13 अक्तू॰ 2019

इन 6 कारणों से मनाया जाता हैं दीपावली पर्व | diwali katha ki jankari

Diwali ki rochak jankari | dipawali ki story | दीपावली कथा 


दीपावली क्या है? दीपावली के पावन त्यौहार को इतने धूमधाम से क्यों मनाया जाता है? दीपावली के विषय में कुछ बातें हमें पता है और कुछ नहीं पता है  दीपावली मनाने के पीछे कई सारे कारण छिपे हुए हैं आज हम जानेंगे कि दीपावली मनाने  का कारण क्या क्या है ?आखिर क्यों इतने हर्षोल्लास के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।
Diwali ki  jankari | dipawali ki katha
इन 6 कारणों से मनाया जाता हैं दीपावली पर्व | diwali katha ki jankari

दिवाली की कथा | diwali ki katha | dipawali ki jankari | दीपावली की पूरी कहानी 


जब भगवान राम अयोध्या लौटे
 जब भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ उस दौरान राम ने जब रावण का अंत किया फिर अयोध्या लौट आए तब भगवान राम के लौट आने की खुशी में पूरे अयोध्या वासियों ने अयोध्या को एक रानी की तरह दीपकों से सजाया था तभी से दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हुई।

श्री कृष्णा ने नरकासुर को मारा

कृष्ण भगवान ने दीपावली के पहले एक राक्षस को मारा । जिसका नाम नरकासुर था  उसी के मरने की खुशी में

 लोगों ने पूरे गांव में दीपक जलाया था इसीलिए भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

धन के साथ-साथ बुद्धि और विवेक  का होना आवश्यक है

यह कथा एक लकड़हारे की है एक लकड़हारा था दिनभर लकड़ी काटना उसको बेचना और अपनी जीवन

की आवश्यकताओं को पूरी करना एक दिन  जब राजा ने उसकी मेहनत को देखा तो राजा प्रसन्न होगये और राजा ने चंदन के लकड़ी का  वन उस लकड़ हारे को उपहार स्वरूप  दे दिया ।


 पर उस लकड़हारे को नहीं पता चंदन की लकड़ी और सामान्य लकड़ी में कितना अंतर होता है । लकड़हारा रोज की तरह जंगल में चंदन के लकड़ी को काटकर बाजार में ले जाकर सामान्य भाव में बेच देता ।

 जब राजा को उस लकड़हारे की बातों का पता चला तब राजा ने कहा धन के साथ साथ विवेक और बुद्धि का होना भी आवश्यक है। इसलिए दीपावली के दिन गणेश और माँलक्ष्मी की पूजा  की जाती है  ताकि लोगों में बद्धि और विवेक बनी रहे।

Diwali ki puri jankari | dipawali ki katha kahani

देवताओं के राजा इंद्र और बलि की कथा


हम सबने कथा प्रवचन आदिमे एक बात  बहुत सुना है देवता और दानवों की लड़ाई, कोई भी कथा हो देवता

 और राक्षस की लड़ाई
होती ही है एक बार राजा बलि देवताओं के राजा इंद्र से  डरकर भाग गए और कहीं

एकांत में जाकर छुप गए , देवराज इंद्र राजा बलि को ढूंढते हुए वहीं पहुँच गए  इतने में राजा बलि के शरीर से

 एक स्त्री  प्रगट होगई  ।

देवराज इंद्र ने उस स्त्री  से अपना परिचय पूछा तो उस स्त्री ने अपना नाम देवी लक्ष्मी बताया। इंद्र ने देवी

लक्ष्मी से कहा कि आप बलि के शरीर से क्यों प्रकट हो गई?तब  लक्ष्मी ने कहा में उन लोगों के पास सबसे ज्यादा

रहती हूं जो दानी होते हैं ,जो ज्ञानी होते हैं ,जो सत्संग करते हैं, मैं सिर्फ उन्हीं के पास रहती हूं इसीलिए भी

दीपावली मैं मां लक्ष्मी की  पूजा की जाती है।

एक राजा और ज्योतिषी की कथा


एक बार एक ज्योतिषी राजा के महल में पहुंचा  ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की कि आगामी कार्तिक अमावस्या के

दिन एक विशैला साँप के डशने से है राजन आपकी मृत्यु हो जाएगी इतना कहकर वह ज्योतिषी महल से चला

गया ।

तब राजा ने सोचा कि में और मेरी पत्नी कार्तिक अमावस्या के दिन पूरे नगर में दीप जलाकर भजन करेंगे पूजा
करेंगे जैसे ही  कार्तिक अमावस्या  आया राजा ने पूरे मोहल्लो  में दीप जलाए ।

 महल को एक रानी की तरह सजाया और उनके सारे बिघ्न  बाधा दूर हो गए तभी से कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीप जलाने की परंपरा शुरु हुई।

ऐसे ही और भी दीपावली की कथाएं है जिसके चलते आज भी दीपावली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता

है आप सभी दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाये 

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