11 मई 2020

Bajrang baan | बजरंग बाण का पाठ कोई ढंग से नहीं करता

Bajrang baan | बजरंग बाण पाठ से नहीं मिलती सफलता क्यों ?

बजरंग बाण (bajrang baan) का पाठ करना इतना आसान नही है! इसके नियम को अगर आप जानेंगे को आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। bajrang ban  पाठ के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा हैं सच कोई नहीं बताता चंद ढोंगी पंडित के कारण हमारा हिन्दू धर्म खतरे में पढ़ गया हैं !

अरे भगवान की बात तो छोड़ो अगर हम इस दुनिया मे कुछ छोटा सा काम भी करे तो नतीजे आनेमे कई महीने या सालों लग जाते है। इंसान की कमजोरी ही तो है जो हर चीज में शॉर्टकट खोजता है चाहे वो लौकिक हो या अलौकिक मुझे इस बात को कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि आजकल भगवान को भी लोग मूर्ख समझने लगे हैं भगवान के नाम पर अपना मतलब निकाल  रहे हैं।
Bajrang baan | बजरंग बाण का पाठ करना आसान नहीं
Bajrang baan

मैं एक वेबसाइट में आर्टिकल पढ़ रहा था अचानक मुझे बजरंग बाण की विशेशता बताने वाला लेख मिला जब मैंने उस लेख को पढ़ा तो यकीन नही हुआ ।

उस लेख में बजरंग बाण(bajrang baan) के पाठ को लेकर इतनी बेकार और घिनौनी बात लिखी थी की मैं यहाँ पर उस बातको बता भी नही सकता मैने उस वेबसाइट के मालिक से संपर्क करना चाहा लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी।

इस कलयुग में आमलोग हनुमान जी के ऊपर सबसे ज्यादा आस्था और विस्वास रखते है ऐसे में चंद नास्तिक ढोंगी पंडितो के चक्कर मे आकर आम इंसान बर्वाद हो रहा है।

जिस पंडित को "पंडित"शब्द का अर्थ सही से नही पता! आज वही सबसे बड़ा ज्योतिषी होने का दावा करता हैं। एक कहावत है न जो दिखता है वही बिकता आज के दौर में दिखने वाले पंडित कुछ ज्यादा ही है। ऐसे ढोंगी पंडितो और बाबाओ से सभी को सावधान रहना चाहिये समस्या किसके जीवन मे नही है परेशानियों का दूसरा नाम ही तो जीवन है ।

।।कोई तन दुखी कोई मन दुखी कोई धन बिन रहत उदास
          थोड़े-थोड़े सब दुखी सुखी हरि के दास।।

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क्या बजरंग बाण का पाठ कोई भी कभी भी कर सकता है?


जी नहीं ऐसा बिल्कुल नही है बजरंग बाण का पाठ हर  कोई किसी भी समय बिल्कुल नहीं कर सकता ।

अगर आप इसका पाठ रोज बिना किसी स्वार्थ से करते है तो इसमें कोई बुराई नही है आप कर सकते है।

बजरंग बाण का पाठ तभी प्रभावशाली होता है जब आप इसका पाठ खुद करते है अन्यथा आपको इसका पूर्ण लाभ नही मिल सकता।

बजरंगबाण का पाठ करने से पहले इसको किसी योग्य गुरु से सीखना अनिवार्य है उसके बाद ही आप इसका पाठ कर सकते है।

आजकल इंटरनेट हर किसी के पास उपलब्ध है आप इंटरनेट के माध्यम से भी इसका शुद्ध-शुद्ध पाठ करना सीख सकते हैं।

 बजरंग बाण का पाठ ऐसी जगह में नही करना चाहिए जहां ज्यादा शोर सराबा हो, इसका पाठ एकांत जगह या हनुमान मंदिर में जाकर करना चाहिये।

बजरंग बाण का पाठ आप तभी कर सकते है जब आप पूर्ण रूप से सात्विक हो आप मांस का सेवन करते है और पाठ भी करते है तो आपको बर्वाद होने से कोई नही बचा सकता।

हनुमान जी ऐसे ही खुश नही होते! उनको खुश करना पड़ता है, हम खुद विचार करे की हनुमान जी कैसे है और हम कैसे है।

हनुमान  ने कभी अपनी शक्ति पर अभिमान नही किया वे सर्व शक्तिमान है फिर भी कितने दयालु है।

हनुमान  राम जी के परम भक्त है सात्वितक है ब्रम्हचर्य का पालन करते है हर वक़्त राम का नाम जपते रहते है।

हमारे पास थोड़ा भी पैसा आता है तो हम अभिमान के मारे आपने से छोटे आदमी को कुछ नही समझते हैं।

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दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लखन प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब कांपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

दोहा

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।।

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1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब आजकल ऐसा ही तो हो रहा है ज्यादा दिखने वाले ही तो बिक रहे है

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