतंक बढ़ता गया सभी देवता उससे परेशान होगये उसके आतंक से छुटकारा पाने के लिये देवता आपस मे विचार करही रहे थे उसी समय देवताओं के शरीर से एक तेज उत्पन्न  हुआ देवताओं के तेज से एक बालक का जन्म हुआ जिसको आप और हम  बटुक भैरव के नाम से जानते हैंउस छोटे बालक ने आपद् नामक राक्षस का  वध करके समस्त पृथ्वी को भय मुक्त कर दिया।आपद् नामक राक्षस को मारने के कारण इनको आपदुद्धारक बटुक भैरव भी कहते है।


Batuk bhairav ki itni saari shakti kaise mili I बटुक भैरव को इतनी सारी शक्तियां कैसे मिली


सभी देवताओं के तेज से उत्पन्न  होने के कारण इनके अंदर सभी प्रकार की शक्तियां पहले से ही थी बटुक भैरव भगवान शिव के क्रोधावतार का ही दूसरा स्वरूप है । इनकी उत्पत्ति इसीलिए हुई थी संसार में हो रही भ्रष्टाचार  को खत्म कर सके। लोगों के दुख दूर कर सकें जो मनुष्य बटुक भैरव की साधना पूजा करते हैं उनको दुख छू भी नहीं सकता शत्रु हार जाएंगे आपकी जीत  हो जाएगी 


Batuk bhairav ki puja kaise kare । बटुक भैरव की पूजा कैसे करें?


बटुक भगवान की पूजा को लेकर OURBHAKTI.COM के पास कोई ठोश प्रमाण तो नहीं है फिर भी ऐसी मान्यता है कि बटुक भगवान की पूजा दिन में नही करनी चाहिये इनकी पूजा रातको 9 बजे के बाद करनी चाहिये इनकी पूजा करते समय आपको लाल कपड़ा पहनना है लाल रंग के आसन में ही बैठना है। 


पहले अपने गुरु का ध्यान करे उसके बाद इष्टदेव का स्मरण करे फिर तेल का दीपक जलाये एक कलश रहे उसकी पूजा करें कलश पूजा के बाद गणेश पूजा करे अंत मे श्री बटुक भैरव भगवान का पूजन करें। उनको दूध से बनी वस्तु का भोग लगाएं लाल वस्त्र चढ़ाये । पूजा पूर्ण होने के बाद बटुक भैरव के मंत्रों का कम से कम 11 माला जप करे।

जप मंत्र - ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं'

बटुक भैरव की साधना करने का एक और लाभ भी है जिनको राहु केतु या शनि की साढ़ेसाती परेशान कर रही हो उनके लिए बटुक भैरव की साधना बहुत ही लाभकारी होती है।

 Batuk bhairav Chalisa | बटुक भैरव चालीसा 

॥ दोहा ॥

विश्वनाथ को सुमिर मन,धर गणेश का ध्यान।

भैरव चालीसा रचूं,कृपा करहु भगवान॥

बटुकनाथ भैरव भजू,श्री काली के लाल।

छीतरमल पर कर कृपा,काशी के कुतवाल॥


॥ चौपाई ॥

जय जय श्रीकाली के लाला।रहो दास पर सदा दयाला॥

भैरव भीषण भीम कपाली।क्रोधवन्त लोचन में लाली॥


कर त्रिशूल है कठिन कराला।गल में प्रभु मुण्डन की माला॥

कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला।पीकर मद रहता मतवाला॥


रुद्र बटुक भक्तन के संगी।प्रेत नाथ भूतेश भुजंगी॥

त्रैलतेश है नाम तुम्हारा।चक्र तुण्ड अमरेश पियारा॥


शेखरचंद्र कपाल बिराजे।स्वान सवारी पै प्रभु गाजे॥

शिव नकुलेश चण्ड हो स्वामी।बैजनाथ प्रभु नमो नमामी॥


अश्वनाथ क्रोधेश बखाने।भैरों काल जगत ने जाने॥

गायत्री कहैं निमिष दिगम्बर।जगन्नाथ उन्नत आडम्बर॥


क्षेत्रपाल दसपाण कहाये।मंजुल उमानन्द कहलाये॥

चक्रनाथ भक्तन हितकारी।कहैं त्र्यम्बक सब नर नारी॥


संहारक सुनन्द तव नामा।करहु भक्त के पूरण कामा॥

नाथ पिशाचन के हो प्यारे।संकट मेटहु सकल हमारे॥


कृत्यायु सुन्दर आनन्दा।भक्त जनन के काटहु फन्दा॥

कारण लम्ब आप भय भंजन।नमोनाथ जय जनमन रंजन॥


हो तुम देव त्रिलोचन नाथा।भक्त चरण में नावत माथा॥

त्वं अशतांग रुद्र के लाला।महाकाल कालों के काला॥


ताप विमोचन अरि दल नासा।भाल चन्द्रमा करहि प्रकाशा॥

श्वेत काल अरु लाल शरीरा।मस्तक मुकुट शीश पर चीरा॥


काली के लाला बलधारी।कहाँ तक शोभा कहूँ तुम्हारी॥

शंकर के अवतार कृपाला।रहो चकाचक पी मद प्याला॥


शंकर के अवतार कृपाला।बटुक नाथ चेटक दिखलाओ॥

रवि के दिन जन भोग लगावें।धूप दीप नैवेद्य चढ़ावें॥


दरशन करके भक्त सिहावें।दारुड़ा की धार पिलावें॥

मठ में सुन्दर लटकत झावा।सिद्ध कार्य कर भैरों बाबा॥


नाथ आपका यश नहीं थोड़ा।करमें सुभग सुशोभित कोड़ा॥

कटि घूँघरा सुरीले बाजत।कंचनमय सिंहासन राजत॥


नर नारी सब तुमको ध्यावहिं।मनवांछित इच्छाफल पावहिं॥

भोपा हैं आपके पुजारी।करें आरती सेवा भारी॥


भैरव भात आपका गाऊँ।बार बार पद शीश नवाऊँ॥

आपहि वारे छीजन धाये।ऐलादी ने रूदन मचाये॥


बहन त्यागि भाई कहाँ जावे।तो बिन को मोहि भात पिन्हावे॥

रोये बटुक नाथ करुणा कर।गये हिवारे मैं तुम जाकर॥


दुखित भई ऐलादी बाला।तब हर का सिंहासन हाला॥

समय व्याह का जिस दिन आया।प्रभु ने तुमको तुरत पठाया॥


विष्णु कही मत विलम्ब लगाओ।तीन दिवस को भैरव जाओ॥

दल पठान संग लेकर धाया।ऐलादी को भात पिन्हाया॥


पूरन आस बहन की कीनी।सुर्ख चुन्दरी सिर धर दीनी ॥

भात भेरा लौटे गुण ग्रामी।नमो नमामी अन्तर्यामी॥


॥ दोहा ॥

जय जय जय भैरव बटुक,स्वामी संकट टार।

कृपा दास पर कीजिए,शंकर के अवतार॥

जो यह चालीसा पढे,प्रेम सहित सत बार।

उस घर सर्वानन्द हों,वैभव बढ़ें अपार॥

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