लड़का और लड़की शादी में सात फेरे लेते समय क्या कसम खाते है | shadi me sath phere ka arth
शादी जैसे पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए लड़का और लड़की दोनों ही एक दूसरे के लिए कसम खाते हैं लड़का 9 कसम खाता है और लड़की भी ९ कसम खाती है । बहुत लोगो को शादी में खाए जाने वाले 9 कसमें याद नहीं रहती जिसके कारण उनके घर में पति पत्नी में झगड़ा होता है आज हम आपको उन नौ कसम क्या-क्या हैं उनके विषय में जानकारी देंगे उम्मीद है आप इसे पूरा पड़ेंगे।
शादी में खाये जाने वाले कसम वादे का अर्थ | shadi ke kasam aur wade ka matlab
सबसे पहले लड़का अपनी पत्नी को वचन देता है जो इस प्रकार है -
1.धर्मपत्नीं मिलित्वैव ह्येकं जीवनमावयोः।
अद्यारभ्य यतो मे त्वम् अर्द्धांगिनीति घोषिता
आज से मैं आपको अपनी पत्नी मानता हु मैं आपके साथ मिलकर एक नये जिवन की शुरुवात करता हू
मैं जिस प्रकार अपना ख्याल रखता हु उसी प्रकार आपका भी रखूँगा
उसके बाद पत्नी भी पति को वचन और कसम देती है जो इस प्रकार है -
स्वजीवनं मेलयित्वा भवतः खलु जीवने।
भूत्वा चार्द्धाङ्गिनी नित्यं, निवत्स्यामि गृहे सदा ॥1 ॥
अपने जीवन को पति के साथ संयुक्त करके नये जीवन की सृष्टि करूँगी।
इस प्रकार घर में हमेशा सच्चे अर्थों में अर्द्धांगिनी बनकर रहूँगी।
शादी में पति का वचन और कसम
स्वीकरोमि सुखेन त्वां, गृहलक्ष्मीमहन्ततः ।
मन्त्रयित्वा विधास्यामि, सुकार्याणि त्वया सह ॥2 ॥
प्रसन्नतापूर्वक गृहलक्ष्मी का महान् अधिकार सौंपता हूँ और जीवन के निर्धारण में उनके परामर्श को महत्त्व दूँगा ।
पत्नी का वचन और वादा
शिष्टतापूर्वकं सर्वैःपरिवारजनैः सह ।
औदार्येण विधास्यामि,व्यवहारं च कोमलम् ॥ 3 ॥
पति के परिवार के परिजनों को एक ही शरीर के अङ्ग मानकर सभी के साथ शिष्टता बरतूंगी उदारतापूर्वक सेवा करूँगी मधुर व्यवहार करूँगी।
शादी में पति का वचन और कसम
रूप-स्वास्थ्य-स्वभावान्तु, गुणदोषादीन् सर्वतः ।
रोगाज्ञान- विकारांश्च तव विस्मृत्य चेतसः ॥ 4 ॥
रूप, स्वास्थ्य, स्वभावगत गुण-दोष एवं अज्ञानजनित विकारों को चित्त में नहीं रखूँगा,
उनके कारण असन्तोष व्यक्त नहीं करूँगा । स्नेहपूर्वक सुधारने या सहन करते हुए आत्मीयता बनाये रखूँगा ।
विवाह में पत्नी का वचन वादा
त्यक्त्वालस्यं करिष्यामि, गृहकार्ये परिश्रमम् ।
भर्तुर्हर्षं हि ज्ञास्यामि, स्वीयामेव प्रसन्नताम् ॥5 ॥
आलस्य को छोड़कर परिश्रमपूर्वक गृह कार्य करूँगी इस प्रकार पति की प्रगति और जीवन विकास में समुचित योगदान करूँगी।
शादी पति का पत्नी को वादा
सहचरो भविष्यामि, पूर्णस्नेहः प्रदास्यते ।
सत्यता मम निष्ठा च, यस्याधारं भविष्यति ॥ 6 ॥
पत्नी का मित्र बनकर रहूँगा और पूरा-पूरा स्नेह देता रहूँगा।
इस वचन का पालन पूरी निष्ठा और सत्य के आधार पर करूँगा।
विवाह में पत्नी का वचन वादा
श्रद्धया पालयिष्यामिधर्मं पातिव्रतं परम् ।
सर्वदैवानुकूल्येन,पत्युरादेशपालिका ॥ 7॥
पतिव्रत धर्म का पालन करूँगी,पति के प्रति श्रद्धा-भाव बनाये रखकर सदैव उनके अनूकूल रहूँगी।
कपट-दुराव न करूँगी, निर्देशों के अविलम्ब पालन का अभ्यास करूँगी।
शादी में पति का वचन और कसम
यथा पवित्रचित्तेन, पातिव्रत्य त्वया धृतम् ।
तथैव पालयिष्यामि, पत्नीव्रतमहं ध्रुवम् ॥ 8॥
पत्नी के लिए जिस प्रकार पतिव्रत की मर्यादा कही गयी है,उसी दृढ़ता से स्वयं पत्नीव्रत धर्म का पालन करूँगा । चिन्तन और आचरण दोनों से ही पर नारी से वासनात्मक सम्बन्ध नहीं जोडूंगा।
शादी में पत्नी का वचन और कसम
सुश्रूषणपरा स्वच्छामधुर- प्रियभाषिणी ।
प्रतिजाने भविष्यामि, सततं सुखदायिनी ॥9 ॥
सेवा,स्वच्छता तथा प्रियभाषण का अभ्यास बनाये रखूँगी । ईर्ष्या,
कुढ़न आदि दोषों से बचूँगी और सदा प्रसन्नता देने वाली बनकर रहूँगी।
शादी में पति का वचन और कसम
गृहस्यार्थव्यवस्थायां, मन्त्रयित्वा त्वया सह ।
सञ्चालनं करिष्यामि, गृहस्थोचित - जीवनम् ॥ 10॥
गृह व्यवस्था में धर्म-पत्नी को प्रधानता दूँगा ।
आमदनी और खर्च का क्रम उसकी सहमति से करने की गृहस्थोचित जीवनचर्या अपनाऊँगा ।
पत्नी का वचन और वादा
मितव्ययेन गार्हस्थ्य सञ्चालने हि नित्यदा ।
प्रयतिष्ये च सोत्साहम्, तवाहमनुगामिनी ॥ 11 ॥
मितव्ययी बनकर फिजूलखर्ची से बचूँगी। पति के असमर्थ हो जाने पर भी गृहस्थ के अनुशासन का पालन करूँगी।
पति का वचन और कसम
समृद्धि -सुख-शान्तीनां,रक्षणाय तथा तव ।
व्यवस्थां वै करिष्यामि, स्वशक्तिवैभवादिभिः ॥ 12 ॥
धर्मपत्नी की सुख-शान्ति तथा प्रगति-सुरक्षा की व्यवस्था करने में अपनी शक्ति और साधन आदि को पूरी ईमानदारी से लगाता रहूँगा ।
पत्नी का वचन और कसम
मितव्ययेन गार्हस्थ्य सञ्चालने हि नित्यदा ।
प्रयतिष्ये च सोत्साहम्, तवाहमनुगामिनी ॥13 ॥
मितव्ययी बनकर फिजूलखर्ची से बचूँगी। पति के असमर्थ हो जाने पर भी गृहस्थ के अनुशासन का पालन करूँगी।
विवाह में पति का वचन और कसम
समृद्धि -सुख-शान्तीनां,रक्षणाय तथा तव ।
व्यवस्थां वै करिष्यामि, स्वशक्तिवैभवादिभिः ॥ 14 ॥
धर्मपत्नी की सुख-शान्ति तथा प्रगति-सुरक्षा की व्यवस्था करने में अपनी शक्ति और साधन आदि को पूरी ईमानदारी से लगाता रहूँगा ।
विवाह में पत्नी का वचन और कसम
देवस्वरूपो नारीणां भर्त्ता भवति मानवः ।
मत्वेति त्वां भजिष्यामि, नियता जीवनावधिम् ॥ 15 ॥
नारी के लिए पति,देव स्वरूप होता है यह मानकर मतभेद भुलाकर सेवा करते हुए जीवन भर सक्रिय रहूँगी कभी भी पति का अपमान न करूँगी।
शादी में पति का वचन और कसम
यत्नशीलो भविष्यामि,सन्मार्गंसेवितुं सदा ।
आवयोः मतभेदांश्च, दोषान्संशोध्य शान्तितः ॥ 16 ॥
अपनी ओर से मधुर भाषण और श्रेष्ठ व्यवहार बनाये रखने का पूरा-पूरा प्रयत्न करूँगा ।
मतभेदों और भूलों का सुधार शान्ति के साथ करूँगा। किसी के सामने पत्नी को लाञ्छित तिरस्कृत नहीं करूँगा।
शादी में पत्नी का वचन और कसम
देवस्वरूपो नारीणां भर्त्ता भवति मानवः ।
मत्वेति त्वां भजिष्यामि, नियता जीवनावधिम् ॥ 17 ॥
नारी के लिए पति,देव स्वरूप होता है यह मानकर मतभेद भुलाकर सेवा करते हुए जीवन भर सक्रिय रहूँगी कभी भी पति का अपमान न करूँगी।
पति का वचन
भवत्यामसमर्थायां, विमुखायाञ्च कर्मणि ।
विश्वासं सहयोगञ्च, मम प्राप्स्यसि त्वं सदा ॥ 18 ॥
पत्नी के असमर्थ या अपने कर्त्तव्य से विमुख हो जाने पर भी अपने सहयोग और कर्त्तव्य पालन में रत्ती भर भी कमी न रखूँगा ।
पत्नी का वचन
पूज्यास्तव पितरो ये श्रद्धया परमा हि मे ।
सेवया तोषयिष्यामि, तान्सदा विनयेन च ॥ 19॥
जो पति के पूज्य और श्रद्धा पात्र हैं उन्हें सेवा द्वारा और विनयद्वारा सदैव सन्तुष्ट रखूँगी ।
कुछ मिलते जुलते लेख
Tag-sath phere ka arth, ladka ladki shadi me kya kasam khate hai, shadi ka wada, viwah me khaye jane wale kasam,शादी में सात फेरे का सही अर्थ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
इस लेख से सम्बंधित अपने विचार कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं