Kamakhya Mandir ki jankari | कामाख्या मंदिर की पूरी जानकारी
माँ कामाख्या, जिन्हें देवी सती का योनि पीठ भी कहा जाता है हिंदू धर्म में सबसे प्रतिष्ठित देवीयों में से एक हैं। असम के गुवाहाटी शहर में स्थित नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर, देवी कामाख्या का मुख्या स्थान माना जाता है यह मंदिर माता के 51 पीठों में से एक है, जो देवी सती के अंगों के गिरने से बना हैं।
Kamakhya mandir ka itihas aur katha | कामख्या मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
दक्ष प्रजापति शिव को पसंद नहीं करते थे, क्योंकि वे उन्हें भस्मधारी, जटाधारी और विलक्षण स्वभाव वाला मानते थे सती अपने पति शिव से अत्यंत प्रेम करती थीं, परंतु दक्ष उनके विवाह से खुश नहीं थे एक बार दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया, शिव को छोड़कर।
सती, अपने पिता के यज्ञ में शामिल होना चाहती थीं, परंतु शिव ने उन्हें मना किया अपने पिता के प्रति प्रेम और कर्तव्य के बीच फंसी, सती ने शिव की बात न मानने का फैसला किया और यज्ञ में चली गईं। यज्ञ में, दक्ष ने शिव का अपमान किया और उन्हें नीचा दिखाया।
सती अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने यज्ञ मंडप में ही अपना प्राण त्याग दिया सती की मृत्यु से क्रोधित शिव, वीरभद्र नामक रूप धारण कर यज्ञ स्थल पर पहुंचे और दक्ष का यज्ञ ध्वस्त कर दिया सती के शव को लेकर शिव विलाप करते हुए घूमने लगे।
देवताओं और ऋषियों ने शिव को समझाया और विष्णु ने सती के शव को 51 भागों में विभाजित कर दिया, जो विभिन्न स्थानों पर देवी के रूप में प्रकट हुए। देवी सती का योनि भाग नीलाचल पर्वत पर गिरा जिसको आज कामाख्या मंदिर के नाम से जाना जाता है।
Kamakhya Mandir ka Mahatwa aur puja | कामाख्या मंदिर का महत्व और पूजा
कामाख्या मंदिर तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है यहाँ योनि की पूजा देवी कामाख्या के मुख्य रूप में की जाती है जो सृष्टि प्रजनन और यौन ऊर्जा का प्रतीक है। मंदिर में अम्बुवाची नामक वार्षिक त्योहार भी मनाया जाता है जो देवी सती के मासिक धर्म से जुड़ा है।
कामाख्या मंदिर की चार विशेषताएं
- योनि पीठ: कामाख्या मंदिर एकमात्र पीठ है जहाँ देवी सती का योनि भाग पूजा जाता है।
- तंत्र साधना: मंदिर तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहाँ कई तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करते हैं।
- अम्बुवाची: यह वार्षिक त्योहार देवी सती के मासिक धर्म से जुड़ा है और इस दौरान मंदिर बंद रहता है।
- शक्तिपीठ: कामाख्या 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी सती के अंगों के गिरने से जुड़े हैं।
Ma Kamakhya se Judi Ghatnaye | माँ कामाख्या से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
देवी सती का यज्ञ: कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने सती के पिता दक्ष के यज्ञ में उनके आत्महत्या को रोकने में विफल रहे, तो उन्होंने क्रोध में सती के शरीर को त्याग दिया सती के शरीर का अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे और उनमें से एक योनि का भाग कामाख्या में गिरा।
कामदेव का दहन एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव को भगवान शिव के तीसरे नेत्र से भस्म कर दिया गया था जब वह शिव की समाधि भंग करने का प्रयास कर रहे थे।
हनुमान द्वारा यज्ञ रामायण के अनुसार, हनुमान जी ने माँ कामाख्या की पूजा की थी और उनसे रावण पर विजय प्राप्त करने में मदद मांगी थी।
मंदिर का निर्माण कामाख्या मंदिर का निर्माण 8वीं से 17वीं शताब्दी के बीच विभिन्न राजवंशों द्वारा किया गया था।
मुगल आक्रमण 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर ने कामाख्या मंदिर पर आक्रमण किया लेकिन वे देवी की शक्ति से प्रभावित थे और उन्होंने मंदिर को नष्ट नहीं किया।
अहोम राजाओं का संरक्षण अहोम राजवंश ने कामाख्या मंदिर का संरक्षण किया और मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आधुनिक काल आज, कामाख्या मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हर साल लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं
अंबुवासी मेला यह मेला हर साल जून महीने में आयोजित किया जाता है और यह देवी कामाख्या का सबसे बड़ा त्योहार है।
माघ बिहू यह त्योहार हर साल जनवरी-फरवरी महीने में मनाया जाता है और यह असम का प्रमुख त्योहार है।
नवरात्रि हिंदू नवरात्रि के दौरान, कामाख्या मंदिर में विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
नोट- कामाख्या मंदिर से जुड़ी कई अन्य घटनाएं किंवदंतियां भी हैं।
Kamakhya Mandir Me kaise jaye | कामाख्या मंदिर में कैसे जाये
माँ कामाख्या मंदिर तक पहुंचने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं:
गाड़ी से यदि आप गुवाहाटी में हैं, तो आप NH 27 के माध्यम से मंदिर तक 47 मिनट में 26.6 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं।
बस से गुवाहाटी के विभिन्न स्थानों से कामाख्या मंदिर तक नियमित बसें चलती हैं आप बस स्टैंड से बस ले और मंदिर के पास उतर सकते हैं।
ट्रेन से गुवाहाटी रेलवे स्टेशन कामाख्या मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है आप स्टेशन से टैक्सी या ऑटो रिक्शा ले मंदिर पहुच सकते हैं
हवाई जहाज से गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है आप हवाई अड्डे से टैक्सी या कैब ले सकते हैं।
पैदल यदि आप सेहतमंद हैं तो आप मंदिर तक पैदल भी जा सकते हैं यह एक सुंदर पैदल यात्रा है लेकिन इसमें लगभग 3-4 घंटे लग सकते हैं।
कामाख्या मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका आपकी व्यक्तिगत पसंद और बजट पर निर्भर करता है।
Kamakhya Mandir Janese Pahale | कामाख्या मंदिर जानेसे पहले
- यदि आप सप्ताहांत या त्योहार के दौरान यात्रा कर रहे हैं तो भारी भीड़ होगी ।
- मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको उचित कपड़े पहनने होंगे।
- मंदिर परिसर में कैमरे की अनुमति नहीं है।
- मंदिर में कई दुकानें और स्टॉल हैं जहाँ आप स्मृति चिन्ह और धार्मिक वस्तुएँ खरीद सकते हैं।
- यदि आप नवरात्र में कामाख्या मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो बहुत ज्यादा भीड़ होगी
- यदि आप निशुल्क मंदिर के अंदर प्रवेश करना चाहते हैं तो आपको बहुत लंबी लाइन में लगा होगा
- अगर आप मंदिर के अंदर जल्दी प्रवेश करना चाहते हैं तो शुल्क देना होगा यह शुल्क 500रु से 1000 तक हो सकती है
कामख्या मंदिर में पूजा के नियम | kamakhya mandir Me pooja ke Niyam
कामाख्या मंदिर जाने का मन बना ही लिया है तो आपको एक दिन पहले से ही कुछ बातों पर ध्यान देना होगा जिस प्रकार से आप एकादशी का व्रत करने से एक दिन पहले शुद्धता का ध्यान रखते हैं ठीक उसी प्रकार से कामाख्या मंदिर जाने से पहले भी आपको शुद्धता बरतनी होगी । मंदिर जाने से एक दिन पहले ही लहसन प्याज मीट ये सब चीजें नहीं खानी है सात्विक भोजन करना है बाहर का खाना खाने से बचे ।
- स्नान: पूजा से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर दर्शन: सुबह जल्दी उठकर मंदिर जाएं और दर्शन करें।
- पूजा सामग्री: धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई, पान, सुपारी, लाल कपड़ा आदि लाएं।
- मंत्र: माँ कामख्या का बीज मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कामदेवये नमः" का 108 बार जाप करें।
ॐ कामाख्ये वरदे देवी नीलपर्वत वासिनी ।
त्वं देवि जगतमाता योनि मुद्रे नमोस्तुते ।।
माँ कामाख्या पूजा विधि | ma kamakhya puja vidhi
- माँ कामख्या की प्रतिमा या योनि पीठ पर लाल कपड़ा चढ़ाएं।
- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
- फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
- पान, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें।
- माँ कामख्या का ध्यान करें और मंत्र का जाप करें।
- अपनी मनोकामना माँ कामख्या से प्रार्थना करें।
- आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
कामाख्या मंदिर से जुडी कुछ अन्य बातें जिसे आपको फॉलो करना है
- मंदिर में प्रवेश करते समय चप्पल उतार दें।
- मंदिर में शांत रहें और किसी को परेशान न करें।
- लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- माँ कामख्या को मांस, मदिरा और लहसुन का भोग नहीं लगाया जाता है।
- मंदिर में महिलाओं को रजस्वल होने पर प्रवेश नहीं दिया जाता है।
- यदि आप मंदिर में यज्ञ करवाना चाहते हैं, तो आपको पहले से बुकिंग करनी होगी।
- मंदिर में भिक्षुओं को दान दे सकते हैं।
- आप मंदिर परिसर में स्थित गौशाला में गायों को चारा भी खिला सकते हैं।
माँ कामख्या की पूजा से चमत्कारिक लाभ
कामख्या की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
माता की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माँ की पूजा से स्त्री-पुरुषों में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
माँ कामख्या की पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
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Jai maa kamakhya
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