30 जुल॰ 2018

जनेऊ धारण क्यों करते है?Janey kyu pehenne he?

जनेऊ धारण क्यों करते है?Janey kyu pehenne he?

अलग अलग स्थानो में जनेऊ को अलग अलग नामो से पुकारा जाता है जैसे-यज्ञोपवीत, व्रतबंध,उपवीत आदि
जनेऊ धारण क्यों करते है?Janey kyu pehenne he?
      यज्ञोपवीत संस्कार हमारे हिन्दू सनातन धर्म के 24 संस्कारों में से एक है।

क्यों पहना चाहिए जनेऊ?kyu pahana chahiye janeu

प्रचीन काल मे अपने से छोटे को शिष्य बनाने के लिए दिक्षा दीजाती थी ।प्राचीन काल में गुरु से कुछ सीखने से पहले यह दिक्षा
दिजाती थी इसी को ही आज हम लोग यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से जानते है।

जनेऊ धारण का उद्देस्य

जनेऊ धारण करने का उद्देश्य गुरु शिष्य परंपरा को बनाये रखना है।
‌  जनेऊ को व्रतबंध भी कहते है व्रतबंध का सामान्य अर्थ है नियमो में बँध जाना ,की जनेऊ धारि जो भी कर्म करेगा मर्यादा में रहकर करेगा।
‌हमारे सनातन धर्म मे आयु की बृद्धि हेतु,गायत्री मंत्र हेतू और वेद पाठ का अधिकारी बनने के लिए भी उपनयन संस्कार करना परम आवश्यक है।सनातन धर्म के अनुसार जो व्यक्ति दिशाहीन है उसको उचित दिशा दिना ही दिक्षा
‌कहा गया है।

‌विज्ञान भी मानता है जनेऊ को

‌आज कल के युवा पीढ़ी को हर तर्क के पीछे वैज्ञानिक कारण चाहिए ।जनेऊ तो पूर्ण रूप से वैग्यानिक तर्को पर खरा उतरता है।विज्ञान भी यह मानता है कि जी भी  व्यक्ति जनेऊ पहनता है वो औरो की क्षमता अधिक बुद्धिमान, तेजस्वी,निरोग होता है इस बात को कोई भी नकार नही सकता।
‌ऐसी भी मान्यता है कि जो भी कोई जनेऊ धारि है उसके समकक्ष बुरी आत्माये कभी नही आती है ।इसके पीछे का कारण यही है कि जनेऊ पेहेनेवाला खुद ही इतना पवित्र और शुद्ध हो जाता है तो फिर बुरी आत्माये उस जनेऊ धारि पर कैसे आसकती है।