31 जुल॰ 2021

नागपंचमी में कालसर्प दोष की पूजा कैसे करें । Naag panchami me kaalsarp dosh ki shanti

 नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा कैसे करें । Naag panchami me kaalsarp dosh ki shanti kaise kare

कालसर्पदोष से पीड़ित व्यक्ति नागपंचमी के दिन पूजा करके इस दोष से छुटकारा पा सकते है।कालसर्प योग का नाम सुनते ही लोगों में एक बेचैनी सी छा जाती है ना जाने मेरे साथ क्या होगा? कालसर्प योग ने मुझे बर्वाद कर दिया जो भी समस्याये आरही है इसी से आरही हैं इन सब फालतू की बकवास बातें मन में आते रहेंगे लेकिन कालसर्प योग इतना डरावना नहीं है जितना कि हम समझते हैं।

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फिर भी कुछ ऐसे कालसर्प योग होते हैं जो जीवन में वाकई बाधा और समस्याएं खड़ी कर लेते हैं ऐसी समस्याओं से निजात पाने के लिए आप नाग पंचमी के दिन विशेष विधि द्वारा कालसर्प दोष की शांति करके अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।

नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की शांति कैसे करें । naag panchami ke din kaalsarp yog ki shanti kaise kare

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कालसर्प दोष की शांति कराने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से जन्मपत्रिका दिखाकर कर आप यह सुनिश्चित करें कि आपके जन्मपत्रिका में जो कालसर्प दोष है क्या वह वाकई आप को नुकसान पहुंचा रहा है या नहीं क्योंकि सभी कालसर्प योग नुकसान नहीं देते कुछ ही नुकसान पहुंचाते हैं। अगर आप हमसे जानना चाहते हैं तो हमें मेल कर सकते हैं हमारी सेवा बिलकुल निशुल्क हैं।

नागपंचमी में कालसर्प दोष की शांति कैसे करें । naag panchami me kaalsarp dosh ki shanti kaise kare

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया करके अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद उनसे आशीर्वाद लेकर आप कालसर्प योग की शांति का कार्य कर सकते हैं

यह कार्य बिना पंडित जी के संभव नहीं है वह भी योग्य पंडित बम्हण होना चाहिए जिसको सही-सही मंत्र उच्चारण आता हो रोज गायत्री जप संध्या करता हो।

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कालसर्प दोष की शांति के लिए सबसे उत्तम स्थान नदी तालाब या कोई जलासय होता है वहां जाकर दीपक कलश गणेश की स्थापना करें इन तीनों का विधिवत पूजन करके स्वस्तिवाचन का पाठ करें फिर भगवान शंकर का रुद्राभिषेकभगवान शंकर का रुद्राभिषेक करें रुद्राभिषेक करते समय नाग और नागिन के जोड़े को शिवलिंग में रख दें उसके बाद दूध या जल से शिवलिंग का अभिषेक विधिवत करें अभिषेक तब तक करें जब तक पंडित जी रुद्राष्टाध्याई का पाठ पूरा करें।

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रुद्राभिषेक करने के पश्चात नागों को निकालकर उनका विशेष पूजन करें नागों के पूजन के बाद उनको नदी में प्रवाहित कर दें वैसे आजकल नाग के जोड़े को पंडित जी अपने साथ ले जाते हैं ,कहीं कही स्थानों में हमने देखा है एक नाक को प्रवाहित किया जाता है और दूसरे को पंडित जी ले जाते हैं।


अगर सही नियम से कालसर्प योग की शांति करानी हो तो नागों के जोड़े को अपने साथ नहीं ले जाना चाहिए उनको नदी में ही प्रवाहित करके उनका विसर्जन करना चाहिए।


इतना करने के बाद शांति कलश में रखा हुआ जल और रुद्राभिषेक का जल दोनों को एक साथ मिलाकर उस व्यक्ति की शांति करें जिसके लिए कालसर्प दोष की पूजा की गई हो।


नोट- ऊपर जो भी विधि बताई गई है वह सिर्फ एक रास्ता दिखाया है की कालसर्प योग की शांति कैसे की जाती है एक ब्राम्हण से यह कार्य संभव नहीं है अतः प्रयास करें कि आप जब भी कालसर्प योग की शांति करें कम से कम तीन या पांच ब्राह्मण अवश्य अपने साथ ले जाये।


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