वृषभ (Taurus) राशि के कुछ चौकाने वाली बातें ।। All about vrish rashi facts
आपने अपना राशिफल पढ लिया उसमे बताया गया उपाय भी खूब किया लेकिन फिर भी कुछ फायदा नही मिला मैं सही बोल रहा हूं न! जानते है ऐसा क्यों है क्यों की आप अपनी राशि को बारीकी से जानते ही नहीं हो जिसने जो बोल दिया उसी को सच मान बैठते हो अगर आपकी राशि वृष है तो आपको वृष taurus राशि को बारीकी से समझना चाहिए All about vrish rashi facts ।
वृष राशि क्या है । Vrish rashi kya hai। What is Taurus
अगर इन अंको में से आपका नाम शुरू होता है तो (इ उ ए ओ ब बी बू ब बा) आपकी वृष राशि है ज्योतिष में वृष राशि taurus का स्थान दूसरे नंबर में है इसको "बैल" वाली राशि भी कहा जाता है आकाशखण्ड में विभाजन और इसका नक्शा बैल की आकृति बनता है। इस कारण इसका नामकरण वृष किया गया है। ज्योतिष शास्त्र में इसके नक्षत्रों में "कृत्तिका" के २-३-४ चरण, "रोहिणी" के चारों चरण व मृगशिरा के १-२ चरण सम्मिलित हैं। इसका उद्गम "पृष्ठोदय" है इसकी दिशा "पूर्व" है। रंग सफेद, कट विकृत रहने का स्थान "श्वेत" माना गया है।
वृष राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है, जिसे शास्त्रों में असुरों का गुरु माना गया है। "शुक्र" स्वामी होने के कारण, नेत्र, जल, वीर्य , और कफ पर इसका अधिकार है। यह बसन्त ऋतु का स्वामी है। इसकी अधिपति देवता "लक्ष्मी" हैं। सौरमण्डल की मन्त्रि-परिषद् में इसे मन्त्री पद का दर्जा प्राप्त है। इस ग्रह का सम्बन्ध "जिह्वा" से है। इसके मित्र ग्रह बुध और शनि हैं, सूर्य, चन्द्र इसके शत्रु ग्रह हैं। मंगल और बृहस्पति "गुरु" से इसका सम्बन्ध सामान्य है।
इसका आकार अष्टकोण कट सामान्य विशिष्ट अंग "गुप्तांग" है। इसका वेद यजुर्वेद है। यह बुध शाखा का स्वामी है। वृषभ की राशि शूद्र है। यह एक राशि पर एक माह तक रहता है। राशि की दृष्टि से यह राशि चेहरा और गले का प्रतिनिधित्व करती है। स्वामी ग्रह का लिंग स्त्री है। स्वामी ग्रह शुक्र की जाति ब्राह्मण है। गुण इसका रजोगुणी है। इस राशि का यह विवरण तो ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से है।
वृष राशि को वैज्ञानिक तरीके से समझे । Understand Taurus scientifically
अब इसका वैज्ञानिक रूप भी देखना आवश्यक है। विज्ञान की दृष्टि से शुक्र को पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी माना गया है। यह ग्रह सौरमण्डल की अपेक्षा सूर्य के अधिक निकट है। यह हमारी पृथ्वी से ६, ७०, २०, ५१० मील दूर है तथा पृथ्वी से इसकी निकटतम दूरी २५, ७००, ५०० मील है।
इसकी सतह का तापमान ८९९ फारेनाहाइट डिग्री है। पृथ्वी से इस ग्रह को नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इसका एक वर्ष २५५ दिन का है। यह २५५ दिन में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। अत एवं पृथ्वी का १८ वर्ष का युवक शुक्र पर २७ वर्ष का तरुण बन जायेगा। यह लगभग २२ मील प्रति सेकण्ड की गति से सूर्य की परिक्रमा कर रहा है, जबकि पृथ्वी की गति प्रति सेकण्ड १८ मील है।
यह ग्रह सुबह-शाम अवश्य दिखेगा, पर मध्य रात्रि में कभी नहीं दिखाई देगा। इसका धरातल सफेद बादलों से ढका हुआ है। इसके बादल तेल के कणों से बने हैं। शुक्र के चारों ओर एक सफेद धुंध-सी छायी रहती है। देखिये पूर्वजों ने किस प्रकार लाखों वर्ष पूर्व इसका. वर्ण का रंग सफेद (श्वेत) बतलाया है। शुक्र से बराबर रेडियो तरंगें उठती हैं। इसके धरातल पर पानी की सम्भावना है। इस ग्रह पर जीवन की कोई सम्भावना नहीं है।
ज्योतिष में क्यों महत्वपूर्ण है वृष राशि। Why is Taurus important in astrology?
शुक्र ज्योतिष शास्त्र में यह वृषभ (वृष) व तुला का स्वामी माना गया है। हस्त रेखा में इसकी गणना पर्वत शुक्र के रूप में है। यह प्रेम (सैक्स), विवाह, पारिवारिक जीवन, कला, शारीरिक सुख का निर्णय करने वाला है। हस्तरेखा में इस ग्रह के स्थान को बड़ा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और लगभग जातक के सम्पूर्ण करतल को प्रभावित करता है। जन्मकुण्डली में जिस घर में (भाव में) यह बैठता है, वहीं से यह अन्य ११ भावों (घरों) को प्रभावित करता है। वृषभ (वृष) राशि ऐसे ही तेजस्वी, महत्वपूर्ण, प्रभावशाली ग्रह के अनुचर के रूप में आती है।
वृष राशि का रूप-रंग । Vrish rashi ka rup rang
जातक के जन्म लेने के समय इस राशि का उपस्थित होना ही उस जातक की राशि को निर्धारित करता है। इस राशि का स्वामी का रंग रूप बतलाते हुए कहा गया है कि उसका शरीर स्थूल है, घुंघराले काले बाल हैं, वर्ण गेहुंआ है व्यक्तित्व आकर्षक और मिलनसार है। आंखें बड़ी-बड़ी और वीर्यवान हैं। इस प्रकार के वर्णन के कारण वृष राशि के जातक प्रायः हृष्ट-पुष्ट, अच्छे डीलडौल वाले कर्मठ, आकर्षक, गोरे चुम्बकीय व्यक्तित्व के धनी होते हैं। अधिकांश का वर्ण गौर होता है।
बड़ी-बड़ी सुन्दर आंखों वाली स्त्रियों की राशि अधिकतर वृष ही होती है। इस राशि में जन्मी बालिकायें अनुपम सुन्दरी होती हैं। इस राशि की महिलायें रूप-रंग, बनावट की नजर से मनमोहिनी होती है। अपने आकर्षक व्यक्तित्व के कारण इनके मित्र और शत्रुओं की संख्या सबसे अधिक होती है।
वृष राशीवालो का स्वभाव । Nature of Taurus people
इस राशि के जातकों का स्वभाव घमण्डी और क्रोधी होता है। यह सबको प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। अपने कार्य के लिये पूर्णतः समर्पित होते हैं। मेहनत और लगन में कोई कमी नहीं आते देते हैं। पूर्णतः व्यावहारिक होते हैं। यह योजन के अनुसार ही काम करते हैं, एक बार योजना बनाने के बाद उसी के अनुसार कार्य करना इन्हें पसन्द होता है। विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं घबराते।
यह कला-प्रेमी, नाच-गाने के अभिनय के शौकीन होते हैं। मनोरंजन इनको प्रिय होता है, पर मनोरंजन को यह प्राथमिकता नहीं देते हैं। इनका दाम्पत्य जीवन सुख-दुःख मिश्रित होता है। इनका यौवन काल एवं वृद्धावस्था सुखमय होती है, यौवन में यह काफी परिश्रम करते हैं। खर्च के मामले में संकोची होते हैं।
वृष (Taurus) राशि वालो की आयु । Vrish rashiwalo ki aayu
इस राशि के व्यक्ति की आयु ६० वर्ष तक मानी जाती है। ६० वर्ष की अवस्था पार करने के पश्चात् भी इसका जीवन रहता है, तो नर्क तुल्य होता है। इस आयु के बाद इस राशि का जातक मात्र चलती-फिरती मूर्ति बनकर रह जाता है। जीवन में प्रायः बीमार कम होता है, पर अगर बीमार होता है तो देर से ठीक होता है।
वृष राशि के जातकों का स्वास्थ्य । Vrish rashi ke logo ki aayu
इसका स्वास्थ्य सामान्यतः यौवन काल तक श्रेष्ठ रहता है। यौवन काल के उपरान्त इसका स्वयं की लापरवाही से स्वास्थ्य बिगड़ता है। प्रायः पथरी, सांस में कष्ट आदि होता है। नेत्र व चेहरे की पीड़ा घेरे रहती है। उदर से सम्बन्धी रोग शीघ्र घेरते हैं। इस राशि की महिलाओं को श्वेत प्रदर अनिवार्य रूप से होता है। पेट में हमेशा शिकायत रहती है। सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, अपच लगी रहती है।
वृष (taurus)राशिवालो का विवाह । Vrish rashi walo का shadi
इस राशि के जातक का विवाह सुख-दुःख मिश्रित रहता है। अपने अहम्, घमण्डी एवं कंजूस स्वभाव के कारण पत्नी से खटपट रहती है। मिथुन, मकर, कुम्भ राशि वाली स्त्रियों से या पुरुषों से विवाह सम्बन्ध उत्तम रहता है। सिंह, कर्क, वृश्चिक ' राशि वालों से विवाह सम्बन्ध अशुभ व कलहकारी सिद्ध होता है। मेष, वृश्चिक तथा धनु राशि वाले इनके लिये सामान्य रहते हैं।
इनका आमतौर पर दाम्पत्य जीवन नरम-गरम रहता है। इनका सैक्स व्यावहारिक होता है। यह कोरी भावुकता पर आधारित नहीं होता है। इस राशि वाले की सन्तानें कम होती हैं, जो भी होती हैं उनको कड़े अनुशासन में रखना चाहते हैं। इस राशि की महिलाओं को पुत्र-प्राप्ति का योग 21 वर्ष की आयु के बाद बनता है।
कैसे जीवन-निर्वाह करते है वृष राशि वाले । Vrish rashi ka jiwan kaise chalta hai
इस राशि के व्यक्तियों को पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा या पश्चिमी दिशायें शुभ रहती हैं। इनका मुख्य जीवन-निर्वाह मूल्यांकनकर्ता, नाप-तौल विभाग, बैंकर, निर्माता, जौहरी, उपन्यास लेखन, व्यापारी, प्रैस लाइन से होता है। वैसे सब कार्य कर लेना इनकी मुख्य विशेषता है।
वृष राशि वालो का रत्न रंग और परामर्श
इस राशि के शुभ रंग नीला और सफेद हैं मोती, हीरा एवं सफेद हकीक शुभ रत्न हैं। अनामिका या कनिष्ठिका में इनको धारण करना विशेष लाभप्रद है।
इस राशि वालों को परामर्श दिया जाता है कि वह अपने खान-पीन का ध्यान रखें। अधिक परिश्रम न करें। मितव्ययिता एक अच्छी आदत है, पर आवश्यकता से अधिक कंजूसी भी उचित नहीं है।
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