2025 me holi kab hain| होली का पर्व कब और कैसे मनाये
होली का त्योहार भारत देश में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में भव्य रूप से मनाया जाता है जहां आप होली उत्सव के लिए बहुत सारी तैयारिया करते हैं साथ ही सभी प्रकार के दुखो को भूलकर होली का पर्व मनाते है
होली से सम्बंधित ज्ञान वर्धक बातें जानकर आपको भी हिन्दू होने पे गर्व होगा हम सभी जानते हैं होलिका को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जलाया जाता है होली आने से एक महीना पहले से ही गूलर वृक्ष की एक टहनी को गांव के बाहर गाड़ दिया जाता है।
उस टहनी के चारों तरफ लकड़ी, सूखे पत्ते व खरपतवार आदि से चारों ओर एकत्र किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा की रात को उसे जलाया जाता है इसके पीछे भक्त प्रहलाद का अपने प्रभु के प्रति अटूट विश्वास और अपनी क्रूर बुआ होलिका को स्मरण किया जाता है।
holi se pahale holika ko kyu jalate hain | होली से पहले होलिका दहन क्यों
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about holi festival |
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार होली का त्यौहार हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के मर जाने की ख़ुशी में मनाया जाता है।
holi me holika dahan ki katha | होली में होलिका दहन कथा
कि उसे आग नहीं जला पायेगा इस अहंकार के चलते होलिका ने भक्त प्रह्लाद को जलाकर मारने के लिए आग में बैठ गई। भक्त प्रल्हाद तो मरे नहीं किंतु होलीका मर गई।
होलिका का अंत इसीलिए हुआ क्योंकि उसको यह वरदान था की अग्नि सिर्फ उसे नहीं जला सकती। अगर वह किसी और को लेकर बैठ गई तो उसका वह वरदान कुछ काम का नहीं रहेगा।
holi se pahale Holika dahan kaise kare | होलिका दहन विधि
होलिका दहन इसका मतलब यह नहीं कि लकड़ियों के ढेर को आग लगा दिया जाए आग लगाने के पीछे भी कुछ नियम है। हमें उस नियम को स्वीकार करते हुए होलिका का उत्सव मनाना चाहिए।हम यहां पर बताने वाले हैं की होलिका दहन करने की विधि क्या है?
होलिका दहन करते समय सभी लोग लोटे में जल भरकर साथ में गंध, चंदन ,चावल, फूल, कच्चा धागा, गुड, हल्दी, नारियल, अबीर गुलाल आदि सामग्री से पूजा करना चाहिए
सूर्य के अस्त होने के बाद सायं काल में जहां होलिका का दहन होगा उसी स्थान में जाकर दीया जलाकर भगवान् गणेश का पूजा करके फिर जल उस लकड़ी के ढेर के ऊपर चढ़ाया जाता है और चारों और कच्चा धागा 3 या 7 बार या 11 बार लपेटा जाता है सभी लोग उस लकड़ी के ढेर की परिक्रमा करते हैं और अंत में उसमें फिर से जल का छिड़काव होता है।
पूजन की सामग्री उस लकड़ी के ढेर के ऊपर चढ़ा दी जाति है और पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन होता है फिर होलिका को जला दिया जाता है।
phalena ki holi kya hai| फालेन की होली क्या हैं
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about phalena ki holi |
यहां फालेन की होली इसीलिए प्रसिद्ध है क्युकी होलिका दहन के समय एक पुरोहित जिसको पंडा कहा जाता है वह पंडा नंगे पांव जलती हुई आग के बीच से निकलता हुआ 1 कुंड में कूद जाता है
सबसे हैरान करने वाला विषय यह है कि उस पंडा को अग्नि नहीं जला पाती यह क्रिया उस प्रह्लाद के भक्ति का एक प्रतीक माना जाता है जो आग में कूद कर बाहर आ जाता है इस कार्य को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं।
holi teuhar manane ke anaya karan
होली के पर्व को नवान नेष्टी यज्ञ भी कहा जाता हैं मतलब खेत से आए नए अन्न को इस दिन यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परंपरा भी चली आ रही है।उस अन्न को होला के नाम से जाना जाता है इसी कारण इसका नाम होली का उत्सव भी पड़ा होली का पावन पर्व अपने आप में बहुत ही सुनहरा और निराला है फरवरी और मार्च में जब होली मनाई जाती है तब प्रकृति भी अनुकूल होती है पूरे वातावरण शुद्ध हो जाता है।
खेतों में काम करने वाले किसान अपनी फसल काट कर निश्चिंत हो जाते हैं मौसम अनुकूल होता है होली का पावन पर्व स्थान अनुसार अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है।
लोग आपस की दुश्मनी को भूल कर एक दूसरे को प्यार बांटते हैं होली का पावन पर्व एक दूसरे के लिये प्यार और परोपकार को दर्शाती है आप सभी को होली की बहुत-बहुत बधाई।
2025 me holi kab hain | होली कब हैं २०२५ में
2025 में होलिका दहन 13 मार्च दिन गुरुवार को मनाया जाएगा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात में 9 बजकर 17 मिनट से लेकर 11 बजकर 55 मिनट तक है
14 मार्च को सुबह 09 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी
अगले दिन यानी 15 मार्च को दोपहर 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगी ।
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