28 अक्तू॰ 2018

माँ काली का रंग कैसे हुआ काला जाने | Mata kali ka rang kala kaise huwa

Mata kali ka rang kala kaise huwa | माँ काली का रंग कैसे हुआ काला जाने

Mata kali ka rang kala kaise huwa


माँ काली का रंग कैसे हुआ काला काली कौन है? इनका  का जन्म कैसे हुआ? क्यों रखा माँ काली ने भगवन शिव के ऊपर पैर  इतनी शक्तिया इनके पास कहा से आई? Mata kali ka rang kala kaise huwa

इन सब बातों को जानना हमारे लिये बहुत आवश्यक हैं मां काली नव दुर्गा में से एक है , इनका  स्वरुप देखने में बहुत भयानक लगता है

मां काली दिखने में जितनी भयानक लगती  है उतनी ही जल्दी भक्तों पर प्रसन्न भी हो जाती है | ऐसा माना जाता है जो भक्त पूरी श्रद्धा से maa kali ki puja पूजा करते  है उन पर मां शीघ्र प्रसन्न हो जाती है।

माता काली का रंग इतना काला कैसे हुआ | mata kali ka rang itna kala kyu

माँ काली की काला रंग होने की कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं में शामिल है। देवी काली को शक्ति और विनाश की देवी माना जाता है। उनके काले रंग के पीछे कई तात्त्विक और आध्यात्मिक अर्थ हैं, जो मुख्यतः निम्नलिखित हैं:

अंधकार और प्रकाश: काली का काला रंग अंधकार का प्रतीक है, लेकिन यह अंधकार केवल विनाश को नहीं दर्शाता, बल्कि सृष्टि की शक्ति और परिवर्तन का भी प्रतीक है। वो अंधकार में से प्रकाश को निकालने वाली देवी मानी जाती हैं।

दूसरी शक्तियों का वर्धन: जब देवी दुर्गा ने राक्षस शिकंद के साथ युद्ध किया, तब उन्होंने अत्यधिक आक्रामक रूप धारण किया, जो देखने में काला था। इस रूप में, वे अपने दुश्मनों का नाश करती हैं और फिर अपने भक्तों के लिए सुरक्षा का प्रतीक बनती हैं।

सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व: काली का रंग दरअसल उनके अंतःकरण की गहराई का भी प्रतीक है। यह दर्शाता है कि उनकी शक्ति में अपार गंभीरता और विशालता है।

संकट से मुक्ति: काली को संकट से मुक्ति के लिए भी पूजा जाता है। काली का काला रंग दर्शाता है कि वे हर प्रकार के संकटों और कठिनाईयों को समाप्त करने की शक्ति रखती हैं।

कुल मिलाकर, माँ काली का काला रंग उनके शक्तिशाली, विनाशकारी और पुनर्जागरणकारी स्वरूप की पहचान है। उनकी पूजा शक्ति, साहस और भक्ति के प्रतीक के रूप में की जाती है।



kali ka janma kaise huwa| मां काली का जन्म कैसे हुआ 


लिंग पुराण में एक कथा आती है दारूक नाम का एक राक्षस था जो सभी को सताया करता था उसके आतंक से भयभीत होकर सभी देवता कैलाश पर्वत चले गए

फिर सभी देवताओं ने भगवान शंकर से अपनी समस्या को कहा भगवान शंकर थोड़ा मुस्कुराते हुए मां भगवती की और देखा

फिर माता पार्वती ने अपने अंश को भगवान शंकर के कंठ में प्रवेश कराया । भगवान शंकर के कंठ में विष था इसीलिए एक भयंकर शक्ति का जन्म हुआ

जिनको हम मां काली(ma kali) के नाम से जानते हैं। फिर काली ने उस दारुक नामक राक्षस का अंत कर दिया इस प्रकार माता काली का जन्म हुआ।



maa kali janma ki aur kathaye | मां काली के जन्म की और कथाएं 


एक कथा मार्कंडेय पुराण में आती है शुंभ और निशुंभ नाम के दो राक्षस थे उन राक्षस के आतंक से भयभीत होकर देवताओं ने देवी की स्तुति की
माँ काली का रंग कैसे हुआ काला जाने | Mata kali ka rang kala kaise huwa

फिर मां पार्वती के शरीर से कौशिकी उत्पन्न हो गई जिसके पृथक होते ही पार्वती का स्वरूप काला हो गया इसीलिए मां पार्वती काली  के नाम से भी विख्यात हुई।

काली के चार रूप

मां काली आदि शक्तियों का ही एक स्वरुप है इनके चार रूप हैं

  1.  दक्षिणा काली
  2.  स्मशान काली,
  3.  मात्री काली
  4.  महाकाली


काली माँ ने शिव के ऊपर पैर क्यों रखा ?

मां काली  ने आखिर क्यों रखा भगवान शंकर के ऊपर अपना पैर? मां काली का अवतार ही राक्षसों का सर्वनाश करने के लिए हुआ है

मां काली का क्रोध इतना भयंकर है कि उनसे सभी भयभीत हो जाते हैं, मां काली के क्रोध को शांत करने के लिए ही भगवान शंकर पृथ्वी लेट गए थे । 

माँ काली  ने रक्तबीज नामक दैत्य को मार डाला फिर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तब भगवान शिव पृथ्वी पर लेट गए और  माता काली ने शिव के ऊपर पैर रखा।
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kali puja kaise kare |  काली की पूजा कैसे करे 


बहुत सारे लोग मां का स्वरूप देखते ही डर जाते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए काली तो भक्तों के ऊपर कृपा करती हैं उनकी रक्षा करती हैं और सभी प्रकार के मनोरथ को पूरा करती है।

जिस प्रकार से हम अन्य देवी देवताओं का पूजन करते हैं ठीक उसी प्रकार से पूजन करें मां काली को लाल  रंग का पुष्प और काले रंग का कपड़ा बहुत प्रिय है।

मां काली का सामान्य पूजन तो कोई भी कर सकता है परंतु तंत्र पूजा का बहुत बड़ा महत्व है ऐसी मान्यता है की तंत्र पूजा बिना गुरु के संरक्षण में कभी नहीं करना चाहिए वरना इससे हानि भी होती है। माँ काली का विशेष पूजन मध्य रात्रि में होता है।

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