13 अक्टू॰ 2019

इन 7 कारणों की वजह से मनाया जाता है धनतेरस | Dhanteras ki katha

Dhanteras ki Asli  kahani  | धनतेरस की  कहानिया


Dhanteras katha का दीपावली में एक अलग ही महत्व हैं धनतेरस ही दीपावली की सूचना देता है धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाते हे धनतेरस बहुत ही खुशियों का दिन है लोग इस दिन एक दूसरे को खुशियां बांटते हैं उपहार देते हैं। आज के इस लेख में हम Dhan teras katha के विषय में जानेंगे |

Dhanteras katha 2022 | धनतेरस के पीछे की सात कहानिया

 Dhanteras katha ki jankari | धनतेरस की कथा 


जहां देवता और दानव की बात आती है वहां युद्ध होना अनिवार्य होता है ऐसे ही एक बार राजा बलि के डर से सभी देवता भगवान विष्णु के पास चले गए

क्योंकि राजा बलि दानी भी थे घमंडी भी थे उनका ऐसा मानना था संसार में उनके जैसा दानी दूसरा कोई नहीं इसी घमंड के कारण स्वर्ग में जितनी संपत्ति थी

वह सब दान करते जा रहे थे इसी भय के कारण सभी देवता भगवान विष्णु के पास चले गए देवताओं की प्रार्थना सुनते हुए भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को दूर करने के लिए वामन अवतार ले लिया

वामन भगवान ठीक उसी यज्ञ स्थल पर पहुंच गए जहां बलि दान कर रहे थे वामन भगवान को देखते ही राजा बलि ने कहा आपको मैं क्या दान करूं,

असुरों के गुरु शुक्राचार्य यह बैठे-बैठे सब बातें सुन रहे थे शुक्राचार्य ने बामन भगवान को पहचान लिया और बली को सावधान करते हुए कहा हे बली ये और कोई नही स्वयं भगवान विष्णु है।

विष्णु तुम्हारे कार्य में विघ्न डालने आया है अतः इसको दान देने का संकल्प मत करो । राजा बलि ने शुक्राचार्य से कहा मेरे घर स्वयं नारायण आए हैं कितना बड़ा सौभाग्य है

मैं इस को यूंही कैसे जाने दे सकता हूं बली ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी । फिर बलि ने बामन भगवान से कहा आपको क्या चाहिए बामन भगवान ने तीन पग धरती मांगी ।

बामन ने दो पग में ही पूरी धरती को अपना बना लिया राजा बलि का अहंकार टूट गया और अंत में एक पैर अपने सिर के ऊपर रखने को कहा।

इस तरह भगवान ने राजा बलि का अहंकार तोड़ा और जितना राजा बलि ने दान में खर्च कर दिया था उससे कई गुना संपत्ति बामन भगवान ने देवताओं को दे दी ।

धर्म ग्रंथों के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ उस दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी में धनवंतरी अपने दोनों हाथों में अमृत का घड़ा लेकर समंदर से उत्पन्न हुए थे।

ऐसा माना जाता है कि धन्वंतरि और कोई नहीं स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसी कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन राजा बली का अहंकार टूट गया

और शुक्राचार्य की आंख भी फोड़ी गई थी और देवताओं की जो संपत्ति राजा बलि ने दान में दिया था। उससे कई गुना अधिक संपत्ति भगवान् वामन में देवताको को दी

इसलिए  पूरे देवता कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि की पूजा करते हैं और इसी को ही धनतेरस के रूप में  मनाया जाता है।

Dhanteras katha | धनतेरस के पीछे की 7 कहानिया
Dhanteras katha | धनतेरस के पीछे की 7 कहानिया



भगवान धन्वन्तरी की और भी मान्यताये

भगवान् धन्वन्तरी एक चिकित्सक भी थे धन्वन्तरी का सबसे प्रिय धातु पीतल माना जाता हे । इसलिए लोग धनतेरस के दिन पीतल,चादी आदि के बर्तन खरीदते हे।

भगवन धन्वन्तरी ने ही सबसे पहेले आयुर्वेद की खोज की थी यह दिन व्यापारियों ,आयुर्वेदिक और चिकित्सा के लिए अति शुभ माना जाता हे 

भगवान् धनवनरी की और भी कथाये हे  

यमराज की कथा का भी उल्लेख हे एसा माना जाता हे जो लोग धनतेरस के दिन यमराज के लिए दीप दान करता हे उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती हे ,घर में सदा लक्ष्मी का वास होता हे।

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लक्ष्मी और गरीब किसान की कथा भी आती हे किसप्रकार माँ लक्ष्मी की कृपा से वह गरीब किसान के सारे कस्ट दूर होगये।

रजा बली की कथा आदि

धनतेरस के दिन ये सामान न ले नहीं तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है


हम आशा करते हैं आपको Dhanteras katha का यह लेख अच्छा लगा होगा यदि आप लोगों के मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर सकते हैं ।

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