26 जून 2019

मासिक प्रदोष व्रत 2025 कथा पूजा तारीख व समय | monthly Pradosh vrat list 2025

2025 मासिक प्रदोष व्रत पूजा तारीख व समय | monthly Pradosh vrat list 2025

Pradosh vrat kab hai प्रदोष व्रत  करने से पहले हमें प्रदोष व्रत के विषय में संपूर्ण जानकारी  होनी चाहिए।आप इस पोस्ट को पडकर प्रदोष व्रत के चमत्कारी लाभ को जान सकते हैं  जैसे- प्रदोष व्रत की कथा प्रदोष व्रत कितने प्रकार का होता है प्रदोष व्रत में क्या करना चाहिए और हम प्रदोष व्रत क्यों करें? 

प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद हमें किस प्रकार मिलता है कैसे प्रसन्न होते हैं भगवान शिव । व्रतों में सबसे सरल है प्रदोष व्रत Pradosh vrat जिस व्रत को करने से भगवान शंकर  का आशीर्वाद बहुत जल्दी मिलने लग जाता है।

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2025 मासिक प्रदोष व्रत कथा  पूजा तारीख व समय | monthly Pradosh vrat list 2025

क्या है प्रदोष व्रत ? | kya hai pradosh vrat?

सूर्य अस्त के बाद सायं काल रात्रि से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है यह समय बहुत ही शुद्ध

समय होता है।

प्रदोष व्रत 1 महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार 1 वर्ष में

प्रदोष व्रत 24 बार आता है । यदि हम अधिक मास में पढ़ने वाली प्रदोष व्रत की भी गिनती कर ले तो यह  व्रत 26

 प्रकार का हो जाता है ।

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प्रदोष व्रत कथा | pradosh vrat katha in hindi


 हमारे हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के कथाओ  का वर्णन मिलता है प्रत्येक व्रत के एक स्वामी(भगवान) होते हैं ।जैसे

 हम सोमवार का व्रत करें तो शिव जी, मंगलवार का व्रत करें तो हनुमान जी, आदी उसी प्रकार से  प्रदोष व्रत के

स्वामी हैं भगवान भोलेनाथ। हर एक व्रत का अपना एक नियम होता है और हमारे हिंदू धर्म में व्रत के पीछे के

नियम को करना अनिवार्य होता है अगर हम व्रत में बताए गए नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उस व्रत को

करने का हमें कोई लाभ नहीं मिलता! उल्टा हमारा नुकसान हो जाता है। हालाकि इस प्रकार की बातें हमें बताने

 की जरुरत नहीं है आप  स्वयं जानते हैं फिर भी एक बार बताना  मेरा धर्म  बनता है।


प्रदोष व्रत का उल्लेख स्कंद पुराण में विस्तार पूर्वक किया गया किया गया है जिसके अनुसार एक विधवा

ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर लोगों के घर-घर भिक्षा मांगने जाती थी  और सायं काल अपने घर आती थी  ऐसा 

उसका रोज का काम था ।

  1 दिन विधवा ब्राह्मणी भिक्षा लेकर  अपने घर को लौट रही थी तो उसे नदी के किनारे एक

सुंदर सा बालक दिखाई दिया।
प्रदोष व्रत कथा | pradosh vrat katha in hindi



विधवा ब्राह्मणी  नहीं जानती थी इतना  सुंदर बालक कौन है? किसका पुत्र है? दरअसल वह बालक विदर्भ

 देश का राजकुमार धर्म गुप्त था।  जिसको शत्रुओं ने उसके राज्य से बाहर कर दिया था। उसका राज्य और

उसके माता-पिता दोनों को खत्म कर दिया गया था इसीलिए वह बालक नदी के किनारे बहुत दुखी होकर बैठा

हुआ था।  यह सब बातें जानने के बाद वह विधवा ब्रम्हाणी ने उस बालक को अपना लिया और अपने घर लेगई

वह विधवा ब्राह्मणी उस बालक को वैसा ही प्रेम करती थी जैसा वह अपने पुत्रों से करती थी।

 एक दिन वह विधवा ब्राम्हणी अपने दोनों पुत्रों को लेकर एक मंदिर में गई जहां उसकी मुलाकात ऋषि शांडिल्य

से हुई।

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 ऋषि शांडिल्य  त्रिकाल दर्शी थे उन्हें वर्तमान भूत और भविष्य कि संपूर्ण बातें ज्ञात थी इसीलिए ऋषि शांडिल्य ने

विधवा ब्राह्मनी से उस बालक के विषय में संपूर्ण बातें बता दी।फिर  विधवा ब्राम्हणी और उसके दोनों पुत्रों को

प्रदोष व्रत करने को कहा।



 तीनों ने बड़े ही लगन और पूर्ण विधि विधान से प्रदोष व्रत को पूर्ण किया वो लोग नहीं जानते थे कि प्रदोष व्रत का

हमें किस प्रकार फल मिलेगा।
प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत | pradosh vrat

1 दिन की बात है दोनों बालक एक जंगल में  घूम रहे थे ठीक उसी समय उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं

नजर  आई  विधवा ब्राम्हणी का पुत्र तो घर लौट आया लेकिन वह राजकुमार वही जंगल में रह गया और एक

अंशसुमति नामक कन्या की ओर आकर्षित होगया ।अंशसुमति और राजकुमार आपस में वार्तालाप करने लगे

और एक दूसरे के ऊपर मोहित हो गए।  उन दोनों में बात इतनी आगे बढ़ गई  कि उन्होंने शादी कर

लिया।

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जैसे ही राजकुमार ने उस गंधर्व कन्या से विवाह कर लिया मानो ऐसा लगा उसका पूरा भाग्य ही पलट गया।

राजकुमार धर्म गुप्त ने बहुत मेहनत किया संघर्ष किया और फिर से अपनी एक नई सेना खड़ा कर लिया

और शत्रुओं से अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त कर लिया।

बहुत समय पश्चात राजकुमार धर्म गुप्त को यह एहसास हुआ कि यह सब  भगवान भोलेनाथ की

कृपा से ही प्राप्त हुआ है। क्योंकि राजकुमार धर्म गुप्त , विधवा ब्रह्माणी और उसके  पुत्र  ने  भगवान शिव का

का प्रदोष व्रत  किया था।

 जिसका फल स्वरुप उसे अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त हुआ। इसी के चलते

भगवान शिव का प्रदोष व्रत प्रचलन में आया प्रदोष व्रत करने से मन में अलग प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है

 शरीर को एक ताकत मिलती है एकाग्रता बढ़ती है और जीवन में कभी दुख नहीं होता विशेष रूप से घर में

गरीबी नहीं आती और भक्तों की सारी मनोकामना  को भगवान भोलेनाथ पूरा कर देते हैं।

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प्रदोष व्रत की कुछ विशेष बातें | pradosh vrat ki vishes batein


प्रदोष व्रत अपने आप में  महान है ऐसी मान्यता है जिस दिन प्रदोष व्रतआता है उस दिन इसका फल भी बदल

जाता है प्रदोष व्रत हमेशा एक समान नहीं रहता  चलिए समझते हैं किस प्रकार प्रदोष व्रत के फल में परिवर्तन

आता है।


  •  यदि आप इतवार के दिन प्रदोष व्रत करते हैं तो आप सदा निरोग रहेंगे आपको किसी प्रकार की बीमारी नहीं होगी इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहते हैं।
  • यदि आप सोमवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं तो आपकी सारी मनोकामनाएं अपने आप पूरी हो जाती है इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
  • मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से भीतर और बाहर दोनों प्रकार के शत्रुओं का नाश हो जाता है और आपको सदा के लिए आरोग्यता प्राप्त होती है इसे मंगल प्रदोष  कहते हैं।
  • बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति में व्यवहारिकता आती है वाणी मधुर होती है इसको व्रत को बुध प्रदोष कहते हैं।
  • गुरुवार को प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति में ज्ञान की वृद्धि होती है मन में किसी प्रकार की शंका नहीं रहती सारे शत्रुओं का नाश होता है साथ ही खोए हुए भाग्य का उदय होने लगता है इसको गुरु प्रदोष कहा जाता है।
  • शुक्रवार को प्रदोष व्रत करने से सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है व्यक्ति में सुंदरता की वृद्धि होती है आकर्षण क्षमता में बढ़ोतरी होती है इस व्रत को शुक्र प्रदोष कहा जाता है ।
  • शनि प्रदोष के दिन यानी शनिवार के दिन यदि प्रदोष व्रत किया जाए तो अचानक होने वाली दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है, उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और जीवन के हर उलझे हुए रास्ते सुलझ जाते हैं, व्यक्ति को अपने जीवन का लक्ष्य पता लग जाता है उसे भविष्य में क्या करना चाहिए ताकि उसका जीवन बेहतर हो सके।

 pradosh vrat list date 2025

2025 में  पढ़ने वाली प्रदोष व्रत की पूरी लिस्ट आप नीचे देख सकते हैं

11 जनवरी, शनिवार      शनि प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
27 जनवरी, सोमवार      सोम प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष

09 फरवरी, रविवार      प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
25 फरवरी, मंगलवार      भौम प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


11 मार्च, मंगलवार             भौम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
27 मार्च, गुरुवार              प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


10 अप्रैल, गुरुवार              प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
25 अप्रैल, शुक्रवार            प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


09 मई, शुक्रवार              प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
24 मई, शनिवार              शनि प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


08 जून, रविवार             प्रदोष व्रत  शुक्ल पक्ष
23 जून, सोमवार             सोम प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


08 जुलाई, मंगलवार      भौम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
22 जुलाई, मंगलवार      भौम प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष


06 अगस्त, बुधवार      प्रदोष व्रत पक्ष शुक्ल पक्ष
20 अगस्त, बुधवार      प्रदोष व्रत कृष्णपक्ष


5 सितंबर, शुक्रवार    प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष
19सितंबर, शुक्रवार      प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष


04 अक्टूबर, शनिवार      शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष
18 अक्टूबर, शनिवार      शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष


03 नवंबर, सोमवार    सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल)
17 नवंबर, सोमवार      सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष


02 दिसंबर, मंगलवार    भौम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
17 दिसंबर, बुधवार    प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष

pradosh vrat vidhi | प्रदोष व्रत के दिन क्या करना चाहिए?

यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है अतः प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है

भगवान शंकर का दूध से या पानी से  स्नान कराना चाहिए  हो सके तो रुद्राभिषेक का पाठ करना चाहिए ।

भोलेनाथ को बिल्वपत्र और भांग धतूरा बहुत प्रिय है प्रदोष व्रत के दिन 108 बिल्वपत्र शिवलिंग के ऊपर ओम नमः शिवाय का नाम लेकर चढ़ाना चाहिए ।

प्रदोष व्रत के दिन क्या खाना चाहिए? | pradosh vrat me kya khana chahiye?


व्रतों के भोजन को लेकर अलग-अलग जगहों में अलग अलग मान्यता है बहुत सारे भक्त प्रदोष व्रत के

 दिन बिना जल पिए निर्जला रहकर भी प्रदोष व्रत करते हैं । लेकिन यह जरूरी नहीं कि आप निर्जला रहकर व्रत

को करें । हां यदि आप स्वस्थ हैं आपको कोई बीमारी नहीं है तो आप ऐसा कर सकते हैं । लेकिन यह जरूरी नहीं ।

आप एक समय शुद्ध और सात्विक भोजन करके भी प्रदोष व्रत रख सकते हैं बाकी के समय आप फल काआहार कर सकते हैं।

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प्रदोष व्रत से बुरे ग्रह की शांति होती हैं 


हमारे जन्मपत्री में बहुत सारे ऐसे ग्रह होते हैं जो कमजोर होते हैं अस्त होते हैं कोई ग्रह तो इतने बुरे होते हैं कि

हमें जीवन भर कष्ट देते है ऐसी परिस्थिति में हम यदि प्रदोष व्रत का सहारा लेते हैं तो निश्चित रूप से हमारे

सभी बिगड़े ग्रह ठीक हो जायेंगे।

 यदि जन्मपत्री में मंगल ग्रह खराब है नीच का है अस्त है तो हमें मंगलवार का प्रदोष व्रत करना

चाहिए ठीक इसी प्रकार से उसी ग्रह से संबंधित वार में यदि हम पूजा करेंगे तो निश्चित रूप से हमें उस ग्रह से

लाभ मिलेगा।

तो इस लेख में हम ने प्रयास कियाआप को हरसंभव  प्रदोष व्रत pradosh vrat की पूरी जानकारी देने की  हम

 आशा करते हैं आप को प्रदोष व्रत से संबंधित सभी जानकारी मिल गई होगी  फिर भी यदि आपको लगता है कि

कुछ बातें छूट गई हैं या जानना चाहते हैं तो नीचे कमेंट में जरूर बताएं ।

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