आखिर हनुमान को इतनी शक्ति कैसे मिली | facts about hanuman
हनुमान के बारे में आज आप को हम एसी बातें बतायेंगे जिसको जानने के बाद हनुमान के प्रति आपका विश्वास और बढ़ जायेगा जैसे- हनुमान का जन्म कैसे हुआ,सूर्यदेव को क्यों फल समझा,हनुमान क्यों मुर्छित हुये ? हनुमान का नाम पवन पुत्र कैसे हुआ? हनुमान को इतनी शक्ति कहा से मिलीfacts about hanuman |
हनुमान का जन्म एक वानर जाती में हुआ और हनुमान जी के माता का नाम अंजनी तथा पिता का नाम केशरी था।
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ | facts about hanuman birth
पवन पुत्र हनुमान के जन्म के पीछे पवनदेव यानी वायु देवता का भी योगदान है इस के संदर्भ में हमारे धर्म ग्रंथों में एक छोटी सी कथा आती है।
उस कथा के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ अपनी तीनों पत्नियों के साथ पुत्र प्राप्ति हेतु हवन कर रहे थे पूजा कर रहे थे क्योंकि दशरथ का कोई भी पुत्र न था।
जैसे ही राजा दशरथ ने अपने हवनआदि का कार्य संपन्न किया तो उनके गुरुदेव ने प्रसाद के रूप में तीनो रानियों में खीर बांट दिया उसी समय एक कौवा वहा आया थोडा खीर चुराकर वहा से भाग गया।
वह कौवा उस जगह पहुच गया जहां अंजनी मां तपस्या कर रही थी यह सब कार्य कौवा नहीं कर रहा था, जो भी कुछ हो रहा था वायु देव और भगवान शंकर की कृपा से हो रहा था।
कौवा तो सिर्फ एक माध्यम था अंजनी माता ने जैसे ही अपने पास में खीर देखा तो उस खीर को माता अंजनी भगवान शंकर का प्रसाद समझकर खा गई उस प्रसाद के फलस्वरुप हनुमान जी का जन्म हुवा।
हनुमान जी बचपन में बहुत ही शरारत करते थे | facts about hanuman
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बाल्यावस्था में हनुमान जी बहुत ही नटखट और शरारती थे हनुमान जी छोटे बड़े सभी को परेशान करते थे सबसे ज्यादा शरारत तो जंगल में तपस्या कर रहे ऋषि-मुनियों से करते थे।
हनुमान जी की शरारत से सारे ऋषि मुनि बहुत ज्यादा परेशान हो गए फिर ऋषि मुनियों ने हनुमान जी को अपनी सारी शक्ति भूल जाने की श्राप दे दी
साथ ही यह भी कह दिया कि यह एक छोटा सा बालक है इसीलिए इसको छोटी सी सजा मिली है। इसकी शक्ति तब वापस आएगी जब कोई सज्जन सत्कार्य के लिए इसकी शक्ति को याद दिलाएगा।
हनुमान जी अपनी सारी शक्तियो को बचपन में ही भूल चुके थे जब माता सीता को खोजने की बात हुई तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी भूली हुई शक्ति का बोध कराया था।
सूर्य को फल समझ कर खाने गए थे हनुमान | facts about hanuman and sun
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हनुमान की माता अंजना हनुमान को बहुत प्रेम करती थी हर वक्त हनुमान के साथ रहती थी एक दिन क्या हुआ मा अंजना हनुमान को छोड़कर फल लेने के लिए चली गई।
हनुमान जी को बहुत भूख लगी थी जैसे ही हनुमान ने ऊपर देखा तो उगता हुआ सूरज दिखाई दिया सूरज को देख कर हनुमान ने सोचा यह फल तो काफी मीठा है मैं इसे जरूर खाऊंगा
हनुमान आकाश मार्ग में उड़ने लगे ठीक उसी समय राहु भी सूर्य के ऊपर ग्रहण लगाना चाहता था पर हनुमान ने ऐसा होने नहीं दिया हनुमान ने राहु को वहां से भगा दिया।
राहु डरते हुए वहां से भाग गया और सीधा देवराज इंद्र के पास चला गया और कहां की है देवराज इंद्र आपने मुझे अपनी भूख मिटाने के लिए सूर्य और चंद्रमा दिए थे
आज अमावस्या का दिन है और मैं सूर्य को खाने के लिए गया था पर एक बंदर ने ऐसा होने नहीं दिया मुझे रोक लिया राहु की बात सुनकर देवराज इंद्र भी डर गए और क्रोधित भी हो गए।
देवराज इंद्र ने हनुमान के ऊपर वज्र का प्रहार किया हनुमान मूर्छित हो गए यह देख वायु देव को बहुत ही क्रोध आया और उन्होंने अपनी वायु प्रवाह को रोक दिया।
इस के फलस्वरुप संसार का कोई भी प्राणी सांस नहीं ले सका पूरे संसार में त्राहि त्राहि मच गया। तब सभी देवी देवता ब्रह्मा जी के पास गए ब्रम्हा जी ने सभी देवताको लेकर वायु देव के पास गए।
वायु देव अपने मूर्छित हुए हनुमान को गोद में लिए बैठे हुए थे ब्रह्मा जी ने हनुमान को जीवित कर दिया फिर हनुमान जी को आशीर्वाद देते हुये कहा हनुमान का शरीर वज्र का हो।
और देवी देवताओं नेभी हनुमानजी को आशीर्वाद दिए इसी कारण हनुमान जी महाबली कहलाए।
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