1 जन॰ 2024

Mesh rashi kya hai \\ मेष राशी जाने अपनी गुप्त बातें

 Mesh rashi kya hai । मेष राशि की जानकारी

जब किसी के यहां कोई जन्म लेता है तो उसका नाम कैसा रखना चाहिए? क्योंकि नाम से भी जातक के व्यक्तित्व की पहचान होती है। अगर नाम सही ढंग का और व्यक्तित्व से मेल खाता नहीं रखा जाता है, तो उसका जीवन-भर पछतावा रहता है, क्योंकि नाम एक बार रखने के पश्चात् बदला नहीं जा सकता।
नीचे लिखे अक्षर से आपका पहला नाम शुरू होता है तो आपका मेष राशि है।

Mesh rashi kya hai मेष (Aries) राशि नाम अक्षर


मेष (Aries) राशि नाम अक्षर
(च चे चोलाली लूले लो आ)

मेष राशि को भारतीय ज्योतिष में प्रथम स्थान प्राप्त है। इसको भेड़ की आकृति का माना गया है और इसका निवास गुर्दे में ऊपर के भाग में माना गया है। सौर पद्धति में इसका समय २० अप्रैल से १९ मई चन्द्र पद्धति में अप्रैल, मई, पाश्चात्य मत के अनुसार मार्च, २१ से अप्रैल, २१ तक और भारत सरकार के द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय पंचांग में अप्रैल, १५ से मई, १४ तक इसका समय माना गया है।

इस राशि का अधिपति स्वामी क्रूर एवं तेजस्वी ग्रह मंगल माना गया है। यह चर राशि है और अश्विनी, भरणी और कृत्तिका नक्षत्र इसमें आते हैं। इसका तत्व अग्नि है और इसकी गणना पृष्ठोदय (पिछले भाग से उदय होने वाली) राशि में है। इसकी दिशा पूर्व है, रंग लाल माना गया है, कद छोटा और रहने का स्थान वन माना गया है। जाति इसकी क्षत्रिय है। इसकी गणना पुरुष श्रेणी में है। यह चतुष्पदा राशि है। इसके अधिपति स्वामी ग्रह के देवता विघ्न विनायक श्री गणपति हैं। इसकी धातु मज्जाहै।

Mesh rashi kya hai विस्तार से जानिये || मेष राशी क्या है की जानकारी

इसके मंगल को सौरमण्डल के मन्त्रिमण्डल में सेनापति का स्थान प्राप्त है। इसका इन्द्रिय ज्ञान नेत्र हैं। कुण्डली में इसकी राशि उच्च मानी गयी है। इसका आकार ढोल के समान माना गया है। इसका वेद सामवेद है। बुध शाखा का स्वामी माना गया है। इसका अयन (दिन) है। इसका फल दिन भर में मिल जाता है, क्योंकि इसका और पृथ्वी का दिन करीब-करीब बराबर है। यह एक राशि पर डेढ़ दिन रहता है।

मैं इन सबका वर्णन और विवरण इसलिये दे रहा हूं, ताकि पाठकों को अपना भविष्य- फल पढ़ते समय इन बातों का ध्यान रहने पर वह भविष्य-कथन की प्रामाणिकता पर विश्वास भी करेंगे क्योंकि यदि सब तथ्य इतने वैज्ञानिक हैं कि इनकी व्याख्या के अनुसार ही भविष्यफल मिलता है। इस सब विवरण का अर्थ भी आपको आगे मिल जायेगा।


इस प्रकार के नाम, गणना और वर्गीकरण का क्या अर्थ है? आप पढ़कर हैरत में रह जायेंगे कि भविष्यफल का भविष्य-कथन अन्य भविष्यफलों से भिन्न है, क्योंकि मैं इस विद्या को "विज्ञान" के रूप में मानता हूं और विज्ञान हमेशा प्रमाणित होता है। अतएव यह सब वर्णन स्वयं आपको भी मेरी बात को विज्ञान की कसौटी पर परखने में सहायक बनेगा।

इस राशि के देवता की आयु ६० वर्ष मानी गयी है। यह सत्वगुणी है। प्रकृति कफ है। रत्न इसका मूंगा है और स्वाद तिक्त है। ऋतु ग्रीष्म है। सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति (गुरु) इसके मित्र हैं। बुध इसका शत्रु है। शुक्र और शनि से इसकी साधारण मैत्री मात्र है।

आकार के अनुसार कमर पतली है। बाल चमकते घुंघराले हैं। आंखें रक्तवर्ण हैं। स्वभाव क्रूर और अस्थिर है। हृदय उदार है। वार करने में यह बड़ा अचूक निशानेबाज है। शरीर में आघात या जलने का चिन्ह है। वीर है, पर अनुशासित है। अत्यन्त कामुक और शीघ्र

गुस्से में आने वाला है। इसका शुभांक ९ है। इसकी अंक गणना ३ से ११ है। पुराणों में मंगल को "महिसुत" अर्थात् पृथ्वीपुत्र कहा गया है। वेदकालीन पंचग्रहों में इसकी गणना है।

महाभारत के कर्ण पर्व में इसकी विशेष चर्चा है। यह ग्रह पृथ्वी के मानव के लिये विशेष महत्व रखता है। इस ताम्रवर्णी ग्रह और पृथ्वी में अनेक समानताएं हैं। इसका व्यास मात्र ४२१५ मील है।

पृथ्वी से इसकी निकटतम दूरी लगभग ३४६००६५० मील है। इसका तापमान ८५ डिग्री फारेनहाइट से १९० फारेनहाइट है। ५ फरवरी, १९६५ को जिस प्रकार सभी ग्रह एक साथ इकट्ठे हो गये थे, उसी तरह ५ मई, २००० में फिर एक साथ इकट्ठे होंगे।

mesh rashi इतना important क्यों है

इसका एक नाम भौम भी है। सूर्य से इसकी दूरी लगभग १४,७३०, ००० मील है। पृथ्वी के ६५७ दिनों में यह सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। मंगल का एक वर्ष पृथ्वी के २ वर्ष से थोड़ा छोटा होता है, पर दिन लगभग बराबर है। साधारणतः इसका दिन २४ घन्टे 37 मिनट का होता है। सूर्य की परिक्रमा करते समय व हर 15वें वर्ष में पृथ्वी के एकदम निकट आ जाता है। यूनान में इसे युद्ध का देवता माना है। १८७७ में पहली बार मिलान की वेधशाला में इसका सम्पूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन किया गया। १९०७ में इटली के एक खगोल शास्त्री गियोपान्नी शिया पारती ने इसमें ७०० जल नहरों का होना प्रमाणित किया और सबसे पहले मंगल पर आबादी होने की सम्भावना प्रकट की।

अमेरिका ने अपना "वाईकिंग" रॉकेट मंगल ग्रह तक भेजा। मंगल ग्रह का वायुदबाव पृथ्वी के वायुदबाव का केवल सौवां अंश है। इस पर उल्कापात के गहरे गड्ढे हैं।


ज्वालामुखी पर्वत है। मौसम की दृष्टि से ग्रह सजीव है। बादल, तेज, हवायें, धूल की आंधियां चलती हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र पराशर संहिता में मंगल ग्रह को रुधिर का देवता और जीव की उत्पत्ति का केन्द्र माना है। हस्तरेखा में यह मनुष्य की हथेली पर दो स्थानों पर अपना अधिकार रखता है।


अब हम पौराणिक और आज के वैज्ञानिक तथ्यों को मिलाकर देखेंगे। हमारी पौराणिक मान्यता। गणना किस प्रकार वैज्ञानिक तथ्यों से मेल खाती है। वेदों में भी मंगल का श्लोक आया है। वेदों का रचनाकाल अनादि है। आज तक यह प्रमाणित नहीं हो सका कि वेदों की रचना किसने की और कब की? हमारे यहां वेद स्वयं ब्रह्मा रचित मानते हैं। जो हो, लाखों वर्षों पूर्व वर्णित विवरण आज भी विज्ञान की खोज में सटीक उतर रहा है।

पौराणिक तथ्यों पर आधारित और विज्ञान द्वारा प्राप्त निष्कर्षों के अनुसार इस वर्ष का भविष्य मेष राशि का कैसा बनता है, वह तो आगे वर्णित है, पर इस राशि वाले जातकों का स्थायी भविष्य इस प्रकार बनता है-

मेष राशि वालो का रूप-रंग ।। Mesh rashi walo ka rup rang


इस राशि के अधिकतर जातक का रंग गोरा होता है। उनके रक्त में लाल कणों की अधिकता के कारण प्रायः रंग गोरा, ताम्रवर्ण (तांबे के समान दमकता), गेहुंआ होता
है। अश्विनी या भरणी नक्षत्र में जन्मे बालक का यही रंग होता है। इनका गोरा, श्यामल भी होता है, काला रंग बहुत कम होता है। कद समान्यतः छोटा होता है।

लम्बे-चौड़े इस राशि के व्यक्ति अपवाद हो सकते हैं। बदन गठीला तथा बाल घुंघराले होते हैं। इस राशि की महिलाओं के बाल अधिकतर लम्बे और घने होते हैं। आंखें बहुत सुन्दर होतीहैं।


उनकी आंखों में चमक, चंचलता बेहद होती है। पुरुष की आंखों के कोरों में ललाई अवश्य होती है। अगर ऐसा नहीं होगा तो उनका शरीर ढाल के समान होगा अर्थात् तोंद वाला, मोटा थुल-धुल होगा।

मेष राशि वालों का स्वभाव । Mesh rashi walo ka swabhav


इस राशि का जातक अस्थिर स्वभाव का होता है। इसे बहुत शीघ्र गुस्सा आता है, पर ठण्डा भी शीघ्र होता है और हृदय का बड़ा कोमल होता है। इसे तिक्त पदार्थ विशेष पसन्द होते हैं। यह डरपोक, कायर नहीं होता। मौका पड़ने पर मरने-मारने के लिये तैयार रहता है। उस समय यह अत्यन्त क्रूर होता है। अपने दुश्मन के टुकड़े-टुकड़े करने के बाद भी शांत नहीं होता है।

सत्वगुणी होने के कारण सच्चरित्र, दृढ़निश्चयी और संकल्प पूरा करने वाला व्यक्ति होता है। केवल अस्थिर स्वभाव के कारण इसे कम सफलता मिलती है। इसका तत्त्व अग्नि होने के कारण उग्र स्वभाव का होता है। नेतृत्व गुण अधिक होता है।


चतुष्पदी राशि होने के कारण यह बार-बार गिरने पर भी उठकर शीघ्र खड़ा हो जाता है। अपना लक्ष्य नहीं भूलता, प्राप्त करके ही दम लेता है। पृष्ठोदय राशि के कारण यह दुश्मन की ओर पीठ कर देने पर ही मात खा सकता है, वरना सामने से इसको कोई भी पराजित। नहीं कर सकता।


यह अत्यन्त कामुक होता है। हरियाली (पेड़, पौधे, बगीचे) इसको बड़े पसन्द होते हैं। लाल, सफेद और हरा रंग इसे प्रिय होता है। अपनी आकृति भेड़ होने के कारण इसके गुण, अवगुण, स्वभाव भेड़ से बहुत कुछ मिलते हैं।

मेष राशि वालो का आयु । Mesh rashi walo ka age

इस राशि के व्यक्ति की आयु, अगर देवयोग पक्ष में रहता है, तो कम से कम ५५ वर्ष अवश्य ही होती है। इस राशि का जातक प्रायः दीर्घायु माना गया है। दुर्घटना या चोट के कारण इसकी मृत्यु सम्भव रहती है।

मेष राशि वालो का स्वास्थ्य । Mesh rashi ka health

अपने प्रकृति-रूप के कारण इसका स्वास्थ्य नरम-गरम बना रहता है। गर्मी, विष-प्रभाव, चोट, घाव, कोढ़, नेत्र-पीड़ा, खुजली, ब्लडप्रेशर, कमजोरी, हड्डियों पर चोट, ट्यूमर, कैंसर, बवासीर, गर्दन पीड़ा जैसी बीमारियां होती हैं।


शरीर में आघात और जलने का चिन्ह बतलाया गया है। अतएव इस राशि की महिलायें भाग-भागकर आत्महत्या करती हैं। पुरुष का शरीर एक-न-एक बार जरूर जलता है या आघात खाता है।

मेष राशि का विवाह । Marriage of mesh rashi

इसका विवाह-प्रेम मेष, वृषभ, तुला राशि की स्त्री से होने पर सुखमय एवं सफल रहता है। वृश्चिक, मकर राशि से सामान्य सुखी। मिथुन, कन्या राशि से होने पर प्रायः 'क्लेशपूर्ण रहता है। कामुकता के कारण अपनी स्त्री से इसकी पटती नहीं। कामवासना की तृप्ति के लिये यह भटकता रहता है। परिवार के प्रति इसका व्यवहार अस्थिर रहता है।

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जीवन-निर्वाह कैसे करते है मेष राशि वाले ।। Kaisi life jite hai mesh rashi wale

जीवन-निर्वाह इसका जनरल (सेना में) या अन्य पदों पर, संगठनकर्ता, डॉक्टर, व्यापारी, वकील, दवा विक्रेता, नेता के रूप में होता है।

इस व्यक्ति के लिये पूर्व, उत्तर-पूर्व, दक्षिण दिशायें विशेष शुभ होती हैं। इण्डोनेशिया, कलकत्ता, शिमला, पेरिस, कनाडा, बैलग्रेड स्थानों में बड़ा भाग्योदय होता है

मेष राशि वालो के लिए शुभ दिन, शुभ माह । Mesh rashi ke liye shubh samay

मेष राशि वालों को १-२-३-६-११-१३-१६-२१- २३-२८-३० तिथियां शुभ रहती हैं।

सोमवार, मंगलवार, गुरुवार ये तीन बार बहुत शुभ रहते हैं।

जनवरी, मार्च, अक्टूबर एवं दिसम्बर माह प्रायः मेष राशि के शुभ रहते हैं।

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