Ganda mul nakchatra | क्यों डरते हैं गंडमूल नक्षत्र से | kya hai gand mula
gandmool dosha check in hindi
हम सभी को यह बात बहुत अच्छी तरह से मालूम है की ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं ।यदि हमें ज्योतिष को सही से समझना है तो हमें नक्षत्रों को बहुत ही बारीकी से जानना होगा
जब तक हम इन 27 नक्षत्रों को बारीकी से नहीं समझेंगे तबतक ज्योतिष की सटीक भविष्यवाणी
कभी नहीं कर पाएंगे यह नहीं जान पाएंगे कि आगे क्या होने वाला है
जिस प्रकार से अलग अलग राशिका फल अलग होता है ठीक उसी प्रकार से नक्षत्रों की भी अलग
अलग फल होती है। हर नक्षत्र का अपना एक स्वभाव का होता है अपना एक
मालिक होता है और प्रत्येक नक्षत्र का अपना एक फल होता है गंडमूल नक्षत्रों को समझने के
लिए हमें सबसे पहले नक्षत्रों का स्वभाव जानना होगा
अलग फल होती है। हर नक्षत्र का अपना एक स्वभाव का होता है अपना एक
मालिक होता है और प्रत्येक नक्षत्र का अपना एक फल होता है गंडमूल नक्षत्रों को समझने के
लिए हमें सबसे पहले नक्षत्रों का स्वभाव जानना होगा
गंडमूल नक्षत्रों का स्वभाव | Ganda mul nakchatra ka swabhab
जो नक्षत्र सबसे ज्यादा उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव वाले होते हैं वह गंडमूल(ganda mul nakchatra) नक्षत्रों में आते हैं।
जब कोई बालक या बालिका इन नक्षत्रों में जन्म लेता है तो उन बच्चों पर इन नक्षत्रों का प्रभाव विशेष रूप से पड़ता है।
ऐसा भी कहा जाता है जब किसी बालक या बालिका का जन्म इन 6 नक्षत्रों के
अंदर होता है तो जब तक इन नक्षत्रों की शांति न की जाए तब तक बाप को बच्चे का चेहरा नहीं देखना
चाहिए।
यहां पर हम आपको बता दें की यह बात सरासर गलत है केवल नक्षत्रों के आधार पर
ऐसा निर्णय लेना गलत है।
बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में होने से बच्चा दोषी नहीं हो जाता बहुत सारे ऐसे योग होते हैं कुंडली में जिन का अध्ययन करना जरूरी है।
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कैसा है फिर जाकर कुछ निर्णय लीजिए।
अपने मां-बाप की कुंडली भी जरूर देखनी चाहिए अपने मां बाप की कुंडली और बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति कैसी है
यदि नवजात बच्चे की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा ग्रह बहुत ही ज्यादा मजबूत स्थिति
में है तो घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है
क्योंकि यदि ऐसा होता है तो गंडमूल नक्षत्र का उस नवजात शिशु पर कुछ भी प्रभाव नहीं होगा।
ऐसा माना जाता है जब कोई नवजात बच्चा गंडमूल नक्षत्र में पैदा होता है और उसकी कुंडली में
ग्रहों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है तो जन्म से लेकर 8 वर्ष तक उस बच्चे का सेहत को लेकर
समस्याएं हो सकती है।
यदि उस घर में सभी के ग्रह ठीक हैं जिस घर में नवजात का जन्म हुआ है तो भी घर वालों को
बिल्कुल चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
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आपने सब कुछ देख लिया कुंडली भी देख ली यदि आपको ऐसा लगता है कि वाकई नवजात
शिशु जो मूल नक्षत्र में पैदा हुआ है उसके ग्रह बहुत ही बुरे हैं तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाए जो आगे बेहतर हो सके। उसकी शांति किस प्रकार की जाए।
ganda mul nakchatra hindi |
6 type of ganda mul nakchatra | गंडमूल नक्षत्र 6 प्रकार के होते हैं-
- मूल
- अश्लेषा
- जेष्ठा
- अश्विनी
- मघा
- रेवती
अंदर होता है तो जब तक इन नक्षत्रों की शांति न की जाए तब तक बाप को बच्चे का चेहरा नहीं देखना
चाहिए।
यहां पर हम आपको बता दें की यह बात सरासर गलत है केवल नक्षत्रों के आधार पर
ऐसा निर्णय लेना गलत है।
बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में होने से बच्चा दोषी नहीं हो जाता बहुत सारे ऐसे योग होते हैं कुंडली में जिन का अध्ययन करना जरूरी है।
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मूल नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का भविष्यफल
यदि बच्चा गंडमूल नक्षत्र में जन्मा है तो सबसे पहले उसका स्वास्थ्य देख लीजिए बच्चे का स्वास्थ्यकैसा है फिर जाकर कुछ निर्णय लीजिए।
अपने मां-बाप की कुंडली भी जरूर देखनी चाहिए अपने मां बाप की कुंडली और बच्चे की कुंडली में ग्रहों की स्थिति कैसी है
यदि नवजात बच्चे की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा ग्रह बहुत ही ज्यादा मजबूत स्थिति
में है तो घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है
क्योंकि यदि ऐसा होता है तो गंडमूल नक्षत्र का उस नवजात शिशु पर कुछ भी प्रभाव नहीं होगा।
ऐसा माना जाता है जब कोई नवजात बच्चा गंडमूल नक्षत्र में पैदा होता है और उसकी कुंडली में
ग्रहों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है तो जन्म से लेकर 8 वर्ष तक उस बच्चे का सेहत को लेकर
समस्याएं हो सकती है।
यदि उस घर में सभी के ग्रह ठीक हैं जिस घर में नवजात का जन्म हुआ है तो भी घर वालों को
बिल्कुल चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
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gand mool nakshatra remedies | गंडमूल नक्षत्र का उपाय
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आपने सब कुछ देख लिया कुंडली भी देख ली यदि आपको ऐसा लगता है कि वाकई नवजात
शिशु जो मूल नक्षत्र में पैदा हुआ है उसके ग्रह बहुत ही बुरे हैं तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाए जो आगे बेहतर हो सके। उसकी शांति किस प्रकार की जाए।
यदि किसी का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो जन्म के 27 वे दिन में जब वही नक्षत्र फिर से आए
उस समय उस नवजात शिशु की शांति करानी चाहिए या उसी नक्षत्र की शांति करानी चाहिए जिसको हम मूल शांति कहते हैं।
जब तक नवजात शिशु 8 वर्ष का ना हो जाए तब तक उस बच्चे के माता-पिता को ओम नमः
शिवाय का जाप रोज करना चाहिए।
यदि मूल नक्षत्र की वजह से बच्चे का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है तो माता को पूर्णिमा का
व्रत जरूर करना चाहिए।
यदि बच्चे का जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है और मेष राशि है ऐसी स्थिति में उस बच्चे को
बजरंगबली की पूजा करनी चाहिए।
यदि किसी बच्चे का नक्षत्र मघा है और सिंह राशि है ऐसी स्थिति में उस बच्चे को रोज सूर्य को जल
अर्पित करना चाहिए।
यदि किसी बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है और राशि धनु है ऐसे में उसे रोज गायत्री का जप
करना चाहिए और अपनों से बड़ों का आदर सत्कार करना चाहिए।
यदि किसी बच्चे का राशि कर्क है नक्षत्र आश्लेषा है ऐसी स्थिति में उसे भगवान शिव की पूजन
करना चाहिए शिवलिंग के ऊपर जल चढ़ाना चाहिए।
यदि किसी बच्चे का जन्म जेष्ठ नक्षत्र में हुआ है और राशि वृश्चिक है तो उसे हनुमान जी की आराधना करना चाहिए।
यदि किसी बच्चे की राशि मीन है और रेवती नक्षत्र में पैदा हुआ है ऐसी स्थिति में उसे भगवान गणेश की आराधना करना चाहिए।
हम आशा करते की आप को मूल गंडमूल नक्षत्र आदि जानकारी हुई होगी यदि आप का सवाल है तो हमसे संपर्क कर सकते हैं ।
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