20 मार्च 2025

नवग्रह स्तोत्र अर्थ और ज्योतिष में इसका प्रयोग | Navgrah Istotra full details

 नवग्रह स्तोत्र अर्थ और ज्योतिष में इसका प्रयोग | Navgrah Istotra ka Jyotish me prayog

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व है। ये नौ ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इन ग्रहों की शांति और अनुकूलता के लिए "नवग्रह स्तोत्र" का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में हम नवग्रह स्तोत्र के अर्थ और ज्योतिष में इसके प्रयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

नवग्रह स्तोत्र: अर्थ और ज्योतिष में इसका प्रयोग | Navgrah Istotra full details


नवग्रह स्तोत्र क्या है? | Navgrah Istotra Kya Hai

नवग्रह स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें नौ ग्रहों की स्तुति की गई है। यह स्तोत्र प्रत्येक ग्रह की शक्ति, गुण और उनके प्रभाव को समर्पित है। इसके पाठ से ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है और उनके अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

नवग्रह स्तोत्र | Navgrah Istotra

जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।

तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥


दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्।

नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम्॥


धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्॥


प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥


देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसन्निभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥


हिमकुंदमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।

सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्॥


नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

छायामार्तंडसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥


अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्।

सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥


पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥


नवग्रह स्तोत्र का अर्थ | Navgrah Istotra Ka Arth

नवग्रह स्तोत्र में प्रत्येक ग्रह के लिए अलग-अलग श्लोक हैं, जो उनकी महिमा और उनके प्रभावों का वर्णन करते हैं। इन श्लोकों का अर्थ समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है:


सूर्य: सूर्य को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। सूर्य के श्लोक में उनकी तेजस्विता और कृपा की स्तुति की गई है।


चंद्र: चंद्र मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। चंद्र के श्लोक में उनकी शांति और सुखदायक प्रकृति का वर्णन है।


मंगल: मंगल को साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मंगल के श्लोक में उनकी वीरता और रक्षा शक्ति की प्रशंसा की गई है।


बुध: बुध बुद्धि और संचार का प्रतिनिधित्व करते हैं। बुध के श्लोक में उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान की स्तुति है।


गुरु (बृहस्पति): गुरु को ज्ञान और समृद्धि का कारक माना जाता है। गुरु के श्लोक में उनकी दया और मार्गदर्शन की प्रशंसा की गई है।


शुक्र: शुक्र को सुख, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। शुक्र के श्लोक में उनकी कृपा और आनंददायक प्रकृति का वर्णन है।


शनि: शनि को न्याय और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना जाता है। शनि के श्लोक में उनकी न्यायप्रियता और कर्मफल देने की शक्ति की स्तुति है।


राहु: राहु को छाया ग्रह माना जाता है, जो जीवन में उतार-चढ़ाव लाता है। राहु के श्लोक में उनकी शक्ति और रहस्यमय प्रकृति का वर्णन है।


केतु: केतु को आध्यात्मिकता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। केतु के श्लोक में उनकी आध्यात्मिक शक्ति और मुक्ति देने की क्षमता की स्तुति है।


ज्योतिष में नवग्रह स्तोत्र का प्रयोग | jyotish me navgrah istotra ka prayog

ज्योतिष में नवग्रह स्तोत्र का प्रयोग | jyotish me navgrah istotra ka prayog


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। यदि कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति अशुभ हो, तो उसके दुष्प्रभावों को कम करने के लिए नवग्रह स्तोत्र का पाठ किया जाता है।


नवग्रह स्तोत्र पाठ के लाभ | navgrah istotra paath ke labh

ग्रहों की शांति: नवग्रह स्तोत्र के पाठ से ग्रहों की शांति होती है और उनके अशुभ प्रभाव कम होते हैं।


सकारात्मक ऊर्जा: इस स्तोत्र के पाठ से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


रोगों से मुक्ति: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से होने वाले रोगों से मुक्ति मिलती है।


सफलता और समृद्धि: नवग्रह स्तोत्र के नियमित पाठ से जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।


नवग्रह स्तोत्र पाठ की विधि | navgrah istotra path vidhi

समय: नवग्रह स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या सायंकाल करना श्रेयस्कर है।


स्थान: पाठ करने के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।


आसन: आसन पर बैठकर पाठ करें और मन को शांत रखें।


मंत्रोच्चारण: प्रत्येक ग्रह के श्लोक का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धापूर्वक करें।


अर्घ्य: पाठ के बाद ग्रहों को जल, फूल और अक्षत अर्पित करें।


नवग्रह स्तोत्र न केवल एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि ज्योतिष के अनुसार यह ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर करने का एक शक्तिशाली उपाय भी है। इसके नियमित पाठ से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यदि आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति अशुभ है, तो नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना एक प्रभावी उपाय हो सकता है।


अपने जीवन में नवग्रह स्तोत्र को अपनाएं और ग्रहों की कृपा प्राप्त करें। इस स्तोत्र के माध्यम से आप न केवल अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त कर सकते हैं।


नवग्रह स्तोत्र के बारे में अधिक जानकारी और इसके पाठ की विधि जानने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।

सम्बंधित पोस्ट 

तुरंत असर दिखाने वाले ज्योतिष के 20 उपाय जानें

 शनिवार को भूलकर भी घर में न लाये ये ७ चीजे 

राहुकाल में कौन कौन से काम नहीं करना चाहिए 

ऐसे पढोगे तो भगवद गीता जल्दी समझ आयेगी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस लेख से सम्बंधित अपने विचार कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं