14 मार्च 2024

Aghori Baba | अघोरी बाबा मुर्दे का मीट क्यों खाते है 7 कारण

अघोरी बाबा के विषय में जानकारी | Aghori baba ki jankari


अघोरी शब्द का अर्थ है "जो डरता नहीं है"। अघोर पंथ के सदस्यों को अघोरी बाबा कहा जाता है वे हिन्दू धर्म के एक रहस्यमय संप्रदाय से जुड़े होते हैं जो भगवान शिव को अपना गुरु मानते हैं।अघोरी बाबा श्मशान घाटों में रहते हैं और मृत शरीरों का उपयोग अपनी साधना में करते हैं वे मानते हैं कि मृत्यु जीवन का एक चक्र है और मृत शरीरों में शक्तियां होती हैं वे तांत्रिक क्रियाएं करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, और कठोर तपस्या करते हैं।वे अक्सर नग्न रहते हैं और अपने शरीर पर राख और मिट्टी लगाते हैं।

अघोरी बाबा के विषय में जानकारी | Aghori baba ki jankari


Aghori Babawo ki manaytaye। अघोरी बाबा और उनकी मान्यताएं


अघोरियों का मानना ​​है कि सभी ब्रह्मांड शिव का ही रूप है वे "अघोर" या "अनंत" को परमात्मा का स्वरूप मानते हैं वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए साधना करते हैं वे मानते हैं कि मृत्यु का डर ही सभी भयों का मूल है।


अघोरी में फैलाई गई भ्रांतियां | Aghoriwo ke vishay me Galat Bat


अघोरियों के बारे में कई भ्रांतियां हैं, जिनमें से कुछ गलत हैं 

  • कुछ लोग उन्हें नरभक्षी मानते हैं, जबकि वे ऐसा नहीं करते हैं।
  • कुछ लोग उन्हें काला जादू करने वाले मानते हैं, जबकि वे सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
  • अघोरियों को अक्सर समाज से अलग रखा जाता है, जिसके कारण उनके बारे में कई गलत धारणाएं बनती हैं।


अघोरियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:


अघोर पंथ हजारों साल पुराना है अघोरियों का कोई एक नेता नहीं होता है अघोरी बनने के लिए कोई औपचारिक दीक्षा नहीं होती है।अघोरी बाबा समाज के लिए भी कई तरह से फायदेमंद होते हैं, जैसे कि मृतकों का अंतिम संस्कार करना और लोगों को तंत्र-मंत्र से बचाना।

अघोरी बाबा मुर्दे का मीट क्यों खाते है 7 कारण | Aghori Baba murde ka meet kyu khate Hai

Aghori Baba murde ka meet kyu khate Hai


अघोरी बाबा मुर्दे का मीट खाने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं:

  1. धार्मिक कारण:मृत्यु पर विजय: अघोरी मृत्यु को जीवन का हिस्सा मानते हैं और मुर्दे का मांस खाकर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
  2. तंत्र-मंत्र: कुछ अघोरी तंत्र-मंत्र के लिए मुर्दे का मांस का उपयोग करते हैं।
  3. आत्म-साक्षात्कार: कुछ अघोरियों का मानना ​​है कि मुर्दे का मांस खाने से उन्हें आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  4. मनोवैज्ञानिक कारण:भय पर विजय: अघोरी समाज में मौजूद मृत्यु के प्रति भय को दूर करने के लिए मुर्दे का मांस खाते हैं।
  5. आत्म-नियंत्रण: मुर्दे का मांस खाने से अघोरियों में आत्म-नियंत्रण और अनुशासन विकसित होता है।
  6. सामाजिक रीति-रिवाज: कुछ अघोरियों का मानना ​​है कि मुर्दे का मांस खाना उनकी सामाजिक रीति-रिवाजों का हिस्सा है।
  7. विद्रोह: अघोरी समाज के रूढ़िवादी विचारों और रीति-रिवाजों के खिलाफ विद्रोह के रूप में मुर्दे का मांस खाते हैं।


यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी अघोरी मुर्दे का मांस नहीं खाते हैं यह केवल कुछ अघोरियों द्वारा किया जाता है।


अघोरियों के बारे में 5 महत्वपूर्ण बातें | Aghori babawo ke 5 mahatwapurna baten


  1. अघोरी हिंदू धर्म के एक तपस्वी संप्रदाय का हिस्सा हैं।
  2. वे श्मशान घाटों और अन्य अशुभ स्थानों पर रहते हैं।
  3. वे अपने शरीर पर राख और मिट्टी लगाते हैं।
  4. वे अक्सर अजीबोगरीब वेशभूषा पहनते हैं।
  5. अघोरी  तंत्र-मंत्र और योग का अभ्यास करते हैं।


यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अघोरियों के बारे में कई गलत धारणाएं हैं। अक्सर उन्हें हिंसक और पागल माना जाता है यह सच नहीं है अघोरी शांतिप्रिय और आध्यात्मिक लोग होते हैं


अघोरी बाबा शिव की ही सधना क्यों करते है | Aghori Baba Shiv ki Sadhna kyu karte hain

अघोरी बाबा शिव की ही सधना क्यों करते है | Aghori Baba Shiv ki Sadhna kyu karte hain


भगवान शिव के पांच रूपों में से एक 'अघोर' रूप है। 'घोर' का अर्थ 'घना' है, जो अंधेरे का प्रतीक है। 'अ' का अर्थ 'नहीं' है। इस तरह 'अघोर' का अर्थ हुआ 'जहां कोई अंधेरा नहीं, हर ओर बस प्रकाश ही प्रकाश है।' अघोरी बाबा भगवान शिव के इसी अघोर रूप की उपासना करते हैं।

श्मशान में वास: भगवान शिव को श्मशान में निवास करने वाला माना जाता है अघोरी बाबा भी शिव की भक्ति में लीन रहने के लिए श्मशान में रहते हैं।

मृत्यु पर विजय: भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी माना जाता है अघोरी बाबा मृत्यु के भय से मुक्त होने और जीवन के रहस्यों को समझने के लिए शिव की साधना करते हैं।

तंत्र-मंत्र की शक्ति: भगवान शिव को तंत्र-मंत्र के ज्ञाता माना जाता है अघोरी बाबा तंत्र-मंत्र की शक्ति प्राप्त करने के लिए भी शिव की साधना करते हैं।

सामाजिक बंधनों से मुक्ति: अघोरी बाबा सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर जीवन जीने के लिए शिव की साधना करते हैं।

आत्म-साक्षात्कार: अघोरी बाबा आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए शिव की साधना करते हैं।

मोक्ष प्राप्ति: अघोरी बाबा मोक्ष प्राप्त करने के लिए शिव की साधना करते हैं अघोरी बाबा शिव की साधना करते समय कई कठोर तपस्याएं करते हैं वे श्मशान में रहते हैं, मांस खाते हैं, मदिरा पीते हैं, और तांत्रिक क्रियाएं करते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी अघोरी बाबा एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ अघोरी बाबा वास्तव में शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और समाज के लिए अच्छे काम करते हैं।


कुछ अघोरी बाबा ऐसे भी हैं जो तांत्रिक क्रियाओं का दुरुपयोग करते हैं और समाज के लिए खतरा बन जाते हैं। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अघोरी बाबा बनना एक कठिन और खतरनाक कार्य है। यह केवल उन लोगों के लिए है जो अत्यधिक साहसी और दृढ़ संकल्पित होते हैं।

अगर आप अघोरी बाबा बनने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको पहले इस विषय पर गहन अध्ययन करना चाहिए और एक अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन लेना चाहिए।

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कितने प्रकार के होते है अघोरी बाबा | Kitne prakar ke hote hain Aghori Baba


अघोरी बाबा मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:


  1. औघड़:ये अघोरी बाबा सबसे कठोर साधना करते हैं ये बिना वस्त्र धारण किए रहते हैं और श्मशान में रहते हैं ये मांस, मदिरा, और शव का सेवन करते हैं इनकी साधना में तंत्र-मंत्र का प्रयोग भी होता है।
  2. सरभंगी:ये अघोरी बाबा भी कठोर साधना करते हैं, लेकिन औघड़ों की तुलना में थोड़ा कम ये वस्त्र धारण करते हैं, लेकिन बहुत ही साधारण वस्त्र ये भी मांस, मदिरा, और शव का सेवन करते हैं इनकी साधना में भी तंत्र-मंत्र का प्रयोग होता है।
  3. घुरे:ये अघोरी बाबा तुलनात्मक रूप से कम कठोर साधना करते हैं ये सामान्य वस्त्र धारण करते हैं और समाज में रहते हैं। ये मांस, मदिरा, और शव का सेवन नहीं करते हैं इनकी साधना में मुख्य रूप से ध्यान और योग शामिल होता है।


इन तीन प्रकारों के अलावा कुछ अन्य प्रकार के अघोरी बाबा भी होते हैं, जैसे कि:

अघोरिणी: ये महिला अघोरी बाबा होती हैं।

नागा: ये अघोरी बाबा होते हैं जो शिव के भक्त होते हैं और नग्न रहते हैं।

कपालिक: ये अघोरी बाबा होते हैं जो शव की खोपड़ी धारण करते हैं।


यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी अघोरी बाबा समान नहीं होते हैं उनकी साधना रीति-रिवाज, और विचारधारा अलग-अलग हो सकती हैं।

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