जनेऊ धारण क्यों करते है | Janey kyu pehenne he
अलग अलग स्थानो में जनेऊ को अलग अलग नामो से पुकारा जाता है जैसे-यज्ञोपवीत, व्रतबंध,उपवीत आदि।यज्ञोपवीत संस्कार हमारे हिन्दू सनातन धर्म के 24 संस्कारों में से एक है। प्रचीन काल मे अपने से छोटे को शिष्य बनाने के लिए दिक्षा दीजाती थी ।प्राचीन काल में गुरु से कुछ सीखने से पहले यह दिक्षा
दिजाती थी इसी को ही आज हम लोग यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से जानते है।
जनेऊ धारण का उद्देस्य | janeu pahane ka udeshya
जनेऊ धारण करने का उद्देश्य गुरु शिष्य परंपरा को बनाये रखना है।जनेऊ को व्रतबंध भी कहते है व्रतबंध का सामान्य अर्थ है नियमो में बँध जाना ,की जनेऊ धारि जो भी कर्म करेगा मर्यादा में रहकर करेगा।
हमारे सनातन धर्म मे आयु की बृद्धि हेतु,गायत्री मंत्र हेतू और वेद पाठ का अधिकारी बनने के लिए भी उपनयन संस्कार करना परम आवश्यक है।सनातन धर्म के अनुसार जो व्यक्ति दिशाहीन है उसको उचित दिशा दिना ही दिक्षा
कहा गया है।
विज्ञान भी मानता है जनेऊ को
आज कल के युवा पीढ़ी को हर तर्क के पीछे वैज्ञानिक कारण चाहिए ।जनेऊ तो पूर्ण रूप से वैग्यानिक तर्को पर खरा उतरता है।विज्ञान भी यह मानता है कि जी भी व्यक्ति जनेऊ पहनता है वो औरो की क्षमता अधिक बुद्धिमान,तेजस्वी,निरोग होता है इस बात को कोई भी नकार नही सकता।
ऐसी भी मान्यता है कि जो भी कोई जनेऊ धारि है उसके समकक्ष बुरी आत्माये कभी नही आती है ।इसके पीछे का कारण यही है कि जनेऊ पेहेनेवाला खुद ही इतना पवित्र और शुद्ध हो जाता है तो फिर बुरी आत्माये उस जनेऊ धारि पर कैसे आसकती है।
जनेऊ पहनने का महत्व । Janeu pahanne ka mahatwa
धार्मिक महत्व:
उपनयन संस्कार: जनेऊ धारण करने का सबसे महत्वपूर्ण कारण उपनयन संस्कार है, जो एक प्राचीन हिंदू संस्कार है। इस संस्कार में, व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करने और वेदों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
त्रिरण: जनेऊ के तीन धागे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माने जाते हैं। देवऋण का अर्थ है देवताओं के प्रति हमारा ऋण, पितृऋण का अर्थ है हमारे पूर्वजों के प्रति हमारा ऋण और ऋषिऋण का अर्थ है ऋषियों के प्रति हमारा ऋण। जनेऊ धारण करने से व्यक्ति इन ऋणों को चुकाने का प्रयास करता है।
पवित्रता: जनेऊ को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से दूर रहने और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
जनेऊ पहनने का वैज्ञानिक महत्व । Janeu pahanne ka scientific karan
ऊर्जा: जनेऊ के तीन धागे सूक्ष्म ऊर्जा का संचार करते हैं, जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
एकाग्रता: जनेऊ धारण करने से मन एकाग्र होता है और व्यक्ति को ध्यान करने में आसानी होती है।
पाचन: जनेऊ धारण करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है।
जनेऊ पहनने का सामाजिक महत्व । Janeu ka samajik mahatwa
समाज में स्थान: जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
जिम्मेदारी: जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का बोध होता है।
संस्कार: जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का पालन करने का प्रेरणा मिलती है।
जनेऊ पहनने का नियम । Janeu pahanne ka niyam
- जनेऊ को हमेशा स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए।
- जनेऊ को हमेशा बाएं कंधे से दायें कंधे की ओर लपेटना चाहिए।
- जनेऊ को हमेशा साफ और स्वच्छ रखना चाहिए।
- जनेऊ को हमेशा सम्मान के साथ धारण करना चाहिए।
- जनेऊ धारण करने के कई लाभ हैं। यह व्यक्ति को धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से लाभान्वित करता है।