1 सित॰ 2018

what is janmashtami | कृष्ण जन्माष्टमी की रोचक कथा

what is janmashtami | कृष्ण जन्माष्टमी की रोचक कथा 

कृष्ण जन्माष्टमी क्या हैं (what is janmashtami) भाद्रपद माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि का लोग वेसबरी से इंतजार करते हैं।क्यों कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इस धरातल पर जन्म लिया था।

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इसी दिन को कृष्ण  जन्माष्टमी कहते है कृष्ण जन्माष्टमी आने पर लोग बड़े ही धूमधाम से ,बड़े ही उत्साह से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं।


भारत मे ही नही बल्कि विदेशों में भी  बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बहुत सारे भक्त उपवास रखते हैं। भगवान श्री कृष्ण के छोटेनन्हें बाल रूप की पूजा करते हैं ।श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूर्ण रुप से भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है ।

लेकिन भक्त यह बात नहीं जानते हैं  कृष्णाजन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? (what is janmashtami)                  क्या कारण है?  तो चलिए दोस्तों आज के इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे।




janma astami kyu manate hai | कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?


भगवान श्री कृष्ण को ही नारायण का सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है । श्री कृष्ण ने पृथ्वी से पूरे असूरों के साम्राज्य को खत्म करने के लिए ही जन्म लिया था श्री कृष्ण भगवान देवकी के आठवे  पुत्र थे । एक धूर्त राजा था कंस उसीकी बहन थी देवकी।

 कंस एक बहुत ही घमंडी राजा था बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था ।उस घमंडी कंस की इतनी छोटी सोच थी कि लोग भगवान की जगह सिर्फ उसकी ही पूजा करें । जो लोग उसकी बातों को नहीं मानते थे कंस उन लोगों को मार देता था ।

निर्दोष प्राणी बहुत ही डर-डर कर अपना जीवन यापन कर रहे थे और सदा भगवान को याद करते थे कहते थे की है भगवान आप हमें इस दुराचारी राजा कंस से बचाइए।

 एक दिन ऐसा हुआ कंस अपनी बहन देवकी को ले जा रहा था कि अचानक रास्ते में एक भविष्यवाणी हुई की है मूर्ख कंस तू जिसको ले जा रहा है उसकी ही आठवी संतान तेरे मृत्यु का कारण बनेगी।

जैसे ही कंस ने उस भविष्यवाणी को सुना तो वह क्रोधित हुआ और देवकी को मारने लगा फिर वासुदेव ने कंस को रोका और यह बचन दिया कि देवकी से उत्पन्न सारे पुत्रों को कंस को समर्पित कर देगा।

 कंस ने देवकी और वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर दिया। देवकी जब भी बच्चे को जन्म देती थी कंस उसे पत्थर पर पटक कर मार देता था। दुष्ट कंस ने देवकी के छह पुत्रों को पत्थर पर पटक पटक कर मार डाला ।

अंत में आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ और भगवान विष्णु ने वासुदेव को कहा की इस बालक को लेकर गोकुल चले जाओ जाहाँ नंद और यशोदा रहते हैं।

वासुदेव ने उस छोटे से बच्चे को घोर रात्रि में यमुना नदी पार करके यशोदा के घर पहुंचा दिया और वासुदेव ने अपने बेटे को यशोदा की बेटी से अदला बदली कर दिया यानी बदल दिया और वापस उस काल कोठरी में चले गए।

 अगले दिन जब कंस को पता चला कि यशोदा ने फिर एक बच्चे को जन्म दिया तो उस बच्चे को मारने के लिए कंस ने फिर पत्थर पर पटकना चाहा तो वह बच्ची योग माया के रूप में प्रकट हो गई और कंस से कहा कि तुझे मारने वाला इस पृथ्वी पर जन्म ले चुका हे।

उधर गोकुल में बहुत बड़ा उत्सव हो रहा था  यशोदा के घर पुत्र ने जन्म लिया है। सब लोग ख़ुशी मना रहे थे ,नाच रहे थे और कह रहे थे गाना गा रहे थे।

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नंद के घर आनंद भयो जय कनैया लाल की
' तभी से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल में बहुत सारे राक्षसों को मार डाला और अंत में कंस को मारने के लिए मथुरा आ गए।

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अगर हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व को लौकिक दृष्टि से देखें तो यह एकता का प्रतीक है ,प्रेम का प्रतीक है, और आपस में पवित्र संबंध बनाने का, मिल जुलकर रहने का ,किसी से बैर ना रखने का और सदा कृष्णभक्ति में मगन रहने का उपदेश देती है।

तो दोस्तों यह था श्री कृष्णा जन्माष्टमी से संबंधित मुख्य बातें आप लोगों को यह अनेक अच्छा लगा तो दूर शेयर करें।

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