पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं पढाई में मन लगाने के असरदार तरीके
पढ़ना लिखना खूब आएगा याद भी बहुत अच्छे से होगा आप जितना पढ़ेंगे पढ़ाई में उतना मन लगेगा । ऐसा बिल्कुल नहीं होगा आपने थोड़ा सा पढ़ाई कर लिया फिर आलस आना शुरू आज की लेख में हम आपको कुछ उपाय बताएंगे जो बहुत ही कारगर हैं।
साथ ही कुछ मंत्र देंगे जिसे आपको सुबह के समय एक बार अवश्य पढ़ाना है फिर देखना 3 महीने के अंदर आप में ऐसा बदलाव आएगा जिसकी कल्पना आपने नहीं की होगी । अगर 3 महीने के अंदर आप में बदलाव नहीं आता है तो आप मुझे जो सजा देंगे वह मंजूर है । पहले हम ये जानने का प्रयास करते हैं कि हमें पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता।
पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता । Padhai me man kyu nahi lagta
2 मुख्य कारण है जिसके चलते पढ़ाई में मन नहीं लगता
एक कहावत है "जैसा खाए अन्न वैसा होवे मन" कहने का मतलब यह है कि हम जैसा खाना खाते हैं वैसा ही हमारा दिमाग हो जाता है पढ़ाई के पीछे मैं सबसे पहले दोष दूंगा खान-पान को हम खान-पान सही नहीं खाएंगे तो हमारा मन पढ़ाई में कभी नहीं लग सकता। आजकल के बच्चे घर के खाने की बजाय होटल में रेस्टोरेंट में खाना ज्यादा पसंद करते हैं फास्ट फूड चाऊमीन मोमो बर्गर मंचूरियन गोलगप्पे इस प्रकार का खाना खाएंगे तो पढ़ाई में मन कैसे लगेगा।
पढ़ाई में मन ना लगने का दूसरा कारण घर का माहौल सबसे पहले तो मां-बाप को ही नियमों में रहना होगा ताकि घर का छोटा बच्चा मां-बाप को देखकर कुछ अच्छा सीख सके घर का वातावरण शांत न होना लड़ाई झगड़े होते रहना इन सब बातों से भी बच्चों के पढ़ाई में बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है। खैर यह सब बातें हैं जाने दो अब मैं आपको बताता हूं आपको पढ़ाई में अच्छी तरह से मन कैसे लगेगा।
पढ़ाई में मन लगने का उपाय । Padhai me man lagne ka upay
जब भी आप रात को बिस्तर में सोने जाएं पूर्व दिशा की ओर सर रखकर सोए ऐसा करने से पढ़ाई में मन लगेगा
पढ़ाई करते समय ज्यादा डार्क कलर के कपड़े ना पहने
जितना हो सके हल्के और लाइट कलर के कपड़े पहने पीला लाल हल्का नारंगी इस प्रकार के कपड़े पहनने से दिमाग शांत होता है और पढ़ाई में मन लगता है।
पढ़ाई करते समय काला कपड़ा बिल्कुल भी न पहने विद्यार्थियों को काला कपड़ा पहनने से दिमाग में गंदे विचार आते हैं।
जब भी आप पढ़ाई करने बैठे एक गिलास पानी अपने सामने रखें।
पढ़ाई करते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करें।
पढ़ाई में मन कैसे लगे । Padhai me man kaise lage
नोट-यह उपाय उन विद्यार्थियों के लिए है जिनको भगवान में विश्वास है जिनको धार्मिक बातें अच्छी लगती हैं उन विद्यार्थियों के लिए यह अचूक और रामबाण उपाय है।
पढने वाले विद्यार्थी केलिये सरस्वती वन्दना एक रामबाण उपाय है हर विद्यार्थी को इसका रोज सुबह एक बार पाठ करना चाहिये
सरस्वती वन्दना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।। 1 ।।
अर्थ
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा दण्ड शोभायमान है, जिहोंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती देवी हमारी रक्षा करें ॥ 1 ॥
शोलोक
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥2॥
अर्थ
शुक्लवर्ण वाली, सम्पूर्ण चराचर जगत में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किये गये विचार एवं चिन्तन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से अभयदान देने वाली,
अज्ञान के अंधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वन्दना करता हूँ।
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे। जग सिरमौर बनायें भारत, वह बल विक्रम दे । अम्ब विमल मति दे।
साहस, शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग - तपोमय कर दे, संयम, सत्य, स्नेह का वर दे। स्वाभिमान भर दे, अम्ब विमल मति दे ॥1 ॥ हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे ॥
लव, कुश, ध्रुव, प्रह्लाद बनें हम, मानवता का त्रास हरे हम, सीता, सावित्री, दुर्गा माँ, फिर घर-घर भर दे । अम्ब विमल मति दे ॥ 2 ॥ हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे ॥
पढ़ाई के लिए रामबाण उपाय है गायत्री मंत्र । Padhai ke liye ramban upay hai gyatri mantra
गायत्री मंत्र को प्राचीन विद्या का कारक मंत्र भी माना जाता है गायत्री मंत्र कलयुग में नहीं बल्कि सतयुग से चला आ रहा है पहले जब ऋषि मुनि विद्या सीखने के लिए जाते थे तो उन्हें गुरुकुल में सुबह नहा धोकर सबसे पहले गायत्री मंत्र का जप कराया जाता था ताकि विद्यार्थी को पढ़ना लिखना अच्छे से आ जाए।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
गायत्री मंत्र का अर्थ
उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पाप नाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
विद्यार्थी के लिए कुछ अच्छी बातें । Student ke liye achhi batein
अपने दिन को अच्छा बनाने के लिये सुबह उठते ही दोनों हथेलियों को देखते हुए ये मंत्र बोले
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ॥ 1 ॥
समुद्रवसने देवि! पर्वतस्तनमण्डले ! विष्णुपत्नि! नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे ॥ 2॥
अपना हाथ जगन्नाथ इस भावना से हाथों का दर्शन करें क्यों की हाथ के निचे वाले भाग में लक्ष्मी का निवास है, हाथ के मध्य में सरस्वती का और हाथो के बीच में में गोविन्द का निवास है।
मूल रूप से हाथो में ही भगवान् का निवास है दिनभर में हम अपने दोनों हाथो से अच्छा काम करेंगे तो हमारा फ्यूचर भी अच्छा होगा ।
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Dekhte hai karke 6 mahine tak aapki batai hui saari baat manungi uske baat phir kahungi
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