Shaligram bhagwan की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
हम सभी को शालिग्राम भगवान् की कुछ सामान्य जानकारी होनी चाहिये जैसे -shaligram bhagwan कौन है?असली shaligram का पत्थर कहा पाया जाता है? shaligram bhagwan की उत्पत्ति कैसे हुई?
शालिग्राम सामान्य तौर पर एक पत्थर है लेकिन सनातन धर्म में इनको भगवान की उपाधि प्राप्त है। विज्ञान इसको एक जीवाश्म पत्थर मानता है जो कि बहुत ही विशेष होता हैं।
यह पत्थर सिर्फ एक स्थान में पाया जाता है वो है नेपाल के गंडकी नदी में आपको बतादे शालिग्राम भगवान को ही विष्णु का रूप माना जाता है।
देश विदेश में भगवान के बहुत सारे मंदिर बने हुये है लेकिन शालिग्राम का मंदिर सिर्फ एक जगह में है वो है मुक्तिनाथ नेपाल में आपको बतादे शालिग्राम लगभग 33 प्रकार के होते है ।
shaligram bhagwaan se judi batein | शालिग्राम भगवान से जुडी कुछ बातें
भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर कैसे बने यह कथा माता तुलसी से शुरू होती है जब भगवान विष्णु ने तुलसी के पति शंखचूर्ण को छल पूर्वक मार दिया और तुलसी का सतीत्व भंग कर दिया
तभी तुलसी ने भगवान विष्णु को पत्थर होने का श्राप दिया था। शालिग्राम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती जैसा कि ऊपर हमने बताया वृंदा यानी तुलसी के श्राप से भगवान विष्णु को पत्थर बनना पड़ा।
सभी भगवान की प्राण प्रतिष्ठा विधि पूर्वक होती है लेकिन शालिग्राम की प्राण प्रतिष्ठा कभी नहीं होती।
शालिग्राम को आप बिना किसी नियम के नदी उठाकर अपने घर में स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात सिर्फ इतना है कि शालिग्राम की पूजा जब भी करे तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाये बिना तुलसी के शालिग्राम की पूजा कभी पूरी नहीं हो सकती।
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पत्थरों के आकार से होती है शालिग्राम भगवान के अनेक रुपों की पूजा।
गंडकी नदी में बहुत प्रकार के पत्थर पाए जाते हैं उन सभी पत्थरों को शालिग्राम का रूप माना जाता है। उनमें से 24 पत्थर प्रमुख हैं जो भगवान विष्णु के 24 अवतारों को दर्शाता है।
यदि शालिग्राम पत्थर गोल है तो उनको गोपाल का रूप माना जाता है अगर शालिग्राम का पत्थर गोल नही है मछली के आकार का है तो उनको मत्स्य अवतार के रूप में पूजा जाता है।
अगर शालिग्राम कछुए जैसे हैं तो उनको कूर्म अवतार का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। इसी प्रकार से अन्य अवतारों को भी समझना चाहिए।
सबसे अधिक घर में लाकर पूजा जाने वाला शालिग्राम का पत्थर गोल चिकना और काला होता है जिसको भगवान विष्णु का साक्षात स्वरूप माना जाता है।
जिस घर में नित्य शालिग्राम की पूजा होती है उस घर में सात्विकता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है रसोई घर के साथ-साथ मनुष्य के अंदर भी सात्विकता का भाव अवश्य होना चाहिए।
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asli saligram bhagwaan ki pahachan | असली शालिग्राम की पहचान
आज के जमाने मे असली और नकली की पहचान करना सबसे मुश्किल काम बनगया है हर वस्तु में घोटाला होता है पाखंडी लोग भगवान को भी नही छोड़ते है।
ऐसे में हमे ही सतर्क रहना होगा ताकि कोई धूर्त व्यक्ति हमे मूर्ख न बना सके सबसे आसान तरीका तो ये है जब भी आप शालिग्राम भगवान (shaligram bhagwaan) को खरीदने बाजार जाए तो किसी जानकार को साथ अवश्य लेके जाए।
आप शालिग्राम पत्थर की असली और नकली की पहचान उसकी चिकनाई से भी कर सकते है। असली सालिग्राम में भगवान् का कोई चिन्ह अवश्य होता हैं।
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बहुत बहुत धन्यवाद सर , मै आपकी daily reader हूँ....आप बहुत अच्छा लिखते हो और सभी पोस्ट में काफी helpful जानकारी देते है ...thank you sir
जवाब देंहटाएंअंकिता जी हमारे वेबसाइट में अपना समय देने के लिये धन्यवाद
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