23 जुल॰ 2019

भगवान शिव को क्यों पसंद हैं-बेलपत्रधतूरा भांग श्रावण मास श्मशान घाट

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भगवान शिव को क्यों पसंद हैं-बेलपत्र,धतूरा,भांग,श्रावण मास, श्मशान घाट
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शिव को क्या क्या प्रिय हैं? और क्यों प्रिय हैं ?शिव को बेलपत्र चढाने से क्यों जल्दी खुश होते हैं ?श्रावण का महिना क्यों शिव को अच्छा लगता हैं ?भगवन भोलेनाथ क्यों रहते है श्मशान घाट में ? इन्ही रहस्यमई बातो से बनते हैं  महादेव महा मृत्युंजय मंत्र के प्रणेता भी यही हैं

OURBHAKTI की ओर से आप सभी प्यारे मित्रों को श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं भगवान शिव आपकी हर इच्छा हर कामना को पूरा करें इस  श्रावण मास में बहुत सारे भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत उपाय करते हैं  हम जानेंगे भगवान शिव को प्रसन्न  करने के उपाय क्या-क्या है भगवान शिव को क्यों प्रिय है बेल पत्र भांग धतुरा आदि के विषय में हम चर्चा  करेंगे।

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भगवान शिव को बेलपत्र क्यों ज्यादा प्रिय है

भगवान शिव को बेलपत्र क्यों ज्यादा प्रिय है
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शिव को बेलपत्र किस वजह से ज्यादा प्रिय  लगता है- बेलपत्र की कहानी माता शक्ति से प्रारंभ होती है एक बार मां पार्बती  भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए घर से  दूर जंगल मे रहकर भोजन स्वरुप माता पार्बती ने बेलपत्र का अनेकों वर्ष तक पान किया, बेल के पत्तों को खाया इस वजह से भगवान शंकर को बेलपत्र  बहुत ज्यादा प्रिय लगता है।
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भांग धतूरा क्यों प्रिय हे शिव को


जिस भांग धतूरे से हम लोग डरते हैं जिसको  हम छूने से भी घबराते हैं जरा सोच लीजिए वही भांग धतूरा भगवान शिव को कितना प्रिय लगता  है। भगवान शंकर को भांग धतूरा सबसे ज्यादा प्रिय होने के पीछे दो पहलू है एक धार्मिक कारण और दूसरा वैज्ञानिक कारण सबसे पहले जानते हैं इस विषय में विज्ञान क्या कहता है।

हम सभी जानते हैं भगवान शंकर का निवास स्थान कैलाश पर्वत हैं विज्ञान इस विषय पर यह कहता है की जहां पर सबसे अधिक ठंड होती है उस स्थान में भांग और धतूरे का सेवन करना किसी वरदान से कम नहीं होता भांग धतूरे का सेवन सीमित मात्रामें करने से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है इसलिए भगवान भोलेनाथ ठंड से बचने के लिए धतूरे और भांग का सेवन करते हैं यह विज्ञान कहता है।

धार्मिक कारण जब समुद्र मंथन हुआ था उस समय सबसे पहले जो विष निकला उसका पान भोलेनाथ ने किया था जिसकी वजह से उनमें बहुत ज्यादा व्याकुलता और घबराहट सी हो गई थी, तो इस व्याकुलता और घबराहट को दूर करने के लिए देवताओं ने भांग धतूरा  और बेलपत्र आदि का सेवन कराया था जो कि औषधि का काम करते हैं उसके बाद ही भगवान शिव को भांग धतूरा बेल पत्र बहुत प्रिय होने लगा इसलिए भगवान शिव की पूजा में इन सब सामग्री को बड़े ही श्रद्धाभाव से समर्पित करते हैं ताकि भगवान शंकर उन पर प्रसन्न हो जाए।
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क्यों प्रिय है शिव को  सावन(श्रावण) का महीना


वैसे तो हमारे हिंदू धर्म में हर वर्ष हर महीना  दिन किसी न किसी पावन पर्व का होता है लेकिन सावन (श्रावण) का महीना भगवान भोलेनाथ के लिए विशेष महत्व  रखता है। इस विषय में बहुत सारी पौराणिक कथाएं मौजूद हैं  हम यहां पर कुछ कथा को संछेप कहेंगे ।

1 .ऐसी मान्यता है सावन के महीने में किया गया शिव पूजन बहुत ही शीघ्र फलदाई होता है। भगवान शिव की बहुत सारी बातें समुद्र मंथन से निकला हुआ विश से संबंध रखता है  शिव को श्रावण का महीना इसीलिए सबसे ज्यादा प्रिय लगता है क्योंकि सावन के महीने में ही अधिक बारिश होती है जो भोलेनाथ को विषपान करने की वजह से निकली हुई गर्मी को दूर करता है।

2.दूसरी मान्यता यह भी है जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के घर अपना शरीर का त्याग कर दिया तब माता सती ने अपने पति शिव जी से यह वरदान मांगा था कि मैं जन्म जन्मांतर आपको ही पति के रूप में पाउ। दूसरी बार जब वही मां सती ने जब पार्वती के रूप में जन्म लिया तब मां पार्वती ने श्रावण के महीने में ही घोर तप किया था इस वजह से भी भगवान शंकर को श्रावण मास बहुत प्रिय लगता हैं ।

3.एक और  कथा है जब समुद्र मंथन से विष निकला था तो श्रावण के महीने में ही भगवान शंकर ने उस विष का पान किया था इसीलिए भी सावन का महीना भोलेनाथ को बहुत प्रिय है।
धतूरा क्यों प्रिय हे शिव को
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भगवान शिव को भूत प्रेत और श्मशान घाट क्यों प्रिय है


इस संसार में सभी मनुष्य मोह माया के जाल में फंसे हुए हैं कोई मरना नहीं चाहता लेकिन यह जीवन का परम सत्य है एक दिन सभी को जाना है । किसी को जीवन से वैराग्य आता ही नहीं भगवान शंकर श्मशान में इसलिए रहते हैं क्योंकि श्मशान घाट में सबसे ज्यादा वैराग्य आता है। हमने कभी गौर किया होगा जब किसी मुर्दे को श्मशान घाट ले जाते हैं तो हमारे मन में भी वैराग्य बहुत तेजी से आता है लेकिन घर में आते ही सब भूल जाते हैं। श्मशान में रहते हुए शिव  यह संदेश देना चाहते हैं कि जीवन में वैराग्य आना और भगवान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इससे बड़ा स्थान और कोई नहीं है।
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 भगवान भोलेनाथ को बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र-

  नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च।
 नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

                                      बिल्वपत्र चढ़ाने का श्लोक


त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥

       

शिव को धतूरा चढ़ाने का मंत्र

 शिवप्रीतिकरं रम्यं दिव्यभावसमन्वितम्
विजयाख्यं च स्नानार्थं भक्तया दतं प्रगृह्यताम्

शंकर को भांग चढ़ाने का मंत्र

विज्ज्यन्धनु:कपर्दिनोविशल्ल्योबाणवाँ २॥ऽउत ॥
अनेशन्नस्ययाऽइर्षवऽआभुरस्यनिखंगधि: ॥१०॥ 

भगवान शंकर का सबसे बड़ा मंत्र- किसी कारण वस अगर आप शिवलिंग पर विधि पूर्वक  रुद्राभिषेक नहीं कर पाते हैं तो आप  शिव का अभीषेक सिर्फ इन १६ मंत्रो से करते है तो भी आप को  रुद्राभिषेक पूरा लाभ मिलेगा।यदि आप लोगों को नीचे दिया गया 16 मंत्र पढ़ने में कठिनाई हो रही है तो आप इसकी ऑडियो भी सुन सकते हैं।
रुद्राभिषेक के १६ मंत्र 
हरिः ॐ नमस्तेरुद्रमन्न्यवऽउतोतऽइषवेनमः॥
बाहुब्भ्यामुततेनमः ॥१॥
यातेरुद्गशिवातनूरघोरापपकाशिनी ॥
तयनस्तन्वाशन्तमयागिरिशन्ताभिचाकशीहि ॥२॥
यामिषुङ्गिरिशन्तहस्तेबिभष्र्य्यस्तवे ॥
शिवाङ्गिरित्रताङ्गुरुमाहिडसीपुरुषञ्जगत् ॥३॥
शिवेनव्वचसात्वागिरिशाच्छाव्वदामसि ॥
यथानसर्ध्वमिज्जगदयक्ष्मसुमनाऽअसत् ॥४॥
अद्धयवोचदधिवक्ताप्पथमोदैव्यभिषक् ।।
अहीँच्चसञ्जम्भयन्त्सर्बोच्चयातुधान्न्योधराची
परासुव ॥५॥
असौयस्ताम्म्रोऽअरुणऽउतबब्भुसुमङ्गलः ॥
येचैनलरुद्राऽअभितोदिक्क्षुश्रितासहस्रशोवैषाहेडईमहे ॥६॥
असौयोवसतिनीलग्रीवोव्विलोहितलं ॥
उतैनङ्गोपाऽअदृश्अन्नदृश्श्रन्नुदहार्य-सदृष्ट्टोमृडयातिनः ॥७॥
नमोऽस्तुनीलग्रीवायसहस्राक्क्षायमीढुषे ।
अथोयेऽअस्यसत्त्वनोहन्तेब्भ्योकरन्नमः ॥८॥
प्रमुञ्चधन्न्वनस्त्वमुभयोरात्क्र्योज्ज्या॑म् ॥
याच्चतेहस्तऽइर्षव:पराताभगवोव्वप ॥९॥
विज्ज्यन्धनु:कपर्दिनोविशल्ल्योबाणवाँ २॥ऽउत ॥
अनेशन्नस्ययाऽइर्षवऽआभुरस्यनिखंगधि: ॥१०॥
जातेहेतिर्मीढुष्ट्रमहस्ते बभूवतेधनु: ॥
तयास्म्मान्व्विवतस्त्वमयक्ष्मयापरिभुज ॥११॥
परितेधन्वनोहेतिरस्म्मान्वृणक्तुव्विवत': ॥
अथोज ऽइषुधिस्तवारेऽअस्मन्निधेहितम् ॥१२॥
अवतत्त्यधनुष्ट्व सहस्राक्क्षशतेषुधे ॥
निशीजशल्ल्यानाम्मुखशिवोनन्सुमनभव ॥१३॥
नमस्तेऽआयुधायानततायधृष्ण्णवे ॥
उभाब्भ्यामुततेनमोबाहुब्भ्यान्तैवधन्वने ॥१४॥
मानोमहान्तमुतमानोऽअर्भकम्मानउक्क्षन्तमुत-
मानउक्क्षितम् ॥
| मानोव्वधी:पितरम्मोतमातरम्मान:
प्प्रियास्तन्वोरुद्गरीरिष: ॥१५॥
मानस्तोकेतनयेमानऽआयुखी मानोगोषुमानोऽअस्वे खु री रिष: ।
मानोव्वीराननुद्रभामिनोव्वधीरेहविष्म॑न्त:सदमित्त्वहवामहे ॥१६

16 मंत्र ऑडियो 



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हम आशा करते हैं आप को भगवान शंकर के प्रिय वस्तुओं को जानकर बहुत अच्छा लगा होगा हम यह भी कामना करते हैं कि वह आप सभी की मनोकामना और जीवन की हर एक परिस्थिति को भगवान शिव दूर करें।

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