grah nakshatra ka sharir me prahav | शरीर में ग्रह नक्षत्र कैसे डालते हैं अपना प्रभाव
हमारे शरीर के हरेक अंग में ग्रहों का निवाश है सर से लेकर पैर तक कोई न कोई नक्षत्र निवास करता हैं । जब भी शरीर का कोई अंग बीमार पड़ता है या कमजोर होता है तो हमे ये समझना चाहिये की उस अंग से संबंधित ग्रह नक्षत्र पीड़ित है। अगर हम उस ग्रह नक्षत्र का उपाय करते है तो हमे लाभ अवश्य मिलेगा।
grah nakshatra ka sharir me prahav kaise padhta hain | ग्रह नक्षत्र का शरीर में कैसे प्रभाव पढता हैं
जैसे- कभी कभी सर में बहुत दर्द होता है उस दर्द से छुटकारा पाने के लिये हम बहुत कोशिस करते है डॉक्टर से दवाई भी लाकर खाते है फिर भी सर दर्द से छुटकारा नही मिलता
ऐसे में अगर हम उस नक्षत्र का उपाय करते है तो हमे सर दर्द से छुटकारा मिल जायेगा । 27 प्रकार के नक्षत्र होते है और यही नक्षत्र हमारे शरीर के सताइस अंग पर अपना प्रभाव दिखाते है।
जिस दिन हम इन नक्षत्रों का खेल समझ गये उस दिन सारी समस्याओं का निवारण हो जायेगा।२७ नक्षत्र के साथ साथ 9 ग्रह १२ राशीया भी हमारे शरीर पर असर डालते हैं
जैसे- सूर्य हमारे सिर को, चंद्रमा मुख को, मंगल छाती को, बृहस्पति उदर (पेट) को, शुक्र यौन अंगों को (लिंग मूत्राशय ),बुध पीठ को , शनि कमर को ,राहु और केतु हाथ पैरों का प्रतिनिधि करते हैं।
Nakshatra ka sharir me isthan | नक्षत्र का शरीर में स्थान
- सिर में कृत्तिका
- मस्तक में रोहिणी
- भौंह में मृगशिरा
- कानों में आश्लेषा
- आँखों में आर्द्रा
- नासिका में पुनर्वसु
- होंठों में मघा
- गर्दन में चित्रा
- गालों में पुष्य
- दाई छाती में विशाखा
- बाई छाती में स्वाति
- बाई कलाई पू ० फाल्गुनी
- दाई कलाई उ ० फाल्गुनी
- कमर में श्रावण
- आमाशय में ज्येष्ठा
- रीढ़ में उ ० आषाढ़ा
- पेट में अनुराधा
- पीठ में पू ० आषाढ़ा
- कोख में मूल
- अंगुली में हस्त
- गुदा में धनिष्ठा
- दाई जंघा में पू ० भाद्रपद
- बाई जंघा में शतभिषा
- घुटनों में रेवती
- पिंडुली में उ ० भाद्रपद
- पैरों में भरणी .
- पैरों के नीचे अश्विनी
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