10 अग॰ 2019

Rakhi rakcha bandhan 2024 date and time | रक्षाबंधन कैसे मनाये की पूरी जानकारी

Rakhi rakcha bandhan 2024  | रक्षाबंधन कैसे मनाये  क्या करे 

Rakhi rakcha bandhan 2024 हरेक वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला सनातन पर्व रक्षाबंधन(rakhi) हिन्दूओ के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है।इस दिन बहन भाई एक दूसरे को राखी बांधने की परंपरा है। इस पर्व को अलग अलग जगह में अलग अलग नामों से मनाया जाता है ।
Rakhi rakcha bandhan 2024 date and time  | रक्षाबंधन कैसे मनाये की पूरी जानकारी
Rakhi rakchabandhan 2024 date time and story  | रक्षाबंधन कैसे मनाये की पूरी जानकारी
 
जैसे-उत्तराखंड में इसे श्रावणी के नाम से मनाया जाता है,महाराष्ट्र में इसे नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है,राजस्थान में रामराखी, चूडारखी आदि नाम से मनाया जाता है ।बिशेष करके इस दिन बहन अपने भाई को उसकी रक्षा व दीर्घायु के लिए राखी बाँधती है ।

आजकल तो इस  परंपरा में इतनी ज्यादा लोगों की आस्था बढ़गई है की हर कोई अपने से बड़ो को राखी बँधते है और उनसे आशिर्वाद लेते है कभी कभी सम्मानित व्यक्ति को भी रखी बाँधी जाती है।

रक्षाबंधन का दिन ब्राम्हणो के लिए भी खास है क्योंकि इस दिन  ब्राम्हणो का यज्ञपवित संस्कार होता है सभी ब्राम्हण अपने अपने यजमानों को जनेऊ देते है  तिलक करते है मौली बाधते है फिर उनसे दक्षिणा लेते है।

Rakhi rakcha bandhan 2024 date and time  | रक्षाबंधन कैसे मनाये की पूरी जानकारी

रक्षाबंधन की कथा  | rakshabandhan katha
अब हम इसका धार्मिक कारण जानने का प्रयास करेंगे कि क्यों है यह त्यौहार इतना खास? इसके पीछे कौन सी पौराणिक कथा छिपी हुई है ? राखी का पर्व कबसे शुरू हुआ इस बात को कहना मुश्किल है परंतु हमारे धर्म ग्रंथ भविष्य पुराण में एक कथा आती है

एक बार देवता और असुर में भयंकर युद्ध हो रहा था उस युद्ध मे देवताओ को  लगा कि हम दानवों को नही हरा सकते फिर सभी देवता मिलकर देवगुरु बृहस्पति के पास पहुच गए और देवताओ ने गुरु बृहस्पति को सारी बात बताई।

 ये सारी बातें पास में बैठी इंद्र की पत्नी( इन्द्राणी )सुन रहि थी और इंद्राणी ने एक रेशम के धागे को अभिमंत्रित करके अपने  पति इन्द्र देव की कलाई में बाध दिया । फिर सभी देवता दानवों से युद्ध करने के लिए चले गये और सभी देवता उस युद्ध मे जीत गये।

उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था  इसी कारण श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बाधने की परंपरा शुरू हुई हमारे पुराणों में रक्षाबंधन को लेकरऔर भी कथाएं आती है ।

उसमे से राजा बलि की कथा भी आती है उस कथा के अनुसार जब राजा बलि ने अपना यज्ञ पूरा करके स्वर्ग को अपना बनाने लगे तो सभी देवताओ ने भगवान विष्णु को यज्ञ रोकने के लिए कहा ।तब भगवान विष्णु ने वामन का रूप लेकर राजा बलि को पाताल भेज दीया।

 बली भगवान का भक्त  था वामन भगवान ने बली को पाताल तो भेज दीया पर बलि ने भगवान से प्राथना किया कि आप मेरे साथ पाताल में रहिये फिर भगवान वामन के रूप में पाताल में रहने लगे।

तब लक्ष्मीजी पाताल में जाकर राजा को राखी बाधकर उनको आशिर्वाद दिया और बलि को भाई बनाया फिर माता लक्ष्मी ने  अपने पति श्रीहरि को अपने साथ ले आई।

इसके अलावा ऐसी और भी कथाएं आती है जैसे-सन्तोषी माँ ने भी अपने दोनों भाई को राखी बांधी थी, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी थी आदि।

कितना पवित्र और पावन है रक्षाबंधन(राखी) का पर्व इस पर्व को मनाने का सिर्फ एक हि लक्ष्य है लोगो मे एक दूसरे के प्रति विस्वास ,प्रेम और आत्मीयता बनी रहे प्यार बना रहे।

2024में कब हैं रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2024) 


19 अगस्त को सुबह 03 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी जो कि 19 अगस्त को सुबह 2 बजकर 33 मिनट पर पूर्ण होगी।
आपको बता दे राखी बाधते समय अगर मंत्र का उचारण करते हुये अपने भाई के कलाई में राखी बाधी जाये तो उस राखी का महत्व सौ गुना बढ़ जाता हैं

राखी बांधने का मंत्र | rakhi badhne ka mantra

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
 तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

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