13 सित॰ 2020

अधिक पूजा पाठ करने वाले दुखी क्यों? | pujapath karne wala dukhi kyu?

 jyada puja karne wala hi dukhi kyu | ज्यादा पूजा करने वाला ही दुखी क्यों ?


अधिक पूजा पाठ करने वाले  दुखी क्यों? | pujapath karne wala dukhi kyu?

बहुत बार ऐसा देखने को मिलता है जो ज्यादा भगवान का पूजा पाठ करता है वही सबसे ज्यादा दुखी होता हैं जबकि कोई नास्तिक आदमी जो भगवान को नहीं मानता कभी पूजा-पाठ नहीं करता कभी संतों का संग नहीं करता वह सबसे ज्यादा सुखी जीवन जीता है

यह सब चीजें देख कर कभी कभी तो ऐसा लगता है कि भगवान ही गलत है भगवान का न्याय ही गलत है यह कोई कहानी नहीं है ऐसा हर किसी के साथ होता है

चलिए आज मैं आपको इसके पीछे का कारण बता देता हूं आखिर क्यों भगवान को मानने वाला व्यक्ति सबसे ज्यादा दुखी होता है  

ज्यादा  पूजा पाठ करने वाला दुखी क्यों? | puja path karne wala hi dukhi kyu?

एक गुरु के दो चेले थे दोनों ही पढ़े-लिखे विद्वान थे दोनों में फर्क सिर्फ इतना था एक भगवान को मानने वाला था और दूसरा भगवान को न मानने वाला नास्तिक था

एक ऐसा था जहां पर भगवान की कथा होती थी जहां सत्संग होता था जहां भजन होता वहां दौड़ के चला जाता और भगवान की पूजा पाठ करने लगता 

 दूसरा शिष्य इन सब चीजो से काफी दूर था वह शराब पान भी करता था वेश्याओं के साथ गमन  करता था सारी बुरी आदतें दूसरे शिष्य मे थी।

puja path karne wala hi dukhi kyu

एक दिन क्या हुआ एक शिष्य शराब पीकर अनाप शनाप बोलते हुये रास्ते में पैदल चलते हुए अपने घर को जा रहा था अचानक उसको रास्ते मे पैसों से भरा एक बैग मिल जाता है।

उसकी खुशी का ठिकाना नहीं वह जोर जोर से चिल्लाते हुए सबको बताता मुझे आज पैसों से भरी बैग की थैली मिल गई मेरा जीवन सफल हो गया इन पैसों से अपने जीवनकी आवश्कतावो की पूर्ति करूँगा।

a;so read...ये हैं खुश रहने का आसान तरीका क्या हैं 

वही दूसरा मित्र मंदिर से भजन  करते हुए अपने घर को जा रहा था अचानक उसकी पैर में एक बड़ी कील चुभ  जाती है रक्त निकलने लगता है

ठीक उसी समय दूसरा शिष्य भी वही पहुचता है और हँसते हुये उसको बोलने लगता है  क्यों तुम्ही होना जो सबसे ज्यादा पूजा पाठ करते हो

भगवान का भजन करते हो क्या दिया तुम्हारे भगवान ने तुम्हे मुझे देखो मैं कभी मंदिर नही गया मैंने कोई भी काम अच्छा नही किया

मेरे घर मे  भगवान का मंदिर भी नही है मैने कभी अपने घर मे सत्यनारायण का कथा नहीं कराया भगवान के सामने कभी माथा नहीं टेका 

फिर भी मैं कितना संपन्न हूं अमीर हूं मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है सबसे ज्यादा सुखी जीवन में ही जी रहा हूं।

अच्छे शिष्य को उसकी बात चुभने लगी उसने मन ही मन विचार किया हां यह तो सच बोल रहा है मैं कितना पूजा करता हूं मैं कितना भगवान को याद करता हूं फिर भी मैं इतना दुखी हूं

 और वह कुछ नहीं करता फिर भी कितना सुखी है इतना सोचते हुए वह अपने गुरु के पास चला जाता हैं और यही प्रश्न गुरु से करता हैं।

गुरुजी मुस्कुराते हुये बोले भगवान जो करते है अच्छे के लिये ही करते हैं जिसकी जैसी योग्यता होती है उसको उसी के अनुसार फल देते है ।

अब तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर तुम जानते हो भगवान ने तुम्हारे पैर में कील क्यों चुभाई और उसको पैसों से भरि हुयी बैग क्यों मिली सुनो ।

तुमने पिछले जन्म में बहुत पाप किया था इसलिये तुम्हारी आज मौत होने वाली थी तुम बच गए क्यों कि तुम मंदिर गए थे तुमने भगवान की पूजा की थी यही एक करण हैं की  तुम्हारी मौत न होकर सिर्फ एक कील चुभी।

अब तुम्हारे मित्र की बात करते है  पूर्व जन्म में वो एक संत महापुरुष था इसलये उसकी आज किस्मत बदलने वाली थी 

करोडों के संपत्ति का मालिक बनने वाला था ! मगर इस जन्म में उसने कोई भी अच्छा काम नही किया इसलिए पूर्व जन्म के फल के अनुसार उसको थोड़े पैसे ही मीले जबकि वो अरबों के संपत्ति का मालिक बनने वाला था 

भगवान् को दोष देना छोड़ दो अपने वर्त्तमान के समय का सदुपयोग करो भविष्य अपने आप सुधर जाएगा 

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